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स्वतंत्रता के लिए कदम से कदम मिलाकर लड़ीं थी ये महिला सेनानियां
आज के वक्त में बहुत सी महिलाएं हैं, जिन्हें हम अपनी प्रेरणा मान सकते हैं, या फिर जिनको देखकर हम सोच सकते हैं कि हम भी अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भूल जाएं। ये वही महिलाएं हैं, जिन्होंने भारत को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई है। तो चलिए बिना कोई देरी किए आपको इनके बारे में बताते हैं।
सावित्री बाई फुले
सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। सरोजिनी नायडू भारत की स्वतंत्रता कार्यकर्ता, कवि, राजनीतिज्ञ और विचारक थीं। कवि के तौर पर उन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त की थीं। यहां तक कि उन्हें The Nightingale of India भी कहा जाता है। सरोजिनी नायडू ने माहेर मुनीर नाटक लिखा और इस वजह से उन्हें विदेशों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिली थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष भी थीं। स्वतंत्रता के बाद वह स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल भी थीं। 1905 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक गोल्डन थ्रेशोल्ड नामक शीर्षक से कविताों का संग्रह प्रकाशित किया था।
उदा देवी
उदा देवी (Uda Devi) का जन्म अवध में हुआ था। वह 1857 में भारतीय विद्रोह में एक योद्धा थीं और उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी थी। जैसा कि इतिहास में हम सबने पढ़ा है कि झांसी की रानी जैसी नारियों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध किया था। उसी तरह से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाी में दलित प्रतिरोध सेनानी भी शामिल हुए थे। इन्ही में से एक उदा देवी हैं। उन्हें और अन्य महिला दलित प्रतिभागियों को आज भी 1857 के भारतीय विद्रोह के योद्धाओं या ”दलित वीरांगनाओं” के रूप में याद किया जाता है।
झलकारी बाई
झलकारी बाई (Jhalkari Bai) का जन्म 22 नवंबर 1830 को हुआ था। वह झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की परछाई के रूप में जानी जाती हैं। उनका धैर्य, साहस और वीरता, महिलाओं और पुरुषों दोनों लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्त्रोत है। झलकारी बाई का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। झलकारी भी बहुत ही साहसी महिला थीं। अंग्रेजों के साथ झांसी की लड़ाई में झलकारी बाई ने अहम भूमिका निभाई थी क्योंकि अंग्रेजो को धोखा देने के लिए वह खुद रानी लक्ष्मी बाई बनकर लड़ी थीं और सेना की कमान संभाली थी और इस तरह से उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई को भागने का मौका दिया था।
सुचेता कृपलानी
सुचेता कृपलानी (Sucheta Kriplani) का जन्म 1908 में अंबाला में हुआ था। सुचेता कृपलानी भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री रही हैं। वह गांधीवादी विचारधारा के लिए मशहूर थीं और वह हमेशा निडर रही हैं। सुचेता ने महात्मा गांधी के साथ की आंदोलनों में हिस्सा लिया है। वह 1963 से 1967 तक उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री रही थीं। वह एक बंगाली ब्राह्मण परिवार से थीं और उन्होंने अपनी पढ़ाई इंद्रप्रस्थ कॉलेज और पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की थी।
रानी गाइदिनल्यू
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