गणेश उत्सव को पूरे उमंग और उल्लास के साथ देशभर में मनाया जाता है। गणेश उत्सव के दौरान ऐसा लगता है कि पूरे देश में कोई ऐसा त्योहार चल रहा है, जिसमें रंग और आतिशबाजी दोनों का संगम होता है। गणेश चतुर्थी से प्रारम्भ होकर यह उत्सव अनन्त चतुर्दशी तक, भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन तक मनाया जाता है। इस दिन लोग प्रेम भाव से एक दूसरे से मिलते हैं और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हैं तौर पर महाराष्ट्र में गणेश उत्सव बहुत ही धूमधाम और खास ढंग से मनाया जाता है। हालांकि इस त्योहार को अब दक्षिण भारत व उत्तर भारत में भी बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाने लगा है। लोग श्रद्धा से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना अपने घर, गली, मोहल्ले में करते हैं और रोज उनकी पूजा, आरती व रंगारंग कार्यक्रमों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।
Table of Contents
- Why is Ganesh Utsav celebrated in Hindi | क्यों मनाया जाता है गणेश उत्सव
- Ganesh Chaturthi History in Hindi | कैसे हुई गणेश उत्सव की शुरुआत
- Important things about Ganesh Utsav in Hindi | पहली बार गणेश उत्सव मनाने वालों के लिए जरूरी बातें
- Preparation Tips For Ganesh Utsav in Hindi | कैसे करें गणेश उत्सव की तैयारी
- Rangoli for Ganesh Utsav | गणेश उत्सव के लिए रंगोली आइडियाज
- Ganesh Chaturthi Katha in Hindi
- Why Ganesh Chaturthi is Celebrated for 10 Days in Hindi
- Ganesh Puja Vidhi Vidhan in Hindi | गणेश पूजा का व्रत- विधान
- Ganesh Utsav Prasad Recipe in Hindi | गणेश उत्सव प्रसाद में क्या बनाएं
- गणेश विसर्जन कैसे करें | Ganesh Visarjan in Hindi
- गणेश उत्सव को लेकर पूछे जाने वाले सवाल- जवाब – FAQ’s
Why is Ganesh Utsav celebrated in Hindi | क्यों मनाया जाता है गणेश उत्सव
गणेश उत्सव मनाने के पीछे एक पुरानी कहानी है। दरअसल श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। यहाँ पढ़ें -(Ganesh Chaturthi Shayari in Hindi) गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। गणेश पूजा के लिए लोग गणेश जी की मूर्ति को घर लाते हैं और पूरी भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं। उसके बाद तीन, पांच या दस दिन बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन करने के पीछे मान्यता है कि जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो कुछ लेकर आते हैं, इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं, वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं। इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख- समृद्धि कायम रहती है। गणेश चतुर्थी के दिन से गणेश उत्सव का आरंभ होता है और फिर 11वें दिन यानि अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ इसका समापन होता है।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
Ganesh Chaturthi History in Hindi | कैसे हुई गणेश उत्सव की शुरुआत
गणेश उत्सव की शुरुआत सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस त्योहार को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भारत के दक्षिण और पश्चिम राज्यों में इस त्योहार की विशेष धूमधाम रहती है। अंत तक जरूर पढ़ें Ganesh Chaturthi Information in Hindi, बताया जाता है कि भारत में जब से पेशवाओं का शासन था, तब से वहां गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पूना के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा नामक राजमहल में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पेशवाओं के राज्यों पर अधिकार कर लिया। तब से वहां इस त्योहार की रंगत कुछ फीकी पड़नी शुरू हो गई। लेकिन फिर लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi in Hindi) पर विचार किया और उन्होंने पुणे में सन 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की। तब यह तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी) तक गणेश उत्सव मनाया जाए और तब से पूरे महाराष्ट्र में यह उत्सव 11 दिन तक मनाया जाने लगा। उसके बाद देश के बाकी राज्यों में भी इस पर्व को सेलिब्रेट किया जाने लगा।
