भगवान शिव को ही मात्र ऐसा भगवान माना जाता है, जो स्वर्ग के सिंहासन और सभी आडंबरों से दूर हिमालय पर्वत पर विराजमान हैं। गले में सर्प, सिर पर गंगाधरा और हाथ में त्रिशूल धारण किए भगवान शिव देवों के देव यानि महादेव कहलाए जाते हैं और उन्हें ही सृष्टि का आदि कारण माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु समेत समस्त सृष्टि का उद्भव हुआ है। ऐसा माना जाता है कि उनका न तो कोई आरंभ है और न ही अंत। इसी कारण से वे अवतार न होते हुए साक्षात ईश्वर माने जाते हैं। उन्हीं शिव का सबसे प्रमुख और महापर्व है महाशिवरात्रि। इस साल यह पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। सनातन धर्म के साधकों के लिए महाशिवरात्रि का महत्व (Importance of maha shivratri) बहुत अधिक है। यह पर्व और यह उन्हें किस प्रकार नई शक्ति और चेतना प्रदान करता है, आइए जानते हैं महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Why is Maha shivratri celebrated) और क्या है महाशिवरात्रि की कथा?
जानिए क्या होती है महाशिवरात्रि? - What is Maha Shivratri
मान्यताओं के अनुसार शिव पूजन से न सिर्फ मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो सकता है बल्कि उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि विधि और भक्तिपूवर्क शिव पूजन करने से साधक के मन की बात भगवान शिव तक ज़रूर पहुंचती है। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण से शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन की बाधाओं को दूर करने में भक्तों के सहायक बनते हैं। धार्मिक ग्रंथों में शिव की अनंत महिमाओं का वर्णन है, उनसे जुड़ी अनेक कथाएं हैं, अनेक स्वरूप हैं, पर्व, व्रत और पूजन विधियां भी हैं। शिव भक्ति का ही पर्व है महाशिवरात्रि, जो आध्यात्मि पथ पर चलने वाले हिंदू साधकों के लिए विशेष महत्व रखता है।
आध्यात्मकि गुरुओं का मानना है कि महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। हिंदुओं में इसे एक उत्सव मनाया जाता है, जो पूरी रात चलता है। यही वजह है कि इसे शिव की महारात्रि भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? - Why is Shivratri Celebrated
हर माह की कृष्ण पक्ष चर्तुदशी को मास शिवरात्रि होती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चर्तुदशी को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है। इस पर्व को लेकर हिंदू मान्यताओं में एक नहीं बल्कि कई कथाओं का वर्णन है (Maha shivratri katha in hindi), जिनमें दो सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।
एक तरफ जहां पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग इस तिथि को भगवान भोलेनाथ और आदि शक्ति मां पार्वती के विवाह के रूप में मनाते हैं वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा जाता है कि इस दिन ही शिव जी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। महाशिवरात्रि को शिव के जन्मदिन के रूप में भी मनाने का प्रचलन है।
कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं कि इस दिन ही ब्रह्मा जी ने शंकर का रूद्र रूप अवतरण किया था। एक अन्य कथा के मुताबिक इस दिन ही शिव जी ने कालकूट नाम का विष पिया था, जो समुद्र मंथन से निकला था। यही वह दिन है जब शिव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। यानि साधकों के बीच भले ही इस पर्व को मनाने के कारण अलग हों लेकिन महाशिवरात्रि पर उनकी भक्ति चरम पर होती है।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि की तरह इसकी पूजा सामग्री भी खास होती है। इस दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण धूप, दीप, अक्षत, सफेद, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, घी, शक्कर, शहद, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेल, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण, कुशासन आदि से उनकी पूजा करते हैं।
महाशिवरात्रि की पूजन विधि - Maha Shivaratri Puja Vidhi
शिवरात्रि में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। उन्हें गंगाजल, घी, शहद, चीनी के मिश्रण से भोलेनाथ को स्नान कराना चाहिए। उसके बाद शिवलिंग पर चंदन लगाकर शिव जी को प्रिय अकौड़े का फूल, बेल का फल, बेलपत्र, धतूरा, शमीपत्र की पत्तियां, नैवेद्य बूल (
पान के पत्ते पर लौंग, इलायची, सुपारी तथा कुछ मीठा रखकर बूल बनायें), पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद मिलाकर) और भांग आादि अर्पित करके आराधना करनी चाहिए. क्योंकि शिव भोलेनाथ भी हैं इसलिए माना जाता है कि वह अकौड़े के फूल, बेल, धतूरा आदि जैसी साधारण वस्तुओं से भी प्रसन्न हो जाते हैं।
