बॉलीवुड में जितनी भी फिल्में रिलीज होती हैं, उनमें से कुछ ही बॉक्स ऑफिस पर हिट हो पाती हैं और बाकी को फ्लॉप की कैटेगरी में रखा जाता है। लेकिन कई बार इन्हीं फ्लॉप फिल्मों (Bollywood movies) की स्टोरी इतनी जबर्दस्त होती है कि घर पर टीवी में देखते वक्त आप अफसोस जताते हैं कि काश यह फिल्म बड़े पर्दे पर देखी होती। फिल्म के हिट होने के लिए सिर्फ बड़े एक्टर या एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि स्टोरी लाइन और पिक्चराइजेशन को भी बड़ी वजहें माना जाता है।
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हालांकि, कई बार सब कुछ अच्छा होने के बाद भी फिल्म को बॉक्स ऑफिस (Hindi movie) पर उतना बढ़िया रिस्पॉन्स नहीं मिल पाता, लेकिन इन फिल्मों को एक बार घर पर देखना तो बनता ही है। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें किसी भी हाल में मिस नहीं करना चाहिए (Bollywood underrated movies)।
बॉलीवुड की अंडररेटेड फिल्में – bollywood underrated movies in hindi
बॉलीवुड में हर साल अनगिनत फिल्मों का निर्माण होता है। हालांकि, सभी फिल्में टॉप चार्ट्स में जगह बनाने में सफल नहीं हो पाती हैं। उनमें से कुछ ही फिल्में ऐसी होती हैं, जो लंबे समय तक लोगों के जेहन में रह पाती हैं। वहीं, कुछ फिल्में सुपरहिट का तमगा हासिल न कर पाने के बावजूद लोगों के दिलोदिमाग में बेहद लंबे समय तक अपनी जगह बना पाने में सक्षम हो जाती हैं।
ये अंडररेटेड फिल्में बेहद खास होती हैं (Most underrated movies)। ये फिल्में आमतौर पर अपनी मज़बूत कहानी के आधार पर माउथ पब्लिसिटी से हिट होती हैं। बॉलीवुड क्रिटिक्स का मानना है कि ऐसी अंडररेटेड फिल्मों को ज़रूर देखना चाहिए। जानिए बॉलीवुड की टॉप अंडररेटेड फिल्मों (top underrated movies) के बारे में…
- देव डी
- पान सिंह तोमर
- अर्थ
- मॉनसून वेडिंग
- आमिर
- सहर
- ओए लक्की! लक्की ओए!
- द लंचबॉक्स
- 99
- मनोरमा : सिक्स फीट अंडर
हिन्दी की बेस्ट अंडररेटेड फिल्में Best Underrated Movies
हिट और फ्लॉप फिल्मों की लिस्ट के बजाय इस बार देखिए वे फिल्में, जिनकी कहानी में कोई अर्थ है। इन फिल्मों को उतनी शोहरत तो हासिल नहीं हुई मगर इनकी कहानी, स्टार कास्ट और डायरेक्शन का कोई भी दीवाना बन सकता है। ज़रूर देखिए बॉलीवुड की ये खास अंडररेटेड फिल्में (best underrated movies)।
देव डी
इस फिल्म को देखने के बाद आप समझ जाएंगे कि कल्कि कोचलिन और अभय देओल कितने जबर्दस्त एक्टर्स हैं। अभय देओल का फिल्म में जिद्दी आशिक वाला किरदार और कल्कि का नॉटी अंदाज़ काफी मज़ेदार है।
इस फिल्म में माही गिल का किरदार भी जबर्दस्त है और खासतौर पर वह सीन, जब वे बॉयफ्रेंड से खफा होकर अपनी ही शादी में नाचती हैं… यह सीन तो देखते ही बनता है।
पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर एक भारतीय सैनिक, एथलीट और बागी (विद्रोही) के तौर पर जाने जाते थे। इरफान खान ने उनका किरदार बेहद बखूबी से निभाया है।
उनकी शानदार एक्टिंग हम ‘हिंदी मीडियम’ और ‘द लंच बॉक्स’ जैसी फिल्मों में देख ही चुके हैं। ऐसे में इस फिल्म को मिस नहीं किया जाना चाहिए।
