“सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्।। परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।। वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे। हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ।। ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतम पापम् स्मरनिणां विनस्यति।।” शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा अपरम्पार है। पुराणों में उन्हें सृष्टि का जन्मदाता भी माना जाता है। वो देवों के देव हैं इसीलिए महादेव कहलाते हैं। वे कभी रुद्र तो कभी भोलेनाथ बन जाते हैं। यूं तो देश भर में लाखों शिव मंदिर और शिव धाम हैं लेकिन 12 ज्योतिर्लिंग का सबसे खास महत्व है। धर्म के जानकार कहते हैं कि जो भी मनुष्य रोजाना सुबह उठकर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है, उन प्रमुख 12 शिवलिंगों का मन से ध्यान करता है, उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।
इसे पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। जानकार बताते हैं कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। मुगल शासकों द्वारा 17 बार नष्ट किये जा चुके इस मंदिर का हर बार पुनर्निर्माण किया गया है।
कैसे पहुंचें - सोमनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल में है। यह स्टेशन कोंकण लाइन पर पड़ता है और सोमनाथ से 5 किमी दूर है और निकट हवाई अड्डा अहमदाबाद, दीव और वड़ोदरा हैं।
आंध्रप्रदेश में श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। यहां शिव पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इसके दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसके दैहिक, दैविक और भौतिक ताप भी नष्ट हो जाते हैं।
कैसे पहुंचें - इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मरकापुर है और निकट हवाई अड्डा हैदराबाद।
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मध्यप्रदेश, उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। कहते हैं कि महाकाल का दर्शन करने से सपने में भी किसी प्रकार का दुःख अथवा संकट नहीं आता है।
कैसे पहुंचें - महाकालेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन है और निकट हवाई अड्डा इंदौर है।
मध्यप्रदेश के मान्धाता पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग ओंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। इसी के साथ ही अमलेश्वर ज्येतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है।
कैसे पहुंचें - ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मोरटक्का है और निकट हवाई अड्डा इंदौर है।
इसे बैद्यनाथ या वैजनाथ मंदिर भी कहा जाता है। यह झारखंड के संताल परगना क्षेत्र के देवघर में स्थित है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आने वालों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचें - वैद्यनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन देवघर है और निकट हवाई अड्डा पटना है।
महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद श्रद्धा से इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
कैसे पहुंचें - भीमाशंकर मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पुणे है और निकट हवाई अड्डा भी पुणे का ही है।
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यह मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में एक सुंदर शंख आकार द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि उत्तर भारत में जो मान्यता काशी की है, वही दक्षिण में रामेश्वर तीर्थ की है। लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने यहीं शिवलिंग की स्थापना की थी। श्रीराम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम पड़ा।
कैसे पहुंचें - रामेश्वरम मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रामेश्वरम है और निकट हवाई अड्डा मदुरई है।
इसे नागनाथ मंदिर भी कहा जाता है। भगवान शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा। कहा जाता है कि इस मंदिर में शिव की उत्पत्ति का माहात्मय सुनने वाला हर व्यक्ति परमपद को प्राप्त करेगा।
कैसे पहुंचें - रामेश्वरम मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन द्वारका है। नागेश्वर में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है, इसका नज़दीकी एयरपोर्ट है जामनगर एयरपोर्ट। यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यहीं उतरना होगा, उसके बाद वहां से द्वारका जा सकते हैं।
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काशी को भोले की नगरी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बाबा विश्वनाथ के एक बार दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजे हैं। यहां हर रोज आस्था का जन सैलाब उमड़ता है। लाखों श्रद्धालु यहां रोजाना दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि पवित्र गंगा में स्नान और बाबा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कैसे पहुंचें - काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वाराणसी सिटी है और निकट हवाई अड्डा वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है।
यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि पर्वत के समीप गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को गोदावरी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है, जिसे दक्षिण की गंगा भी कहते हैं। मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे- छोटे लिंग हैं, जिन्हें त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है।
कैसे पहुंचें - त्र्यम्बकेश्वर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक है और निकट हवाई अड्डा मुंबई एयरपोर्ट है।
हिमालय की केदारनाथ नामक चोटी पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर महीने के बीच ही खुला रहता है। यह तीर्थ चारों धाम की यात्रा में से एक है।
कैसे पहुंचें - केदारनाथ पहुंचने के लिए अगर आप रेल मार्ग अपनाना चाहते हैं तो ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहां से टैक्सी के माध्यम से गौरीकुंड पहुंचेंगे और फिर वहां से से केदारनाथ धाम। एयरपोर्ट की सुविधा दिल्ली या देहरादून तक ही है।
12 ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इसे घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। दूर- दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
कैसे पहुंचें - घृष्णेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन औरंगाबाद है और निकट हवाई अड्डा भी औरंगाबाद का ही है।
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