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Important things about Ganesh Utsav in Hindi | पहली बार गणेश उत्सव मनाने वालों के लिए जरूरी बातें
गणपति की अनुमति के बिना किसी भी देवता का कोई भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता, इसलिए किसी भी मंगल कार्य या देवता की पूजा से पहले गणपति पूजन करना चाहिए। गणपति द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं। इसी विधि को महाद्वार पूजन या महागणपति पूजन कहते हैं। आप भी इसी विधि- विधान के साथ अपने घर पर गणेश जी को स्थापित कर सकते हैं। हां, इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आगे हम आपको बताएंगें Ganesh Chaturthi in Hindi से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
गणेश जी की सूंड
अगर आप घर में पहली बार मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि मूर्ति की सूंड बाईं ओर होनी चाहिए। कई लोग मां गौरी और भगवान गणेश को एक साथ पूजते हैं। इसलिए घर में स्थापित की जाने वाली मूर्ति की सूंड की दिशा की ओर अवश्य ध्यान दें।
बप्पा के दर्शन
गणपति जी की मूर्ति ऐसे स्थापित करनी चाहिए कि बप्पा की पीठ किसी भी कमरे की ओर न हो। सिर्फ उनके मुंह के दर्शन ही होने चाहिए। ऐसा माना गया है कि उनकी पीठ के पीछे दरिद्रता का निवास होता है।
दिशाओं का खास ख्याल
भगवान की मूर्ति को कभी भी घर में बिना दिशाओं के ज्ञान के न रखें। खासकर गणपति जी की मूर्ति को भूलकर भी कभी दक्षिण दिशा की ओर स्थापित न करें। कोशिश करें कि मूर्ति को पूर्व या पश्चिम की ओर ही स्थापित करें। इससे बप्पा आपकी मनोकामना पूरी करेंगे।
जगह पहले से बना लें
घर में बप्पा को लाने से पहले ही उनकी स्थापना की जगह बना लें। कभी भी सीढ़ियों के नीचे भगवान की मूर्ति को स्थापित न करें क्योंकि सारा दिन सीढ़ियों से ऊपर- नीचे आते- जाते रहते हैं और धर्म के अनुसार, यह ईश्वर का अपमान है। वास्तु के हिसाब से ऐसा करने से घर में दुर्भाग्य आता है।
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Preparation Tips For Ganesh Utsav in Hindi | कैसे करें गणेश उत्सव की तैयारी
गणेश उत्सव के लिए बप्पा को घर में स्थापित करना होता है इसलिए उसकी तैयारियां कई दिन पहले से करनी होती है। बप्पा की मूर्ति घर में स्थापित करने से पहले ऐसी कई महत्वपूर्ण तैयारियां हैं, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है। अगर आप इन दिनों गणेश जी के भजन सुनना पसंद करते हैं तो सुनें ये (Ganesh Chaturthi bhajans in Hindi), जानें, गणेश उत्सव की तैयारी का सही तरीका।
अच्छी मूर्ति का चयन करें
गणेश उत्सव के लिए बाजारों में तरह- तरह के गणेश जी की मूर्तियां मिल जाती है। इसलिए चुनते वक्त काफी मुश्किल होता है कि कौन सी मूर्ति चुनें। मूर्ति खरीदने के दौरान सबसे पहले गणेश जी की सूंड देखें कि वह किस तरफ है। उसके बाद उनके दोनों पैरों को देखें। दरअसल जिस मूर्ति में गणेश जी के पैर जमीन को स्पर्श कर रहे होते हैं, वह मूर्ति शुभ होती है और इससे कामों में स्थिरता और सफलता मिलती है। इसके अलावा अगर आप कुछ दिन पहले से ही मूर्ति का चयन कर लेंगे तो वह आपको महंगी भी नहीं पड़ेगी और आपको मनचाही मूर्ति भी मिल जाएगी। यहाँ क्लिक करके पढ़ें गणेश विसर्जन कब है (Ganpati Visarjan Kab Hai) ?
