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Expert Advice: सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और जोखिम घटाने के पांच तरीके

Archana Chaturvedi  |  Jan 23, 2023
cervical cancer in hindi

महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों की मुख्य वजह सर्वाइकल कैंसर है, जिसका करीब 23 प्रतिशत योगदान है क्योंकि इस रोग का काफी देर से पता चलता है। सामान्य तौर पर, 30 वर्ष से ज्यादा उम्र की ऐसी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का ज्यादा खतरा रहता है जो लंबे समय से ह्यूमेन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण से जूझ रही हैं। एचपीवी संक्रमण खासकर कई लोगों के साथ असुरक्षित संभोग करने की वजह से होता है। इसके लक्षण सामान्य तौर पर योनि से रक्तस्राव या डिस्चार्ज के तौर पर काफी कम मामूली होते हैं। लेकिन करीब 80 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर मामलों को रोकथाम के उचित तरीके अपनाकर रोका जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम सिर्फ एचपीवी टीकाकरण और जांच के साथ 99 प्रतिशत तक कारगर साबित होती है। 

How to prevent cervical cancer in hindi | सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम कैसे करें 

प्राथमिक रोकथाम (9-15 वर्ष की लड़कियों के लिए ज्यादा कारगर) एचपीवी टीका है, जिसे 9-45 वर्ष उम्र के बीच की महिलाओं को दिया जा सकता है, लेकिन 15 साल से कम उम्र की लड़कियों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली देखी जाती है। पूरी सुरक्षा के लिए, 15 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए दो खुराक और 15-26 साल के बीच की महिलाओं के लिए तीन खुराक लेने की सलाह दी जाती है। 27 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को टीका लगवाने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। गार्डासिल 9 (अमेरिका में एफडीए द्वारा स्वीकृत वैक्सीन) एचपीवी टाइप (6, 11, 16, 18, 31, 33, 45, 52 और 58) की वजह से होने वाले कैंसर की रोकथम में करीब 100 प्रतिशत प्रभावी है। जहां तक जागरूकता का सवाल है, युवा लड़कियों और लड़कों को उनकी उम्र और परिवेश के हिसाब से यौन शिक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए।

द्वितीयक रोकथाम (जो 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए कारगर है) में कैंसर-पूर्व होने वाले घावों की जांच एवं उपचार शामिल हैं। ऐसी कई तरह की जांच हैं जो इस बीमारी का खतरा घटाने में प्रभावी मानी जा सकती हैं जिनमें साइटोलॉजी (पैप स्मीयर), को-टेस्टिंग (एचपीवी$साइटोलॉजी), प्राइमरी एचपीवी टेस्टिंग, और एसीटिक एसिड के साथ विजुअल इंसपेक्शन मुख्य रूप से शामिल हैं और मौजूदा समय में विभिन्न परिस्थितियों में इनका इस्तेमाल किया जाता है। साइटोलॉजी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला टेस्ट है जिसे 30 से 65 साल के बीच उम्र की महिलाओं में एचपीवी टेस्टिंग के साथ हरेक 3 साल या 5 साल में किया जा सकता है। एचआईवी संक्रमण से ग्रसित महिलाओं की जांच जल्द शुरू की जानी चाहिए। यह कैंसर की रोकथाम का बेहद किफायती तरीका है, क्योंकि इससे इस रोग के शुरुआती बदलावों (सीटू में कार्सिनोमा) का उपचार किया जा सकता है। मौजूदा समय में, एचपीवी डीएनए टेस्ट (जेनेरिक टेस्ट) अब एचपीवी संक्रमण के लिए बेहद उपयोगी टेस्ट हैं। इन टेस्ट के तरीकों की सफलता जांच के बाद देखभाल और अन्य कार्यों पर निर्भर करती है, विशेष तौर पर, टेस्ट में पॉजीटिव आने वाली महिलाओं को तत्काल उपचार मिलने से भी जल्द ठीक होने में मदद मिल सकती है।

तृतीयक रोकथाम (जरूरत के हिसाब से सभी महिलाओं के लिए उपयोगी) में जांच, इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर का उपचार और आराम पहुंचाने वाली देखभाल शामिल हैं। जांच इमेजिंग (पीईटी-सीटी) के बाद गर्भाशय के घावों की बायोप्सी का इस्तेमाल कर की जाती है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा हिस्टोलॉजी पर केंद्रित है, लेकिन एडेनोकार्सिनोमा या स्मॉल सेल न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर मौजूद है। उपचार हिस्टोलॉजिकल डायग्नोसिस और स्टेज पर आधारित है, जिसमें शुरुआती स्तर के ट्यूमर का सर्जरी, कीमोथेरेपी, और रेडिएशन थेरेपी से इलाज किया जाता है, और एडवांस्ड स्टेज के लिए कीमोथेरेपी के अलावा अन्य थेरेपी विकल्प हैं। पीडी-एल1, टीएमबी, एमएसआई, एनटीआरके, आरईटी टेस्टिंग जैसे मोलीक्यूलर बायोमार्कर का इस्तेमाल यह पता लगाने में किया जाता है कि क्या रोगी इम्यूनोथेरपी के लिए उपयुक्त है या टार्गेटेड थेरेपी के लिए। सही रोगी के लिए सही उपचार की पहचान खासकर शुरुआती चरणों में बेहद जरूरी है। इसे प्रेसीजन ऑन्कोलॉजी कहा जाता है।

जो रोगी इस रोग के शुरुआती चरण में हैं और उपचार विकल्पों में विफल रहे हैं तथा अब अन्य उपचार सहन  नहीं कर सकते हैं, उन्हें पैलिएटिव केयर यानी आरामदायक विशेष चिकित्सा देखभाल की पेशकश की जाती है जिसमें दर्द दूर होता है और लक्षणों को कम करने पर जोर दिया जाता है। इस देखभाल का मकसद मरीज को आराम पहुंचाना और जिंदगी की उचित गुणवत्ता प्रदान करना होता है।

5 ways to prevent cervical cancer in hindi | सर्वाइकल कैंसर के जोखिम घटाने के तरीके 

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए यहां जोखिम घटाने 5 तरीकों को संक्षेप में बताया जा रहा है-

1. एचपीवी टीकाकरण समय पर होना चाहिए।

2. एचपीवी जांच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

3. जांच परिणामों पर सही तरीके से नजर रखी जानी चाहिए।

4. लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए और उसके अनुसार चिकित्सक द्वारा सलाह दी जानी चाहिए।

5. संभोग के लिए एक ही साथी होना चाहिए या सुरक्षित संभोग को पसंद किया जाना चाहिए।

(लेख साभार – डॉ. अमित वर्मा डॉ. एवी कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सलनलाइज्ड कैंसर थेरेपी एंड रिसर्च, गुड़गांव में मोलीक्यूलर ऑनकोलॉजिस्ट एवं कैंसर जैनेटाइटिस्ट हैं)

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