मां- बाप बनना कितनी जिम्मेदारी का काम है, यह बात सिर्फ पेरेंट्स ही समझ सकते हैं। अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना, उन्हें भविष्य में सफल जिंदगी के लिए तैयार करना और अच्छे संस्कार देना, ये सारी जिम्मेदारियां मां- बाप, दोनों के कंधों पर होती हैं। उन्हें अपनी जिंदगी के साथ- साथ अपने बच्चों को भी जीना सिखाना होता है। लेकिन क्या हो जब ये ज़िम्मेदारियां किसी एक के कंधे पर आ जाएं? आज के मॉडर्न जमाने में आपको कई सिंगल पेरेंट्स मिल जाएंगे लेकिन यह वर्ड जितना कूल लगता है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल इसके साथ जुड़ी ज़िम्मेदारियां हैं। जब ये सिंगल पेरेंट सिर्फ एक मां हो तो उसे कई बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में हम सिंगल मॉम्स के लिए पेरेंटिंग टिप्स बता रहे हैं।
सिंगल मदर के लिए पेरेंटिंग टिप्स – Parenting Tips For Single Mother
हमेशा पॉजिटिव रहें
सिंगल मदर के लिए सारी जिम्मेदारियां संभालते हुए हमेशा पॉजिटिव बने रहना बहुत मुश्किल होता है लेकिन परिस्थिति कोई भी हो, आपको हर वक्त पॉजिटिव बने रहना है और नेगेटिविटी को दूर रखना है। इस बात का ध्यान रखना है कि हर सिचुएशन को आपको अकेले ही संभालना है। इसलिए आप जितनी समझदारी दिखाएंगी, उतना आपके लिए ही आसान होगा।
टाइम मैनेजमेंट सीखें
बड़े हो जाने के बाद हम सभी के दिमाग में सिर्फ यादें रह जाती हैं। आप चाहे कितना कमा लें, कितने भी सक्सेसफुल बन जाएं, अगर आप टाइम मैनेजमेंज नहीं सीखेंगी तो चीज़ें आपके लिए ही मुश्किल होंगी। जिस काम में एक घंटा लगता है, उसमें आपको दो घंटे लगेंगे। अब काम सारे आपको देखने हैं तो बेहतर होगा कि सही वक्त पर काम को निपटाएं ताकि बच्चों को समय और यादें, दोनों दे सकें।
हर बेटी कहना चाहती है अपनी “माँ” से ये बातें!
सब कुछ खुद से करने में वक्त ज़ाया न करें
सिंगल मदर के लिए बच्चों को वक्त न दे पाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि आप सारे काम खुद से करने की कोशिश करने लगती हैं। इस चक्कर में पूरा दिन आप काम में लगी रहेंगी और आपके बच्चे या बच्चा आपकी राह देखते- देखते थककर सो जाएंगे। इसलिए कोशिश करें कि सब काम खुद से करने के बजाय मदद के लिए कोई शख्स रखें या फिर दूसरों से मदद लें।
बच्चे को पूरा वक्त दें
सिंगल मदर एक बात को अपने दिमाग में रट लें कि चाहे कुछ भी हो जाए, आपका ऑफिस में दिन अच्छा न गुज़रा हो या फिर आपको तमाम काम याद आ गए हों, पूरे दिन में थोड़ा समय ऐसा निकालें जो आपका और आपके बच्चे का हो, इस समय में कोई तीसरा नहीं आना चाहिए। इससे आपके और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग बेहतर होती जाएगी।
सुबह- शाम की झप्पी
सिंगल मदर हैं तो रोज़ाना रूटीन बना लें कि आपको अपने बच्चे को सुबह और शाम, दोनों समय झप्पी देनी है। टाइट हग देकर उन्हें रोज़ाना यह महसूस कराएं कि आपकी मम्मी हमेशा उनके साथ हैं।
बच्चे के माता- पिता, दोनों बनें
बच्चे को माता- पिता, दोनों का प्यार चाहिए होता है लेकिन सिंगल मदर होने के चलते आपको ही अपने बच्चे का पिता और मां, दोनों बनना है। यह आपको तब समझ आएगा, जब आप दूसरों के बच्चों को देखेंगे कि उनकी परवरिश कैसी हो रही है। बच्चे को पापा की कमी खलने लगे, उससे पहले ही सतर्क हो जाएं।