पूजा पांडाल की जगह चुन लें
घर में गणेश उत्सव मनाने के लिए पूजा पांडाल का ध्यान रखने में ज्यादा दिक्क्त नहीं होती लेकिन जब सार्वजनिक पूजा पांडाल लगा रहे हों तो उसका खास ध्यान देना पड़ता है। सोसाइटीज में गणेश पूजा के लिए जो पूजा पांडाल लगता है, उसमें ध्यान देना पड़ता है कि वहां कितने लोग आ पाएंगे या फिर वह जगह पूजा के लिए ठीक है या नहीं।
मिठाइयों की लिस्ट बना लें – Make a List Of Sweets
गणेश उत्सव के दौरान मिठाइयों का खूब लेन- देन होता है। बप्पा के भोग से लेकर मेहमानों तक में मिठाई बांटी जाती है इसलिए कुछ दिन पहले ही कौन सी मिठाई बनानी है या फिर खरीदनी है, उसकी लिस्ट बना लें। ताकि उस समय किसी तरह की कोई भूल न हो।
मोदक बनाने का सामान
गणेश उत्सव के दौरान लोग अपने घरों में बप्पा को भोग लगाने के लिए उनका पसंदीदा मोदक बनाते हैं। अगर गणेश उत्सव के दौरान मोदक का सामान लेने बाजार जाएं तो कई बार वह मिलता भी नहीं है क्योंकि उस समय मांग बहुत ज्यादा होती है। इसलिए आप पहले ही घर पर मोदक का सारा सामान लाकर रख लें ताकि बाद में आपको परेशान न होना पड़े।
सजावट का सामान रख लें
गणेश उत्सव के दौरान घर में खूब सजावट की जाती है, जिसमें भांति- भांति के रंग- बिरंगे फूल होते हैं। इसलिए सजावट के लिए फूल और बाकी का सामान पहले ही लाकर रख लें। इससे आपको सही कीमत पर सब चीजें मिल जाएंगी।
Rangoli for Ganesh Utsav | गणेश उत्सव के लिए रंगोली आइडियाज
बिना रंगोली के गणेश उत्सव का मजा नहीं आता। जब तक दरवाजे पर अलग-अलग रंगों की रंगोली न बनी हो तो लगता ही नहीं है कि घर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। इसलिए आपको कौन सी रंगोली बनानी है और उसमें किस- किस रंग का प्रयोग करना है, पहले ही सोच कर अपने पास रख लें। यूं तो गणेश उत्सव पर रंगोली (Ganesh Chaturthi 2022 Rangoli) में सबसे ज्यादा लाल, पीले, नीले और हरे रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि ये रंग शुभ होते हैं और गणेश जी को पसंद भी आते हैं। Ganesh Chaturthi 2022 Rangoli को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले।
Ganesh Chaturthi Katha in Hindi – गणेश चतुर्थी कथा इन हिन्दी
श्री गणेश चतुर्थी व्रत को लेकर एक नहीं बल्कि कई पौराणिक कथा प्रचलन में है. कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के पास बैठे थें।वहां देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से समय व्यतीत करने के लिये चौपड का खेल खेलने को कहा. भगवान शंकर चौपड खेलने के लिये तो तैयार हो गये।परन्तु इस खेल मे हार-जीत का फैसला कौन करेगा?
जब यह प्रश्न उठा, इसके जवाब में भगवान भोलेनाथ ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका पुतला बना दिया और उस पुतले की प्राण प्रतिष्ठा कर दी. और पुतले से कहा कि बेटा हम चौपड खेलना चाहते है, परन्तु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला यहाँ कोई नहीं है, इसलिये तुम बताना की हम मे से कौन हारा और कौन जीता?
