Mythology

बजरंगबली से लेकर अश्वत्थामा तक, ये हैं हिंदू धर्म के सप्त चिंरंजीवी जो कलयुग में भी हैं जीवित

Archana Chaturvedi  |  Nov 9, 2023
7 Immortals as Per Hindu Chiranjivis in Hindi

ये बात तो हम सबको पता है कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु तय है और ये परमसत्य है। लेकिन पुराणों, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में सप्त चिरंजीवियों के अमर रहने वाले पात्रों के बारे में बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि ये सात चिंरजीवी कई अलग-अलग कारणों से अभी भी पृथ्वी पर जीवित हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उनका अस्तित्व पृथ्वी के अंत तक रहने वाला है। इनमे से किसी को वरदान के रूप अमरत्व मिला तो किसी को शाप के तौर पर। 

हिंदू धर्म के सप्त चिंरजीवी देवता | 7 Immortals as Per Hindu Chiranjivis in Hindi

पद्म पुराण के एक श्लोक में सप्त चिरंजीवियों के अमर होने के बारे में बताता है। यह श्लोक है :
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित॥
इस श्लोक का अर्थ हैं : अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम सप्त चिरंजीवी हैं। इसी पुराण में भी ये भी बताया गया है कि इन सप्त चिरंजीवी के नाम का जाप करने से व्यक्ति निरोगी रहता है और लंबी आयु को प्राप्त करता है। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से –

1. अश्वत्थामा (Ashwatthama)

image credit

महाभारत काल का एक व्यक्ति जिसके बारे में यह माना जाता है कि वह आज भी जिंदा है। इस व्यक्ति का नाम है अश्वत्थामा। यह कौरव और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था। इसने महाभारत में कौरवों की ओर से युद्ध किया था। लेकिन अपनी एक गलती के कारण भगवान कृष्ण ने एक श्राप दिया था कि दुनिया खत्म होने तक वो जीवित रहेगा और भटकेगा। माना जाता है इस श्राप के कारण आज भी अश्वत्थामा पृथ्वी पर भटक रहा है। हालांकि इसी वजह के चलते माता-पिता अपने बच्चे का नाम अश्वत्थामा रखने से कतराते हैं।

2. राजा बलि (Mahabali)

image credit

राजा बाली, जिसे महाबली के नाम से भी जाना जाता है, असुरों का राजा और तीनों लोकों का गुणी सम्राट थे। राजा बलि भक्त प्रहलादे के वंशज है और उन्होंने विष्णु के अवतार वामनदेव को अपन सबकुछ दान कर दिया था। उनकी दयालुता से प्रसन्न होकर भगवान स्वयं उनके द्वारपाल बन गये। साथ ही उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया। ऐसी मान्यता है कि आज भी हर साल ओणम के दिन, वो अपने लोगों से मिलने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं।

3. महर्षि वेद व्यास (Ved Vyasa)

image credit

महर्षि वेद व्यास त्रेता युग के शुरूआत में पैदा हुए एक महान ऋषि थे, उनके अनुसार उन्होंने द्वापर युग और वर्तमान कलियुग को भी जीया। वेदव्यास महाभारत लिखने वाले महान रचयिता थे। उन्होंने 18 पुराणों और चारों वेदों की रचना की। उनके बारे में भी पुराणों में बताया गया है कि उन्‍हें भी अमरता का वरदान प्राप्त है।

4. हनुमान (Hanuman)

image credit

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को शिव का अवतार माना जाता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि हनुमान भगवान राम के परम भक्त हैं। कहते हैं कि जब प्रभु श्री राम अयोध्या छोड़ बैकुण्ठ पधारने लगे, तब हनुमान जी ने पृथ्वी पर ही रुकने की इच्छा व्यक्त की और कहा वो तब तक पृथ्वी पर रहना चाहते हैं जब तक लोग भगवान राम का नाम लेते रहेंगे। फिर क्या था श्री राम ने उन्हें पृथ्वी पर सदा अमर रहने का वरदान दे दिया।

5. विभीषण (Vibhishan)

image credit

विभीषण राक्षस राजा रावण का भाई था। उन्होंने रावण के साथ युद्ध में भगवान राम की मदद की थी। रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को लंका सौंप दी थी। विभीषण लंका में अच्छे कर्म और धार्मिकता बनाए रखने और लोगों को धर्म के मार्ग पर मार्गदर्शन करने में सक्षम होने के लिए सदैव के लिए चिरंजीवी बन गए। कहा जाता है कि आज भी विभीषण पृथ्वी लोक में हैं।

6. ऋषि कृपाचार्य (Kripacharya)

image credit

बताया जाता है कि कृपाचार्य, कौरवों और पांडवों के गुरु हैं। महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य ने कौरवों की तरफ से सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनका नाम परम तपस्वी ऋषियों में शामिल है। अपने इसी तप के कारण उन्होंने अमरता का वरदान प्राप्त हुआ।

7. परशुराम (Parashurama)

image credit

परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। और सभी अस्त्र शास्त्रों और दिव्य हथियारों के स्वामी के रूप में जाने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम शिव जी के परम भक्त हैं। उनकी कृपा से उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। कल्कि पुराण में लिखा है कि वह कलियुग के अंत के समय फिर से प्रकट होंगे और मानवता को बचाने के लिए विष्णु के कल्कि अवतार का मार्गदर्शन करेंगे।

Read More From Mythology