अर्थ
माना जाता है कि आमिर खान की हर फिल्म सुपरहिट हो जाती है लेकिन क्या आपको यकीन होगा कि आमिर खान के होते हुए एक फिल्म हिट कैटेगरी में अपनी जगह नहीं बना पाई थी? हालांकि, जिसने भी इस फिल्म को देखा, वह मूवी की सराहना करने से खुद को रोक नहीं पाया। शायद इस फिल्म को बिना देखे ही लोगों ने नापसंद कर दिया था लेकिन एक बार आप खुद देखिए, क्या पता आपको पसंद आ जाए।
मॉनसून वेडिंग
इंडिया में शादी से जुड़ी फिल्में किसी को पसंद न आएं, ऐसा कैसे हो सकता है! यह फिल्म सिर्फ इंडिया में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खूब पसंद की गई थी।
इस वजह से फिल्म को गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड के नॉमिनेशन में भी जगह मिली थी। यह फिल्म आपको भी ज़रूर पसंद आएगी।
आमिर
एक मुस्लिम लड़के की कहानी है आमिर। इस फिल्म में दिखाया गया है कि आतंकवादी किस तरह से विदेश से पढ़कर अपने घर आए लड़के ‘आमिर अली’ का अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करते हैं।
सबसे खास बात कि जो लड़कियां टीवी सीरियल ‘कभी सौतन कभी सहेली’ के राजीव खंडेलवाल की फैन रही हैं, उन्हें तो यह फिल्म वैसे भी पसंद आने वाली है।
सहर
फिल्म में हैं अरशद वारसी, महिमा चौधरी और पंकज कपूर। फिल्म उत्तर प्रदेश में हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है। अगर आपको क्राइम से जुड़ी फिल्में पसंद हैं तो आपको ये एक्शन मूवी जरूर पसंद आएगी।
ओए लक्की! लक्की ओए!
इस फिल्म में है अभय देओल, परेश रावल और अर्चना पूरन सिंह की शानदार कॉमेडी। यह फिल्म एक चोर की कहानी है, जो बहुत ही चालाकी से घरों में चोरियां करता है।
फिल्म का गाना ओए लक्की! लक्की ओए! लोगों को काफी पसंद आया था।
द लंचबॉक्स
आपको चिट्ठी वाला प्यार याद है, जब एक-दूसरे से अपने दिल की बाद खतों के जरिए की जाती थी? बस ये फिल्म भी आपको उन्हीं खतों की याद दिला देगी।
इरफान खान और निम्रत कौर की शानदार एक्टिंग आपको बांधे रखेगी।
99
कुणाल खेमू और बोमन ईरानी की ये क्राइम कॉमेडी मूवी वीकेंड के लिए बेस्ट है। इस फिल्म में रियल लाइफ कपल कुणाल खेमू और सोहा अली खान भी साथ दिखेंगे। फिल्म क्रिकेट कॉन्ट्रोवर्सी पर आधारित है।
मनोरमा : सिक्स फीट अंडर
मनोरमा : सिक्स फीट अंडर फिल्म में थ्रिल और मर्डर मिस्ट्री के साथ-साथ समाज से जुड़े कुछ मुद्दे भी उठाए गए हैं। फिल्म में एक जासूस की कहानी है, जो एक मामले की तह में जाने की कोशिश करते-करते खुद ही उसमें फंस जाता है।
शौर्य
यह फिल्म कश्मीर के मुद्दों पर बनी है, जो एक आर्मी ऑफिस के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। फिल्म में राहुल बोस, के के मेनन और जावेद जाफरी मुख्य भूमिकाओं में हैं।
कभी देश के मुद्दों से जुड़ी फिल्म देखनी हो तो शौर्य को एक बार देख सकते हैं।
तेरे बिन लादेन
यह एक सटायर (व्यंग्य) फिल्म है, जिसमें एक रिपोर्टर से जुड़ी मज़ेदार कहानी बताई गई है। फिल्म में आप दिखाया गया है कि कैसे एक रिपोर्टर ‘ओसामा बिन लादेन’ का नकली वीडियो बनाकर चैनल को बेच देता है और फिर बुरी तरह फंस जाता है। यह फिल्म काफी एंटरटेनिंग है।
सलाम बॉम्बे!
झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी को दिखाती है मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे। उनका रहन-सहन, कम उम्र में उनका संघर्ष और आगे बढ़ने की कहानी है यह फिल्म, जिसमें बच्चों ने काफी शानदार एक्टिंग की है।
मसान
विक्की कौशल को नेम और फेम देने वाली फिल्म है मसान। अगर किसी को विक्की कौशल का बॉलीवुड सफर देखना हो तो इस फिल्म में देख सकते हैं। इसमें विक्की कौशल की एक्टिंग काफी जबर्दस्त है।
पार्च्ड
सेक्स और आदमियों के इर्द-गिर्द घूमती है गुजरात की चार औरतों की कहानी ‘पार्च्ड’। इस फिल्म में राधिका आप्टे और सुरवीन चावला की शानदार एक्टिंग देखने को मिलेगी।
मकबूल
पंकज कपूर, तब्बू और इरफान खान… जब ये तीनों एक्टर्स एक फिल्म में होंगे तो वह फिल्म कितनी शानदार होगी, इस बात का अंदाज़ा आप खुद लगा सकते हैं।
यह फिल्म एक बार तो ज़रूर देखी जा सकती है।
उड़ान
यह एक स्कूल के लड़के की कहानी है, जिसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। स्कूल से निकलने के बाद शुरू होती है उसकी रियल जर्नी। एक लड़के की जमीन से लेकर अपने सपनों के लिए मेहनत करने की कहानी है उड़ान।
खोसला का घोसला
यह कहानी है दिल्ली में रहने वाले खोसला साहब की, जो घर के लिए जमीन लेते हैं और उसमें फंस जाते हैं। फिल्म में बोमन ईरानी और अनुपम खेर की जबर्दस्त कॉमेडी देखने को मिलती है।
हासिल
प्यार और राजनीति पर बनी है फिल्म हासिल। इस फिल्म में जिम्मी शेरगिल और इरफान खान की शानदार एक्टिंग देखने को मिलेगी। अगर आपको राजनीति से जुड़ी फिल्में पसंद हैं तो यह मूवी आपको ज़रूर पसंद आएगी।
फंस गए रे ओबामा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की स्पीच से इंस्पायर होकर एक शख्स अमेरिका चला जाता है और उसके इस सफर में आते हैं मज़ेदार ट्विस्ट्स। वीकेंड के टाइम पास के लिए यह सटायर फिल्म बेस्ट है।
साहेब बीवी और गैंगस्टर
इस रोमांटिक थ्रिलर ड्रामा में है एक गैंगस्टर, उसकी पत्नी और ढेर सारा एक्शन। इस फिल्म में संजय दत्त ने गजब की एक्टिंग की है। साथ ही जिम्मी शेरगिल और माही गिल की बेस्ट फिल्मों में से भी एक है साहेब बीवी और गैंगस्टर।
गुलाल
इस फिल्म में अनुराग कश्यप के स्टाइल वाला पॉलिटिकल ड्रामा है। अपनी सीट का गलत फायदा उठाना, खून खराबा, कानून से खेलना और दूसरों को कुचल कर आगे निकलना… यह सब आपको राजनीति से प्रेरित इस फिल्म में नज़र आएगा।
डोर
अगर इमोशलन कहानियां पसंद हैं तो डोर फिल्म जरूर देखिए। इस फिल्म में गुल पनाग और आएशा टाकिया की जबर्दस्त एक्टिंग दिल जीत लेती है।
पति की मौत के बाद लड़की को पति का बुरा भाग्य बताकर, उसे हर खुशी से दूर करने की कहानी है डोर।
ब्लैक फ्राइडे
1993 में मुंबई में हुए बम ब्लास्ट पर बनी है फिल्म ब्लैक फ्राइडे। इस फिल्म को लेखक हुसैन जैदी की किताब ‘ब्लैक फ्राइडे: द ट्रू स्टोरी ऑफ बॉम्बे बॉम्ब ब्लास्ट’ से बनाया गया है।
अ वेडनसडे
एक शख्स शहर में बम फिट करता है और बड़ी ही समझदारी से एक रिटायर्ड पुलिस कमीश्नर लोगों को उससे बचा लेता है। अनुपम खेर और नसीरुद्दीन शाह की कमाल की एक्टिंग फिल्म को और मज़ेदार बना देती है।
गैंग्स ऑफ वासेपुर
अगर देसी गाली-गलौज को झेलने की क्षमता है तो गैंग्स ऑफ वासेपुर आपको बहुत पसंद आने वाली है। इस फिल्म के दो पार्ट्स बने हैं और दोनों ही जबर्दस्त हैं। एक बार वीकेंड पर वक्त निकालकर इन दोनों पार्ट्स को देखिए, पैसा वसूल फिल्में हैं दोनों।