यह कहने के बाद चौपड का खेल शुरु हो गया। खेल तीन बार खेला गया, और संयोग से तीनों बार पार्वती जी विजयी साबित हुईं। खेल के समाप्त होने पर जब उस बच्चे से हार-जीत का फैसला करने के लिये कहा गया, तो बालक ने महादेव को विजयी बताया, यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गई, और उन्होंने क्रोध में आकर बालक को लंगड़ा होने और गंदे कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता से माफी मांगी और कहा की मुझसे अज्ञानता वश ऐसा हुआ, मैनें किसी द्वेष में ऎसा नहीं किया। बालक के क्षमा मांगने पर माता ने कहा की, यहां गणेश पूजन के लिये नाग कन्याएं आयेंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऎसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगें, यह कहकर माता, भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गई।
फिर पूरे एक वर्ष बाद उस स्थान पर नाग कन्याएं आईं। नाग कन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि मालुम करने पर उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया। उसकी श्रद्वा देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए. और श्री गणेश ने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिये कहा. बालक ने कहा की है विनायक मुझमें इतनी शक्ति दीजिए, कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वो यह देख प्रसन्न हों।
बालक को यह वरदान दे, श्री गणेश अन्तर्धान हो गए। बालक इसके बाद कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और अपने कैलाश पर्वत पर पहुंचने की कथा उसने भगवान महादेव को सुनाई। उस दिन से पार्वती जी शिवजी से विमुख हो गई। देवी के रुष्ठ होने पर भगवान शंकर ने भी बालक के बताये अनुसार श्री गणेश का व्रत 21 दिनों तक किया। इसके प्रभाव से माता के मन से भगवान भोलेनाथ के लिये जो नाराजगी थी। वह समाप्त हुई।
यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। यह सुन माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई.।माता ने भी 21 दिन तक श्री गणेश व्रत किया और दुर्वा, पुष्प और लड्डूओं से श्री गणेश जी का पूजन किया। व्रत के 21 वें दिन कार्तिकेय स्वयं पार्वती जी से आ मिलें। उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामना पूरी करने वाला व्रत माना जाता है।
Why Ganesh Chaturthi is Celebrated for 10 Days in Hindi | गणेश चतुर्थी 10 दिन तक क्यों बनाई जाती है ?
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि उत्सव शुरू होने से पहले, भक्तों द्वारा भगवान गणेश की मूर्ति को घर लाया जाता है और यह पूजा दस दिन तक चलती है। गणेश चतुर्थी की पूजा (Ganesh Chaturthi in Hindi) मुहूर्त को ध्यान में रखकर किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन 10 दिनों के दौरान भगवान गणेश पृथ्वी पर कृपा करते हैं और अपने भक्तों के लिए सुख और समृद्धि लाते हैं। यही कारण है कि गणेश भगवान की अधिकाधिक कृपा पाने के लिए यह त्यौहार दस दिनों तक मनाया जाता है।
Ganesh Puja Vidhi Vidhan in Hindi | गणेश पूजा का व्रत- विधान
गणेश पूजा करने के 4 मुख्य रिवाज होते हैं। इसमें सबसे पहला रिवाज त्योहार के पहले दिन घर में मूर्ति की स्थापना के साथ शुरू होता है, इसके बाद गणेश जी के 16 रूपों की पूजा की जाती है। तीसरे रिवाज में गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थानांतरित किया जाता है और इसके आखिरी रिवाज में इस प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है। इसे ही गणपति विसर्जन के रूप में मनाया जाता है।
व्रत- विधान की पूरी जानकारी
