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दिन में दो बार दर्शन देकर समुद्र की गोद में छुप जाता है यह अनोखा मंदिर

Deepali Porwal  |  Mar 19, 2019
दिन में दो बार दर्शन देकर समुद्र की गोद में छुप जाता है यह अनोखा मंदिर

अभी तक आपने कई प्राचीन मंदिरों और उनसे जुड़े किस्सों के बारे में सुना होगा। कुछ मंदिर (temple) प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण प्रसिद्ध होते हैं तो वहीं कुछ अभी भी अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। गुजरात का ऐसा ही एक खास मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए काफी मशहूर है। जानिए, उसके बारे में।

भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर

भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर की ही तरह गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev Temple) अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए मशहूर है। दरअसल, भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद समुद्र की गोद में समा जाता है। यह खास मंदिर गुजरात (Gujarat) के कावी- कंबोई गांव में स्थित है। यह अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है। यह चमत्कारी मंदिर सुबह और शाम, दिन में बस दो बार नज़र आता है।

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शिव जी के भक्तों को उनके दर्शन करवाने के बाद यह मंदिर समुद्र में लुप्त हो जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है।

शिवपुराण में विशेष उल्लेख

शिवपुराण के मुताबिक, ताड़कासुर नामक एक शिव भक्त असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। बदले में शिव जी ने उसे मनोवांछित वरदान दिया था, जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था। उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए। यह वरदान हासिल करने के बाद ताड़कासुर ने तीनों लोक में हाहाकार मचा दिया था। इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि- मुनि ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी। उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे। कार्तिकेय ने उनका वध तो कर दिया था पर बाद में उस असुर के शिव भक्त होने की जानकारी मिलने पर उन्हें बेहद शर्मिंदगी का एहसास हुआ था।

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कार्तिकेय का प्रायश्चित है मंदिर

कार्तिकेय को जब शर्मिंदगी का एहसास हुआ तो उन्होंने भगवान विष्णु से प्रायश्चित करने का उपाय पूछा। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें उस जगह पर एक शिवलिंग स्थापित करने का उपाय सुझाया, जहां उन्हें रोज़ाना माफी मांगनी होगी।

इस तरह से उस जगह पर शिवलिंग स्थापित हुआ, जिसे बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना गया। यह मंदिर रोज़ाना समुद्र में डूबता है और फिर वापस आकर अपने किये की माफी मांगता है। स्तंभेश्वर महादेव में हर महाशिवरात्रि और अमावस्या पर मेला लगता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए एक पूरे दिन का समय निश्चित करना चाहिए, जिससे कि इस चमत्कार को दे्खा जा सके।

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