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RIP Lata Mangeshkar : कुछ ऐसी रही स्वर कोकिला लता दीदी की जीवनयात्रा

Archana Chaturvedi  |  Feb 6, 2022
RIP Lata Mangeshkar : कुछ ऐसी रही स्वर कोकिला लता दीदी की जीवनयात्रा

सरस्वती पूजा यानि कि बसंत पंचमी के अगले ही दिन  6 फरवरी को सरस्वती का स्वर और गान थम गया। देश की मशहूर गायिका और स्वर कोकिला से जाने जानी वाली लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। काफी समय से उनकी तबियत खराब चल रही थी। शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ लता जी का अंतिम संस्कार होगा।उनकी मौत का कारण मल्टी ऑर्गेन फेलियर बताया जा रहा है। पिछले 29 दिनों से वो कोरोना से जंग लड़ रही थीं। 

लता मंगेशकर स्वर के मामले में समृद्ध थीं। भारतीय शास्त्रीय संगीत हो या बॉलीवुड। मराठी भक्ति संगीत के गीत हों या कोई और.. लता मंगेशकर ने अपने बहुमुखी गायन की झलक न केवल पूरे देश को बल्कि दुनिया को भी दिखाई थी। आइए एक नजर डालते हैं लता दीदी की जीवनयात्रा पर –

लता मंगेशकर अब तक कई भाषाओं में गाने गा चुकी हैं। साथ ही उनके मधुर गीतों ने कई लोगों को दीवाना बना दिया। हमने उनके कई गाने सुपरहिट होते भी देखे हैं। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था।

लता की तीन छोटी बहनें मीना खडीकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर और छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। सभी भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी थी। कम उम्र में भी लता ने अपने पिता को खो दिया था और घर की बड़ी बेटी होने की वजह से उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली थी।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1942 में की थी। आजादी से पहले के दौर में उन्होंने आजादी से जुड़े कई गाने गाए हैं। उन्हें अभी भी 15 अगस्त या 26 जनवरी को सुना जाता है। यह उनके करियर की शुरुआत थी। ये उनकी आवाज की कशिश ही थी कि जब उन्होंने 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई के बाद एक कार्यक्रम के दौरान “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखों से भी आंसू निकल पड़े ।

लता मंगेशकर ने अपने करियर में 36 भाषाओं में हजारों गाने गाए। साथ ही लता दीदी ने इंडस्ट्री में कई साल पूरे कर लिए हैं। उसने अपना पहला गाना 13 साल की उम्र में रिकॉर्ड किया था। वह दिन 16 दिसंबर 1941 था।

भारत सरकार ने लताजी को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया। बॉलीवुड में भी उन्हें ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ और ‘फिल्म फेयर’ जैसे कई अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर रहीं।

लता ने कभी शादी नहीं की और सादगी के साथ जीवन व्यतीत किया। उन्होंने 1000 से ज्यादा गाने गाए लेकिन शायद ही खुद लता जी ने सोचा होगा कि वह इस मुकाम पर पहुंचेंगी, जहां तक पहुंचने का सफर हर शख्स देखता है।

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