- सबसे पहले गणेश जी को उनकी जगह पर रखें और उन्हें साफ करें।
- फिर भगवान विघ्नेश के सामने बैठकर ब्राह्मणों से मंत्र पाठ कराएं।
- भगवान शंकर जी, पार्वती जी और गणेश जी की पूजा करके सभी पितरों और ग्रहों को याद करें और उसके बाद उन सभी की पूजा करें।
- कलश स्थापित करके उसमें सप्तमृत्तिका गुग्गल आदि द्रव्य और सुगंधित पदार्थ डालें।
- शंकर जी, पार्वती जी और गणेश जी को पहले पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शंकर जी, पार्वती जी और गणेश जी को उनके सिंहासन पर बैठाएं।
- फिर उन्हें यज्ञोपवित पहनाएं।
- अब सभी को स्नान कराके शंकर, जी पार्वती जी और गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें।
- एक थाली में चंदन, रोली, सिंदूर और फिर चावल को रखें। अब इन्हें तीनों पर चढ़ाएं।
- सभी देवी- देवताओं को पुष्प माला और आभूषण प्रदान करें।
- गणेश जी को अष्टदुर्वा अर्पित करें।
- अब गणेश जी को मिष्ठान का भोग लगाएं, गणेश जी को मोदक और बूंदी के लड्डू अति प्रिय हैं, उनका भोग अवश्य लगाएं।
- उसके पश्चात ऋतु फल अर्पित करें और उसके साथ पान, लौंग, इलायची और दक्षिणा चढ़ाएं।
- फिर गणेश जी और शंकर जी की आरती करें। जो लोग मूर्ति स्थापित करें, वे विसर्जन वाले दिल हवन अवश्य करें।
Ganesh Utsav Prasad Recipe in Hindi | गणेश उत्सव प्रसाद में क्या बनाएं
गणेश चतुर्थी का त्योहार आते ही बप्पा के भक्त ढोल- नगाड़ों के साथ भगवान गणेश को अपने घर लाने में जुट जाते हैं। लोग इस मौके पर गणपति बप्पा की पूजा- अर्चना कर उनसे अपने घर में सुख- शांति बनाए रखने की कामना करते हैं। इसके अलावा एक और चीज ऐसी है, जिसका जिक्र इस मौके पर सबसे ज्यादा किया जाता है, वह है गणेश उत्सव का प्रसाद, मोदक। तो चलिए आज आपको बताते हैं इसे बनाना का क्या है सही और खास तरीका।
प्रसाद बनाने के लिए सामग्री
- चावल का आटा- 2 कप
- गुड़- 1.5 कप (बारीक)
- कच्चा नारियल- 2 कप कद्दूकस हुआ
- काजू और किशमिश- इच्छानुसार
- इलायची- 5 से 6
- घी- 1 टेबल स्पून
- नमक- आधी छोटी चम्मच
प्रसाद बनाने की विधि
स्टेप 1- सबसे पहले मोदक में भरने के लिए पिट्ठी बनाएं। इसके लिए गुड़ और नारियल को कड़ाही में डालकर गरम होने के लिए रख दें।
स्टेप 2- इसे तब तक चलाते रहें, जब तक कि यह मिश्रण गाढ़ा न बन जाए। इस मिश्रण में किशमिश और इलायची मिला दें।
स्टेप 3- अब 2 कप पानी में एक छोटा चम्मच घी डालकर गरम होने के लिए रख दें। जैसे ही पानी उबल जाए, गैस बंद कर दें। अब इसमें चावल का आटा और नमक डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। इसके बाद इस मिश्रण को करीब 5 मिनट के लिए ढक कर रख दें।
स्टेप 4- चावल के आटे को बड़े बर्तन में निकाल कर हाथ से नरम करके आटा गूंथ लें। ध्यान रहे कि आटा मुलायम ही रहे।
स्टेप 5- अब घी की सहायता से मोयन तैयार कर लें। इसके बाद थोड़ा सा आटा लें और उसे चाहें तो छोटे साइज का बेल लें या फिर हथेली से ही बड़ा कर लें।
स्टेप 6- इसके बाद इसमें बीच में पिट्ठी को भरें और उंगलियों से मोड़ते हुए मोदक का शेप दें। अब किसी बर्तन में 2 गिलास पानी डालकर खौलने दें और उसके ऊपर छलनी या फिर किसी स्टैंड के ऊपर मोदक को रखकर पका लें। अब बप्पा को भोग लगा दें।
गणेश विसर्जन कैसे करें | Ganesh Visarjan in Hindi
गणेश जी का डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन और 7 दिन के बाद विसर्जन किया जाता है। यहाँ पढ़ें – Ganesh Visarjan in Hindi 2022 परंपरानुसार कहा जाता है कि श्री गणेश प्रतिमा को उसी तरह विदा किया जाना चाहिए जैसे हमारे घर का सबसे प्रिय व्यक्ति जब यात्रा पर निकले, तब हम उनके साथ व्यवहार करते हैं। इस दिन आप प्रियजनों को गणेश विसर्जन कोट्स (Ganesh Visarjan Quotes) भी भेज सकते हैं। नाचते- गाते हुए बप्पा को विदा कर आशीर्वाद मांगते हैं कि अगले साल भी बप्पा इसी तरह से हमारे घर आना। बप्पा के विसर्जन का ये है तरीका।