बच्चे की हर एक्टिविटी में साथ दें
बच्चा चाहे ड्रॉइंग कर रहा हो या फिर होम वर्क कर रहा हो, आपको हर टास्क में उसका साथ देना है और कभी- कभी सिर्फ साथ देना नहीं, बल्कि उसमें शामिल भी होना पड़ता है। उसकी चार्ट बनाने में मदद करें, घर- घर खेलें या साथ में प्रोजेक्ट बनाएं।
सेविंग करना सीखें
जिम्मेदारी आपके कंधों पर है तो निभानी भी आपको ही होगी। शुरू से ही पैसे बचाने की आदत डालें। सेविंग के नए- नए लेकिन सुरक्षित तरीके अपनाएं। इससे भविष्य में पढ़ाई या शादी जैसे कामों में आपकी बहुत मदद हो जाएगी।
न कहना सीखें
सिंगल मदर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि वे अपने बच्चे को किसी भी काम के लिए न नहीं कह पातीं। इसका साइड इफेक्ट यह होता है कि आपका बच्चा जिद करने लगेगा और आपको न चाहते हुए भी उसकी जिद पूरी करनी पड़ेगी।
सही- गलत का मतलब समझाएं
बच्चे को सही या गलत समझाने का मौका न देखें बल्कि जब भी आप दोनों शांति में एक जगह बैठे बातें कर रहे हों तो उसे एक- एक कर सही- गलत का मतलब समझाएं।
इमोशनल कनेक्ट बनाए रखें
बच्चे की मां और पिता, दोनों आप हैं। इसलिए अपने बच्चे से वह इमोशनल कनेक्ट खोने न दें, बल्कि उनके दिल को समझें और उन्हें अपने दिल का हाल बताएं।
बच्चे के लिए हर वक्त मौजूद रहें
आप ऑफिस में हों या जरूरी काम में बिज़ी हों, बच्चा जब भी आपको मदद के लिए बुलाए, उस वक्त आप उसके पास मौजूद रहें। इससे फायदा यह होगा कि आप दोनों के बीच का प्यार और भी गहरा होता जाएगा।
गुस्से पर कंट्रोल
गुस्सा सबको आता है लेकिन समझदार वही है, जो उसे काम बिगड़ने से पहले शांत कर ले। अपने बच्चे पर दूसरों का गुस्सा कभी न निकालें और अगर बच्चे पर ही गुस्सा है तो उससे बात करें, न कि उसे डांटें या फटकारें।
बच्चे को समझें
बात बेहद सरल है लेकिन बहुत काम की है। दुनिया की बातों को साइड में रख सबसे पहले अपने बच्चे को समझें। उसे जानें कि आखिर उसका नेचर कैसा है, वो कैसे रिएक्ट करता है। इस बिहेवियर को बेहतर बनाने के लिए क्या आप कुछ कर सकती हैं? अगर बच्चा अच्छा है तो उसे और अच्छा कैसे बना सकती हैं, सभी बातों पर गौर करें।
हर पल का लुत्फ उठाएं
सिर्फ बातें समझाने और भविष्य बनाने में यह न भूल जाएं कि बीता हुआ समय वापिस नहीं आता। इसलिए दोनों मिलकर अपने आज का लुत्फ उठाएं। बच्चे को जिंदगी जीना सिखाएं।
जॉइंट फैमिली की कमी महसूस न होने दें
कई बार बच्चों को परिवार की कमी महसूस होने लगती है, ऐसी सिचुएशन में उन्हें अपने परिवार से मिलवाएं, जॉइंट फैमिली का मतलब सिखाएं। अगर बड़ी फैमिली नहीं है, तब भी उन्हें घर में मौजूद हर शख्स की अहमियत बताएं।
ट्रेडिशन को खुद फॉलो करें और बच्चे को सिखाएं
बच्चों को परिवार का मतलब सिखाने का सबसे बेहतर तरीका है कि उन्हें परिवार में चले आ रहे ट्रेडिशन या कल्चर से मिलवाएं। उन्हें पता होना चाहिए कि दिवाली कैसे मनाते हैं, भाई- दूज का मतलब क्या होता है या फिर न्यू ईयर कैसे सेलिब्रेट किया जाता है।
अपनाना सीखें
