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रूबरू रोशनी में आमिर खान ने दिया ऐसा संदेश, जिससे हो गईं सबकी आंखें नम

रूबरू रोशनी में आमिर खान ने दिया ऐसा संदेश, जिससे हो गईं सबकी आंखें नम

बॉलीवुड एक्टर आमिर खान (Aamir Khan) को परफेक्शनिस्ट कहना गलत नहीं है। वे जो भी काम करते हैं, पूरी लगन और शिद्दत के साथ करते हैं। कुछ साल पहले तक वे शो ‘सत्यमेव जयते’ के माध्यम से छोटे पर्दे पर नज़र आते थे, जिसमें वे देश में फैली कुरीतियों के बारे में चर्चा करते थे। हाल ही में उन्होंने छोटे पर्दे पर फिर से वापसी की है। पहले माना जा रहा था कि वे इस बार भी ‘सत्यमेव जयते’ के कॉन्सेप्ट पर ही कुछ दिखाएंगे, लेकिन आमिर खान ने ‘रूबरू रोशनी’ (Rubaru Roshni) से सबको चौंका दिया है।

क्या है रूबरू रोशनी

26 जनवरी 2019 को आमिर खान ने स्टार प्लस पर आमिर खान प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म ‘रूबरू रोशनी’ प्रदर्शित की थी। इस फिल्म की खास बात है कि यह ऐसी पहली फिल्म है, जिसे सिनेमाघर के बजाय टीवी पर रिलीज़ किया गया है। आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘रंग दे बसंती’ तो आपको याद ही होगी। ‘रूबरू रोशनी’ के लिरिक्स उसी फिल्म के गीत ‘रूबरू’ से लिए गए हैं, जिन्हें प्रसून जोशी ने लिखा और ए.आर.रहमान ने रचा था। ‘रूबरू रोशनी’ की टैगलाइन है ‘तीन अविश्वसनीय सच्ची कहानियां’ और इस फिल्म का सच भी यही है। इसमें तीन ऐसी सच्ची कहानियां दिखाई गई हैं, जिन्हें देखने के बाद दर्शक अपने आंसू नहीं रोक सकेंगे। किसी को माफ करना बहुत मुश्किल होता है और इस फिल्म में क्षमा के तीन ऐसे किस्से दिखाए गए हैं, जिनके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।

ज़रूर रूबरू हों इस रोशनी से

आमिर खान की ‘रूबरू रोशनी’ में तीन वास्तविक लोगों की कहानियां दिखाई गई थीं। यह उन लोगों की कहानियां हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ भुगता है और उसे अंजाम देने वालों को माफ भी किया है।

1. पहली कहानी एक ललित नाम के शख्स की बेटी अवंतिका की है। किसी ने अवंतिका के माता- पिता की हत्या कर दी थी और वह उनके हत्यारे को अपने परिवार के सदस्य के तौर पर मानती है।

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2. दूसरी कहानी रानी मारिया की जुबानी बताई गई है। रानी की निर्मम हत्या कर दी गई थी और हत्या करने वाला शख्स उसी के घर में रहकर पश्चाताप कर रहा है।

3. तीसरी कहानी विदेशी महिला कीया की है, जिन्होंने मुंबई में 26/11 को हुए हमले में अपने पति और 13 साल की बेटी को खो दिया था। अब वे हर साल मुंबई आती हैं।

माफी से बड़ी कोई सज़ा नहीं

अगर आपको लगता है कि किसी को माफ करना आसान नहीं है तो आप गलत हैं। इन तीनों कहानियों के माध्यम से दिखाया गया है कि पीड़ित होकर भी माफ किया जा सकता है। ज़रूरी नहीं है कि आप हमेशा विक्टिम कार्ड ही खेलते रहें, बल्कि खुद पीड़ित होकर किसी को माफ कर देने से आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। फिल्म के दौरान आमिर खान को अपनी अम्मी की एक सीख भी याद आई। दरअसल, उनकी अम्मी हमेशा कहा करती थीं कि माफी में जो ताकत है, वह किसी और में नहीं। किसी बात को दिल में रखकर परेशान होते या उसके बारे में सोचते रहने के बजाय अगर किसी को माफ कर देंगे तो आप खुद को आज़ाद महसूस करेंगे। कई बार किसी की गलती इतनी बड़ी होती है कि उस व्यक्ति को माफ करना हमारे बस में नहीं होता है पर यह फिल्म देखने के बाद आपकी सोच ज़रूर बदल जाएगी।

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