हर साल जनवरी में सर्वाइकल कैंसर जागरुकता माह मनाया जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय लोगों को तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करती है। आपको बता दें सर्वाइकल कैंसर यानि कि बच्चेदानी के मुंह पर का कैंसर हमारे देश में महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर है। इसीलिए हर किसी महिला को इसके प्रति सजग एवं जागरूक रहने की आवश्यकता है।
महिलाओं में ओवरियन कैंसर के मामले बढ़ते दिखाई दे रहे है। हालांकि यह कैंसर बहुत खतरनाक है, लेकिन समय पर इसकी पहचान और इलाज हो जाए तो इसे मरीज ठीक हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2019 में भारत में सर्वाइकल कैंसर से अनुमानित 45,000 महिलाओं की मृत्यु हुई थी। ऑन्कोलॉजिस्ट के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने के लिए एचपीवी टीकाकरण आवश्यक है। टीकाकरण 93 प्रतिशत मामलों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट जरूरी है और महिलाओं में जागरूकता पैदा करने की बहुत जरूरत है।
एसआरवी हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. मेघल संघवी ने कहा, “सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर अधिक आम है। अस्वच्छता, जागरूकता की कमी और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा लैंगिक संबंध, कई यौन साथी, धूम्रपान भी कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
डॉ संघवी ने कही, “मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव और रजोनिवृत्ति के बाद भारी रक्तस्राव गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षण हैं। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते, इसलिए देर से इलाज होने से वह जटिलता का कारण बनते हैं। इसलिए पहली ही स्टेज में कैंसर का पता लगाने के लिए नियमित जांच की आवश्यकता हैं।”
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल में सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राणा चौधरी ने कह, ”सर्वाइकल कैंसर की शुरूआती अवस्था 10 ते 15 साल की होती है, इसलिए पैप स्मीयर टेस्ट और बीमारी की शुरुआती पहचान से इसका आसानी से पता चल जाता है। सामान्य तौर पर, हर तीन साल में एक पैप टेस्ट की सिफारिश डॉक्टर करते हैं। और 21 से 65 साल की आयु से अधिक यौन सक्रिय महिलाओं को एचपीवी के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए।”
एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट के ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ सुहास आग्रे कहते हैं, “सर्वाइकल कैंसर उच्च जोखिम वाले मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में, एक महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली एचपीवी के संपर्क में आने के बाद कैंसर के विकास के जोखिम को कम करती है। एचपीवी संक्रमण का सबसे आम कारण यौन संपर्क के माध्यम से होता है। जो महिलाएं कम उम्र में यौन रूप से सक्रिय हैं या जिनके कई साथी हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।‘’
यौन सक्रिय महिलाएं 23 की उम्र के बाद पैप स्मीयर टेस्ट करा सकती हैं। 30 साल की उम्र के बाद, डॉक्टर हर तीन साल में टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। अगर जल्दी पता चल जाए तो कैंसर का इलाज किया जा सकता है। एचपीवी टीकाकरण सरवाईकल कैंसर के रोकथाम में फायदेमंद हो सकता है। इसलिए 9 ते 14 साल की लड़कियों के लिए वैक्सीन की सिफारिश की जाती है। 26 साल से कम उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगाया जा सकता है।
एचपीवी (HPV) महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम कारण है। टीकाकरण की स्थिति की परवाह किए बिना, सभी को सर्वाइकल कैंसर के लिए परीक्षण जरूर से कराना चाहिए।
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