शिवपुराण का पाठ और शिवपंचाक्षर का जाप
इस दिन शिवपुराण का पाठ करना शुभ माना जाता है। शिव पुराण में महाशिवरात्रि पर दिन-रात पूजा के बारे में कहा गया है। इसके अनुसार शिवरात्रि पर शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है। चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (ऊं नम: शिवाय) मंत्र का जाप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती व परिक्रमा करें।
ज्यादातर भक्त इस दिन व्रत रखते हैं लेकिन अगर आपने व्रत नहीं किया है तो आप सामान्य पूजा भी कर सकते हैं, जिसमें शिवलिंग को पवित्र जल, दूध और शहद से स्नान करवाकर बेलपत्र अर्पित करें। इसके बाद धूप बत्ती करें और फिर दीपक जलाएं। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत का फल - Shivratri Fasting
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि का व्रत मनुष्य के सभी पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है। सभी दुखों को दूर करने की इसमें क्षमता होती है। इस व्रत के प्रभाव से सभी तरह के पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। महिलाएं और लड़कियां इस व्रत को विशेष कामना से रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है और जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है वे सौभाग्यशालिनी बनी रहती हैं।
मान्यताओं के अनुसार व्रत से प्राप्त होने वाले पुण्य लाभ
1. अविवाहितों की शीघ्र शादी होती है।
2. सुहागिनों का सौभाग्य अखंड रहता है।
3. दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता और सामंजस्य बना रहता है।
4. संतान सुख मिलता है।
5. धन, धान्य, यश, सुख, समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
6. आरोग्य का वरदान मिलता है।
7. नौकरी व करियर में मनचाही सफलता मिलती है।
8. शत्रुओं का विनाश होता है।
9. बाहरी भूत, प्रेत बाधा आदि से चमत्कारी ढंग से रक्षा होती है क्योंकि भगवान शिव स्वयं उनके स्वामी माने जाते हैं।
10. इस व्रत से आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप की महिमा
यूं तो शिव जी के बीज मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप आसान और बेहद फलदायी है लेकिन महामृत्युंजय मंत्र की महिमा अलग ही है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
यह मंत्र शिव जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक इस मंत्र के नित और निरंतर जाप से मनुष्य सभी बाधाओं को पार करने में सफल होता है और सुख एवं शान्ति से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का महत्व - Importance of Rudrabhishek
इस दिन रुद्राभिषेक का भी महत्व माना जाता हैं। इसमें भागवान शिव के नाम का उच्चारण कर कई प्रकार के द्रव्य पदार्थों से श्रद्धा के साथ किया जाता है। साथ ही शिव जी का स्नान कराया जाता है। यजुर्वेद में शिव रुद्राभिषेक का विवरण (rudrabhishek mantra) दिया गया है, लेकिन उसका पूर्ण रूप से पालन करना कठिन होता है, इसलिये शिव के उच्चारण के साथ ही अभिषेक की विधि करना उचित मान लिया गया है। इच्छापूर्ति के लिए इन द्रव्य पदार्थों से रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करना लाभकारी माना जाता है। हर द्रव्य का अपना अलग महत्व और फल होता है।
1. गंगाजल - सौभाग्य वृद्धि के लिए
2. गाय का दूध- गृह शांति व लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
3. सुगंधित तेल- भोग प्राप्ति के लिए
4. सरसों का तेल- शत्रु नाश के लिए
5. मीठा जल या दुग्ध- बुद्धि विकास के लिए
6. घी- वंश वृद्धि के लिए
7. पंचामृत- मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए
8. गन्ने का रस या फलों का रस- लक्ष्मी व ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए
9. छाछ- दुखों से छुटकारा पाने के लिए
10. शहद- ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए
महाशिवरात्रि के लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब - FAQ’s
सवाल- महाशिवरात्रि कब है?
जवाब- इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को है।
सवाल- शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
जवाब- हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि के पर्व को सबसे महत्वपूर्ण माना जात है।
सवाल - महाशिवरात्रि पर किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
जवाब- शिव कृपा पाने के लिए इस दिन 'ॐ तत्पुरुषाय विदमहे विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्राह प्रचोदयात' मंत्र का जाप करें।
लेखक- कृतिका अग्रवाल
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