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कोरोना के चलते लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच जानिए कैसे करें घर में रहकर नवरात्रि की पूजा

Archana Chaturvedi  |  Mar 24, 2020
कोरोना के चलते लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच जानिए कैसे करें घर में रहकर नवरात्रि की पूजा
25 मार्च से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरु हो रहा है और इसका समापन 2 अप्रैल को महानवमी के पावन पर्व के साथ समाप्त होगा। चैत्र में आने वाली नवरात्रि को वासंतिक नवरात्र भी कहा जाता है। इसी के साथ हिन्दू नववर्ष संवत 2077 की भी शुरुआत होगी। लेकिन हर बार की तरह इस साल ये पर्व उतना धूम-धाम से नहीं मनाया जाएगा। 
दरअसल, देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण संक्रमण के केसों के चलते इस बार किसी भी राज्य में न ही पंडाल लगाए जायेंगे और न ही किसी देवी मंदिर को भक्तों के दर्शनों के लिए खोला जाएगा। क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में घबराने या फिर परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। ईश्वर कण-कण में विराजमान है, ये बात हम सब अच्छी तरह से जानते हैं। इसीलिए इस बार घर में ही रहकर देवी मां को प्रसन्न करें। आइए जानते हैं कि कैसे मनाएं घर बैठे इस साल चैत्र नवरात्रि और कैसे करें तैयारी –
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पूजा-पाठ का सामान

लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते पूजा-पाठ का सामान मिलने में मुश्किल हो सकती है। इसीलिए पैनिक न हों। घर पर देवी मां की स्थापना के लिए पुराने साल के बचे हुए सामान का इस्तेमाल करें। बाजारों में भी यही होता है। नया कपड़ा बिछाने के लिए आप पेपर या फिर किसी नई साड़ी या नया दुपट्टा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कलश की जगह लोटा या फिर किसी भी मिट्टी के बर्तन को उपयोग में ला सकते हैं। फूल मिलने में मुश्किल हो रही है तो मखानों का माला बना लें या फिर पत्तियों का भी हार आप देवी मां को अर्पण कर सकते हैं। ईश्वर हमारी श्रद्धा देखता है न कि उसे चढ़ावे में चढ़ाये जाने वाली वस्तु का रूप और कीमत।

वीडियो कॉल के जरिए पूजा

हर साल अगर आप किसी पंडित द्वारा कलश स्थापना और पाठ करवाते हैं तो इस बार भी संभव है। जी हां, आप वीडियो कॉल के जरिए पंडित से ही स्थापना करवा सकते हैं। यही नहीं आप उनसे मंत्र, पूजा-पाठ और हवन भी वीडियो कॉल के जरिए ही करवा सकते हैं। बात रही दक्षिणा की तो आप उन्हें पेटीएम या गूगल पे के जरिए भी भेज सकते हैं।

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घट स्थापना का मुहूर्त और शुभ संयोग

इस बार चैत्र नवरात्रि में कई शुभ योग रहेंगे। जिनमें 4 सर्वाथ सिद्धि योग, 5 रवि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग रहने वाला है। इस योगों की वजह से मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही 30 मार्च 2020 को गुरु शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जायेंगे। जहां शनिदेव भी विराजमान हैं। मंगल भी मकर राशि में ही मौजूद हैं। मीन में सूर्य, कुंभ में बुध, मिथुन में राहु, धनु में केतु, वृषभ में शुक्र रहेंगे। ग्रह योगों के संयोग से भी ये नवरात्रि जातकों के लिए शुभ मानी जा रही है।
शुभ मुहूर्त – सुबह 6.05 से 7.01 तक
चौघड़िया मुहूर्त – सुबह 6.05 से 7.36 तक
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नव दुर्गा पूजन विधि

दुर्गा देवी की आराधना अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराण के अनुसार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ ज़रूरी है।  श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक का विधिपूर्वक पूजन कर इस मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए।
‘नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्‌।’
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कैसे करें भजन-कीर्तन

अकसर हमने देखा है कि नवरात्रि के समय घरों-घरों में बारी-बारी से कीर्तन और भजन संध्या रखी जाती है। जगराते होते हैं और पंडाल लगाए जाते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सकता है। इसीलिए अपने घरों में ही रहकर पूरे परिवार के साथ देवी माता के भजन गाएं। अपने परिवार के साथ कीर्तन संध्या करें। अगर पड़ोसियों को दिक्कत न हो तो आप इस बार अपने घरों की बालकनियों में रहकर भी समूह कीर्तन कर सकते हैं और देवी मां को प्रसन्न कर सकते हैं।

व्रत और खान-पान

वैसे तो लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते सभी राशन, सब्जी और दूध की दुकानें खुली रहेगी। लेकिन एहतियात बरतना ज्यादा आवश्यक है। अगर आपका स्वास्थ्य गवाही नहीं दे रहा है कि आप व्रत रखें तो कोई जरूरत नहीं है। ईश्वर सिर्फ व्रत से नहीं साफ मन से भी प्रसन्न होते हैं। अगर आप व्रत रख रहे हैं तो अपने खान-पान का जरूर ध्यान रखें। अपने शरीर को बिल्कुल भी कष्ट न पहुंचाएं, क्योंकि हालात पहले से ही काफी नाजुक हैं, ऐसे में अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होती है तो डॉक्टर के पास जाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
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कन्या भोज

नवरात्र पर्व के दौरान कुछ लोग उपवास के आखिरी दिन कन्या पूजन और भोजन कराने का संकल्प लेते हैं। कन्या भोज के साथ ही नवरात्र का समापन होता है। लेकिन इस बार की स्थिति को देखते हुए कन्या भोज करना उचित नहीं है। ऐसे में भावनाओं में बहने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सावधानी से बढ़कर कुछ भी नहीं है। आप ईश्वर से ये प्रार्थना कर सकते हैं कि इस कष्ट को वो जल्दी दूर करें और सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएं। उसके बाद आप चाहें जितने भी भोज कराएं कोई दिक्कत नहीं है।

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