सफेद मूसली एक आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है और इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। सफेद मूसली कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। मुख्य रूप से सफेद मूसली की जड़ और बीज का दवा बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ो में काफी अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, पोटैशियम आदि होता है। अपने इस लेख में हम आपको स्वास्थ्य के लिए सफेद मूसली के फायदे, नुकसान और इसका सेवन करने के तरीके आदि के बारे में बताएंगे।
Table of Contents
सफेद मूसली क्या है? – Safed Musli kya Hai
सफेद मूसली खाने के तरीके – Safed Musli Khane ka Tarika
सफेद मूसली के फायदे – Safed Musli Benefits in Hindi
यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए
सफेद मूसली (सफेद मूसली के फायदे) इंसान में सेक्स की इच्छा को बढ़ावा देती है और इस वजह से ये सेक्स ड्राइव बढ़ाने और यौन कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोगी होती है। यह यौन अंगों को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करती है और स्पर्म के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है। यह इंसान के शरीर में यौन शक्ति को बढ़ा देती है और यौन अनुभव को बेहतर बनाती है।
यौन विकार के लिए
बांझपन को करे दूर
भारत जैसे देश में बांझपन औरत या पुरुष के लिए किसी श्राप से कम नहीं है। इस वजह से सफेद मूसली का इस्तेमाल इस समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है। सफेद मूसली का सेवन करने से बांझपन या फिर यौन विकार जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाती हैं और गर्भ धारण करने में मदद मिलती है।
गर्भावस्था के लिए
प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए
सफेद मूसली शक्तिशाली ऊर्जावर्धक औषधी है और इस वजह से मनुष्य की रोध प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करती है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से अस्थमा के मरीजों द्वारा किया जाता है।
मधुमेह के लिए
मधुमेह का वैसे तो कोई स्थाई उपचार नहीं है लेकिन सफेद मूसली मनुष्य के शरीर में शुगर के स्तर को बैलेंस रखने में मदद करती है। यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाती है और मधुमेह को नियंत्रित करती है। इसका सेवन करने से मधुमेह के रोगी को सेक्स करने में भी मदद मिलती है। यदि आप कमजोर, पतले या फिर सामान्य से कम वजन के हैं तो आपको दिन में दो बार दूध के साथ इसका सेवन करना चाहिए।
मोटापा घटाने के लिए
सफेद मूसली जरूरत से अधिक चर्बी को कम करने में मदद करती है और शरीर का मोटापा घटाने में उपयोगी होती है।
सफेद मूसली के अन्य लाभ
सफेद मूसली उपयोगी औषधीय पौधों में से एक हैं, जो हजारों सालों से मनुष्यों के लिए वर्दान बनी हुई है। इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है और चिकित्सा प्रणाली में भी इसका काफी उपयोग किया जाता है। मुख्य रूप से ये बांझपन, यौन विकार, शुक्राणु की कमी, आदि बीमारियों के लिए प्रयोग की जाती है। साथ ही ये स्त्रियों में मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करती है।
सफेद मूसली के नुकसान – Safed Musli ke Nuksan
सफेद मूसली से जुड़े सवाल और जवाब – FAQ’s
आयुर्वेद के अनुसार दो तरह की मूसली होती है। एक सफेद मूसली और दूसरी काली मूसली। दोनों प्रकार की मूसली का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में किया जाता है। एक ओर जहां काली मूसली का इस्तेमाल केवल यौन विकार, बांझपन आदि समस्याओं के लिए किया जाता है तो वहीं सफेद मूसली का इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह आदि कई समस्याओं के लिए भी किया जाता है।
सफेद मूसली आमतौर पर भारत के जंगलों में पाई जाती है। इस वजह ये खुद से उग जाने वाला पौधा है। हालांकि, यदि आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो आप बायोवेद कृषि तकनीक की मदद से इसकी खेती कर सकते हैं। सफेद मूसली की खेती करते वक्त ध्यान रखें कि जमीन नमी वाली हो। साथ ही जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी को इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। सफेद मूसली कंद वाला पौधा है और यह जमीन के अंदर बढ़ता है।
सफेद मूसली का वानस्पातिल नाम क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम Chlorophytum Borivilianum Santapau R.R.Fern. है।
सफेद मूसली का चूर्ण यौन विकार, बांझपन आदि समस्याओं को दूर करने में काफी उपयोगी होता है। यह पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता को सुधारता है और साथ ही कामेच्छा शक्ति को बढ़ाता है।
सफेद मूसली को हमेशा खाना खाने के बाद ही खाना चाहिए। इसे खाली पेट नहीं खाना चाहिए।
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