- विसर्जन के दिन बप्पा को खास भोग लगाएं और उस दिन उपवास रखना जरूरी होता है।
- उसके बाद एक स्वच्छ पाटा लें। उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें। घर की स्त्री उस पर स्वास्तिक बनाए। उस पर अक्षत रखें। इस पर एक पीला, गुलाबी या लाल सुसज्जित वस्त्र बिछाएं।
- उस कपड़े पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेरें। साथ में पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें।
- अब बप्पा की मूर्ति को उस पर रखें और पूजा करें। पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें।
- अब श्री गणेश को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और इस पाटे पर विराजित करें। पाटे पर विराजित करने के उपरांत उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक रखें।
- उसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं। अगर प्रतिमा छोटी हो तो गोद या सर पर रख कर ले जाएं।
- प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें।
- विसर्जन के लिए जाते वक्त चमड़े की बेल्ट, घड़ी और पर्स पास में न रखें, नंगे पैर ही मूर्ति का विसर्जन करें।
- नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती पुन: संपन्न करें। बप्पा की विदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगें।
- ध्यान रहे कि गणेश प्रतिमा को फेंकें नहीं, बल्कि उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री के साथ धीरे- धीरे बहाएं।
गणेश उत्सव को लेकर पूछे जाने वाले सवाल- जवाब – FAQ’s
1. ईको फ्रेंड्ली गणपति का विसर्जन कैसे किया जाना चाहिए?
ईको फ्रेंड्ली गणपति को आप अपने घर में भी विसर्जित कर सकते हैं। क्योंकि वे पूरी तरह से पानी में गलकर विलीन हो जाएंगे। वे आधे- अधूरे और टूट- फूट के साथ रुकेंगे नहीं। उन्हें घर में विसर्जित कर अपने गमले में वह पानी डाल कर हमेशा अपने पास रख सकते हैं।
2. गणेश जी को घर में कितने दिन तक रख सकते हैं?
गणेश जी को घर में 10 दिन या डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन और 7 दिन तक रख सकते हैं।
3. गणेश उत्सव पर गणेश जी के अलावा और किस- किस भगवान की पूजा करते हैं?
गणेश जी के अलावा आप शिवजी और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं। उनकी मूर्ति भी बप्पा के साथ लगा सकते हैं।
4. गणेश भगवान को किन किन नामो से जाना जाता है?
गणेश जी को सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन इत्यादि सुंदर नामों से जाना जाता है।
5. साल 2022 में गणेश चतुर्थी कब पड़ेगी?
हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी हर साल भादपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। साल 2022 में यह महोत्सव 31 अगस्त यानी को मनाया जाएगा।
6. 2022 गणेश विसर्जन मुहूर्त क्या है?
पंचांग के अनुसार, 2022 गणेश विसर्जन मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 35 मिनट तक है।
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कभी नहीं करने चाहिए गणपति की पीठ के दर्शन, जानिए ऐसी 10 गुप्त बातें – पुराणों के अनुसार गणपति के प्रत्येक अंग अलग-अलग चीजों का प्रतीक होती हैं इसलिए जानिए पीठ के बारे में शास्त्र क्या कहते हैं?
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