ट्रैप्ड
जैसा कि इस फिल्म के नाम से ही स्पष्ट है, इसमें कोई फंस गया है। ये और कोई नहीं, फिल्म का हीरो शौर्य (राजकुमार राव) है। वह फंसा है एक बिल्डिंग की 35वीं मंजिल के एक फ्लैट में। न उसके पास खाने को कुछ है और न पीने को। बिजली भी नहीं है। बिल्डिंग में भी कोई नहीं है। उसे नीचे लोग नजर आ रहे हैं पर उसकी आवाज़ उन तक नहीं पहुंचती।
वह कई तरीके आजमाता है, लेकिन सभी बेअसर साबित होते हैं। वह वहां कैसे फंसा? बाहर निकल पाया या नहीं? इसके जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। राजकुमार राव का अभिनय शानदार है। डर, जीत, झुंझलाहट, हार, संघर्ष के सारे भाव उनके चेहरे पर देखने को मिलते हैं। गीतांजलि थापा का रोल छोटा जरूर है लेकिन वे अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराती हैं।
अ डेथ इन द गंज
कोंकणा सेन शर्मा निर्देशित ‘अ डेथ इन द गंज’ बांग्ला परिपाटी की हिन्दी फिल्म है। कोंकणा सेन शर्मा की यह फिल्म बांग्ला के मशहूर फिल्मकारों की परंपरा में है। इस फिल्म के लिए कोंकणा सेन शर्मा ने अपने पिता मुकुल शर्मा की कहानी को आधार बनाया है। यह फिल्म छोटे-बड़े, सभी कलाकारों की अदाकारी के लिए याद रखी जा सकती है। सभी संगति में हैं और मिल कर कहानी को रोचक बनाते हैं। रणवीर शौरी और कल्कि कोचलिन का अभिनय उल्लेखनीय है।
द गाज़ी अटैक
1971 में भारत-पाक के बीच हुई जंग से पहले गहरे समुद्र में ढाई सौ से तीन सौ मीटर पानी के नीचे एक ऐसी जंग लड़ी गई थी, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। करण जौहर ने एक ऐसी वॉर को लेकर पूरी ईमानदारी के साथ फिल्म बनाने का जोखिम उठाया है, जिसके बारे में कोई नहीं जानता।
बांग्ला देश बनने से पहले भारत-पाक के बीच 1971 में हुई जंग के बारे में हम जानते हैं, लेकिन इससे पहले समुद्र के नीचे गहरे पानी के बीच एक ऐसी जंग भी हुई, जिसकी जीत ने 71 की जंग को हमारी सेना के लिए आसान बना दिया। पानी के अंदर लड़ी गई इसी जंग पर बनी यह एक ऐसी बेहतरीन फिल्म है, जिसे देखते वक्त आप भारतीय होने पर गर्व महसूस कर सकेंगे।
हरामखोर
हरामखोर एक असामान्य प्रेम त्रिकोण है, जो मानवीय भावनाओं और संबंधों की जटिलता को उजागर करता है। यह तीन किशोरों और एक शादीशुदा शिक्षक की कहानी है जो प्यार, वासना और हिंसा की दुनिया में उलझे हैं। इस फिल्म से श्वेता त्रिपाठी ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इसमें स्कूली शिक्षक का किरदार निभाया है तो वहीं श्वेता त्रिपाठी विद्यार्थी की भूमिका में हैं।
निल बटे सन्नाटा
निल बटे सन्नाटा के निर्माता-निर्देशक ने एक बाई के किरदार को लीड में लेकर फिल्म बनाई है। ये फिल्म उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे समाज में खास महत्व नहीं दिया जाता है। आजकल के उच्च और मध्यम वर्ग में ‘बाई’ के बिना कोई काम नहीं होता। इस फिल्म के माध्यम से बताया गया है कि बाई को भी सपने देखने का हक है।
नितेश तिवारी ने उम्दा कहानी लिखी है। कहानी नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली है, लेकिन फिर भी दर्शकों का मनोरंजन करती है। फिल्म में मां-बेटी के रिश्ते को भी बहुत ही खूबसूरती के साथ दर्शाया गया है। किशोर उम्र के बच्चे मां- बाप के खिलाफ अक्सर विद्रोही तेवर अपना लेते हैं। यहां फिल्म में भी एक बच्ची को यही शिकायत रहती है कि उसकी मां बाई है और उसे ज्यादा पढ़ा नहीं सकती है लेकिन उसकी मां इसे गलत साबित करती है।
