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जानिए कब है शरद पूर्णिमा और विज्ञान के अनुसार क्या है इस दिन का महत्व

Archana Chaturvedi  |  Oct 19, 2021
जानिए कब है शरद पूर्णिमा और विज्ञान के अनुसार क्या है इस दिन का महत्व

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होता है। खास बात ये भी है कि उस वक्त चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। ये भी कहा जाता है जाता है कि इस दिन रात को चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। इसी कारण लोग एक दिन पहले ही खीर बना लेते हैं और रात को खुले आसमान की नीचे उसपर कपड़ा या छलनी लगा कर रखते हैं। और अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में सभी घरवालों को खिलाया जाता है। मान्यता है कि इस खीर को खाने से शरीर निरोग रहता है। साथ ही लक्ष्मी की कृपा सदा घर में बनी रहती है और धन-दौलत के भंडार का आशीर्वाद मिलता है। आजकल ज्यादातर कोई तीज-त्योहार दो तिथियों में पड़ जाते हैं, ऐसे में लोगों का कंफ्यूज होना जायज है। इसीलिए यहां हम आप की इस दुविधा को दूर करते हुए शरद पूर्णिमा 2021 किस दिन है ? इस बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं।

आखिर किस दिन है शरद पूर्णिमा ?

हर किसी को इस बात की दुविधा है कि आखिर शरद पूर्णिमा है किस दिन? 19 या फिर 20 अक्टूबर? दरअसल अगर आप गूगल में सर्च करेंगे तो 19 अक्टूबर को ही पूर्णिमा है, ऐसा आपको नतीजा मिलेगा। लेकिन आइए जानते हैं इस विषय में पंचाग और एक्सपर्ट्स का क्या कहना है। आचार्य विनोद मिश्र का कहना है कि इस साल यानि कि 2021 शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, मंगलवार को है। इस साल पंचांग भेद होने के कारण यह पर्व दो दिन मनाया जाएगा। ऐसे में कुछ जगहों पर पूर्णिमा व्रत 20 अक्टूबर को भी रखा जाएगा। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि आज 19 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ हो रही है, इसका समापन कल 20 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में आसमान से अमृत वर्षा आज रात ही होगी क्योंकि आज पूर्णिमा की रात है। पूरी रात चंद्रमा आसमान में विद्यमान रहेगा। 

शरद पूर्णिमा की तिथि और समय (Sharad Purnima 2021) –

पूर्णिमा तिथि आरम्भ =  19 अक्टूबर, शाम 6 बजकर 41 मिनट से   

पूर्णिमा तिथि समाप्त = 20 अक्टूबर, शाम 7 बजकर 37 मिनट तक

शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

विज्ञान का भी मानना है कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है। चंद्रमा की किरणों में खास तरह के लवण यानि कि विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो तो वो लाभदायक औषधि बन जाती है। माना जाता है कि इससे रोग मुक्त‌ि होती है और उम्र लंबी होती है।

शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें

शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रहना चाहिए। साथ ही इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों के नीचे रात भर रखने और अगले दिन उसे खाने का भी प्रचलन है। क्योंकि शरद पूर्णिमा की रात से मौसम में बदलाव आने लगता है। इस समय से शीत ऋतु का आगमन होता हैं। मौसम गर्मी से ठंडी की तरफ बढ़ जाता है इसीलिए खीर खाई जाती हैं। इसके लिए शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में चीनी चावल डालकर पकाएं और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें, साथ ही मेवा भी। अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे जालीनुमा ढक्कन से ढककर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस खीर को रात्रि जागरण कर प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

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