महाशिवरात्रि के त्योहार में शिव की विशेष पूजा का महत्व है। मगर कुछ चीज़ें ऐसी है जो खास कर भगवान शंकर को चढ़ाया जाता है। इसमें भांग, धतूरा और बेलपत्र शामिल है। आमतौर पर हम सभी यह जानते हैं की यह सामाग्री भगवान को खुश करने के लिए चढ़ाई जाती है। मगर कभी आपने सोचा है अगर भांग और धतूरा न भी तो बेलपत्र मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। आखिर बेलपत्र चढाने का महत्व क्या है? बेलपत्र के बिना शिवजी की पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है? चलिए जानते हैं शिवजी की पूजा में बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है।
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महाशिवरात्रि पर परिजनों से लेकर सोशल मीडिया तक आप भी हर हर महादेव के नारे लगाएं और शेयर करना न भूलें महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। ये शिवरात्रि आपके और आपके परिवार के लिए शुभ हो। चलिए जाने शिवरात्रि पूजा में बेलपत्र का महत्व।
बेलपत्र क्या है? – What is Bel patra in Hindi
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहा जाता है। बेल-पत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं, जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। कुछ कहावतों के अनुसार बेलपत्र को महादेव की तीसरी आँख माना जाता है। वही कुछ कहावतों का कहना है की यह उनके शस्त्र त्रिशूल का प्रतीक है। बेलपत्र के औषधीय प्रयोग भी होते हैं जिनसे कई तरह की बीमारियां दूर की जा सकती हैं। हमेशा बेलपत्र के साथ जल अर्पित करना चाहिए वरना बेलपत्र चढ़ाने का महत्व कम हो जाता है।
बेलपत्र से जुड़ें रोचक तथ्य – About Bel Patra in Hindi
About Bel Patra in Hindi
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सागर मंथन के दौरान समुद्र से कई चीजें निकली जिनमें से कुछ अच्छी थी और कुछ बुरी थी। जिसमें से हलाहल नामक विष भी निकला। जो इतना भयानक विष था कि इसके प्रभाव से पूरे संसार का विनाश हो सकता था। संसार की रक्षा और देवताओं के हित के लिए भगवान शिव ने इस विष को पी लिया और यह विष उनके कंठ में रह गया, इसलिए उनका एक नाम नीलकंठ भी हो गया।
मगर विष के प्रभाव से भगवान शिव का मस्तिष्क गर्म हो गया और वो बेचैन हो उठे। उनके कंठ में जलन होने लगी। जिससे देवताओं ने उनके सर पर जल डालना शुरू किया तो उनके सर की जलन दूर हो गयी लेकिन कंठ की जलन बनी रही। इसके बाद देवताओं ने उन्हें बेलपत्र खिलाना शुरू किया क्योंकि बेलपत्र में विष के प्रभाव को ख़त्म कर देने का गुण होता है। यह एक तरह की ओषधि मानी जाती है। तबसे शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्त्व माना जाता है। बिना बेलपत्र के शिवजी जी की की पूजा अधूरी मानी जाती है।
बेलपत्र चढ़ाने की शिव कथा
एक समय की बात है एक बार एक भील शिवरात्री की रात अपने घर नहीं जा पाता है और पूरी रात एक बिल्व के वृक्ष पर बिता देता है। उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग होता है और पेड़ पर सोते-सोते भील के हाथों बार-बार बेलपत्र टूटकर उस शिवलिंग पर गिरते रहते हैं। सुबह जैसे ही उस भील की आँख खुलती है, उसे भगवान शिव के दर्शन प्राप्त होते है। भगवान शिव उससे कहते हैं कि उसने पूरी रात उन्हें बिल्वपत्र चढ़ाकर प्रसन्न कर दिया है। इसलिए वो उसे सुख-संपत्ति का वरदान देते हैं। तभी से भक्त भगवान शिव की उपासना के लिए बेलपत्र विशेष रूप से चढ़ाया जाने लगा।
अगर आप भी अपने घर में महाशिवरात्रि की विशेष पूजा करते हैं तो इस बात का ख़ास ख्याल रखें के पूजा में किस तरह के बेलपत्र चढ़ाये और इसका क्या महत्व है। पूजा के दौरान सभी को यह पता होना चाहिए की बेलपत्र के बिना भोले भंडारी की पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है।
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