आंखों देखी
आंखों देखी रजत कपूर निर्देशित एवं लिखित बॉलीवुड फिल्म है, जिसके निर्माता मनीष मुंद्रा हैं। फिल्म में मुख्य अभिनय भूमिका में संजय मिश्रा और रजत कपूर हैं। फिल्म जितनी साधारण है, उतने ही साधारण हैं फिल्म के किरदार। लेकिन फिल्म को अपनी बेहतरीन एक्टिंग से खास बना देने वाले अभिनेता संजय मिश्रा ने इसमें लोगों को हैरान कर दिया है। इस किरदार को देखने के बाद दर्शकों को उनके परिवार के उन बुजुर्गों की याद आ गई, जिन्हें समझने में वे अक्सर गलती कर बैठते हैं या फिर जिन्हें समझने की कोशिश ही नहीं करते।
लेकिन असल में उनके दिमाग में क्या चल रहा है और वे खुद को कितना अकेला महसूस कर रहे हैं, यह कोई नहीं समझता।
लुटेरा
लुटेरा फिल्म एक प्रेम कहानी है, जो विक्रमादित्य मोटवानी द्वारा निर्देशित है और ओ हेनरी की लघु कथा द लास्ट लीफ पर आधारित है। इसे 1950 के दशक पर आधारित किया गया है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा हैं। इस फिल्म के निर्माता अनुराग कश्यप, एकता कपूर, शोभा कपूर और विकास बहल हैं।
फिल्म का पार्श्व गीत और पृष्ठभूमि अमित त्रिवेदी द्वारा तथा संपूर्ण संगीत अमिताभ भट्टाचार्य द्वारा तैयार किया गया है। विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म लुटेरा ने भले ही बॉक्स ऑफिस न लूटा हो लेकिन सोनाक्षी सिन्हा ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों का दिल जरूर लूट लिया।
मद्रास कैफे
मद्रास कैफे भारतीय राजनैतिक रहस्यों पर आधारित फिल्म है, जिसका निर्देशन शूजित सरकार ने किया है। फिल्म में जॉन अब्राहम, नर्गिस फाखरी और राशि खन्ना मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म 80 के दशक और 1990 के पूर्वार्ध को प्रदर्शित करती है, जिस समय श्रीलंक में गृह युद्ध के दौरान भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड को दर्शाया गया है। पात्रों के नाम बदल दिये गये हैं।
फिल्म भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या पर आधारित है। फिल्म की शुरुआत उस दृश्य के साथ होती है, जिसमें रॉ एजेंट विक्रम सिंह (जॉन अब्राहम) चर्च में एक पादरी के सामने स्वीकार करता है कि उन्हें बचाया जा सकता था। फिर वही बताता है कि कैसे अलगाववादी संगठन ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश रची थी क्योंकि उसे डर था कि वे सत्ता में दोबारा आ गए तो श्रीलंका में तनाव ख़त्म करने की दिशा में कड़े कदम उठा सकते हैं, जो वह नहीं चाहता था।
शंघाई
डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी की ‘शंघाई’ एक पॉलिटिकल थ्रिलर है, जिसमें बड़ी खूबसूरती से राजनैतिक दलों की सभाएं, जुलूस, राजनीति का ग्लैमर, इसके दांव-पेंच, आईएएस−आईपीएस अफसरों की लॉबिंग और सड़क पर हिंसा करते कार्यकर्ताओं के सीन फिल्माए गए हैं। यह फिल्म प्रोग्रेस के नाम पर एक बस्ती को तोड़कर इंटरनेशनल बिज़नेस पार्क बनाने की योजना पर आधारित है।
एक ही वक्त में सोशल एक्टिविस्ट की हत्या और आइटम नंबर का कॉन्ट्रास्ट बेहतरीन है। ऑर्केस्ट्रा और पटाखों के शोर में ’भारत माता की जय’ जैसे गीत में जबर्दस्त एनर्जी है और देश की हालत पर कटाक्ष भी। अभय देओल, इमरान हाशमी और पीतोबाश त्रिपाठी ने इसमें दमदार एक्टिंग की है।
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