इसमें बच्चों के न बदलने वाले बिहेवियर से लेकर सभी कठिन परिस्थितियां शामिल हैं। कई बार सिर्फ शिकायतें करते रहने से खुद के बिहेवियर में नेगेटिविटी आ जाती है। आप शिकायत से ज्यादा चीज़ों को एक्सेप्ट (अपनाना सीखें) करें।
दूसरों का सहारा न ढूंढें
सिंगल मदर को सारे काम खुद से करने होते हैं और कई बार बच्चों को समय देने के चलते दूसरों की हेल्प भी लेनी पड़ती है। लेकिन इस हेल्प को अपनी आदत न बनाएं, बल्कि जितना हो सके, कम ही मदद लें।
हंसते रहें
जितना हो सके, बच्चों के सामने अपना दुख कम जाहिर करें, उन्हें हंसना सिखाएं और उनके सामने हर सिचुएशन को हंस कर फेस करें। इससे वे भविष्य के लिए मजबूत बनेंगे।
ये भी पढ़ें : ग्रैंड पेरेंट्स के साथ रहने के फायदे
प्रेरणादायी सिंगल मदर – Inspirational Single Mother
बॉलीवुड एक्ट्रेस, पूर्व मिस इंडिया और पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन सिंगल मदर की परफेक्ट इंस्पिरेशन हैं। उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया और अकेले ही उन दोनों की परवरिश की। आप भी सुष्मिता सेन से सिंगल मदर से जुड़ी कई बातों को सीख सकती हैं।
बच्चों को हर बार प्रेरित करना
सुष्मिता सेन हर बार बच्चों को प्रेरित करती हैं, चाहे वे स्कूल में अच्छे मार्क्स लाएं या फिर एक्स्ट्रा एक्टिविटी में हिस्सा लें। सुष्मिता सेन की बेटियां जो भी करती हैं, वे उनकी तारीफ का मौका नहीं छोड़तीं।
नई- नई चीज़ें सिखाना
सिंगल मदर के लिए अपने बच्चों को सक्सेसफुल बनाने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि उन्हें नई- नई चीज़ों से रूबरू कराते रहें। इससे वे हमेशा आगे रहेंगे और कम्प्लीट महसूस करेंगे।
प्यार को जताना
सुष्मिता सेन के इंस्टाग्राम प्रोफाइल के मुताबिक, वे प्यार जताने का कोई मौका नहीं जाने देती हैं। बच्चों से जुड़ी हर चीज़ के बारे में दिल खोलकर अपनी फीलिंग्स को जाहिर करती हैं।
हर वक्त थैंकफुल रहना
सुष्मिता सेन की आदत है कि वे हर वक्त थैंकफुल रहती हैं। शख्स कोई भी हो, जगह कोई भी हो और वजह कोई भी हो, सुष्मिता सेन किसी को भी शुक्रिया कहने से नहीं चूकतीं।
सबको साथ लेकर चलना
सिंगल मदर को बहुत सी चीज़ें खुद से अकेले ही करनी होती हैं, जिस वजह से अकेले चलना उनकी आदत में आ जाता है। लेकिन सुष्मिता सेन इस बैलेंस को बखूबी जानती हैं कि कहां बच्चों और खुद का समय है और कहां सबको साथ लेकर चलना है।
फैमिली में नया मेंबर
सिंगल पेरेंट के साथ बड़े हुए बच्चों को भी कम लोगों में रहने की आदत हो जाती है। लेकिन सुष्मिता सेन ने बतौर सिंगल मदर अपने बच्चों को फैमिली में नए मेंबर के साथ घुलने- मिलने की कला अच्छी तरह से सिखाई है।
अपनी पहचान बनाए रखना
सिंगल मदर होने के नाते सुष्मिता सेन की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपनी पहचान नही खोई, बल्कि वे हमेशा आगे ही बढ़ती रहीं। चाहे अपनी फिटनेस का ध्यान रखना हो या फिर नया बिज़नेस शुरू करना, सुष्मिता सेन ने अपना हर किरदार बखूबी निभाया।
रखें अपना ध्यान – Ways to Take Care of Yourself
बच्चों की तरफ जिम्मेदारी के साथ- साथ कुछ बातों का ध्यान सिंगल मदर को अपने लिए भी रखने की ज़रूरत होती है, ताकि वे मां का किरदार अच्छे से निभा पाएं और बेस्ट मॉम कहलाएं।
मेडिटेशन करें
आजकल हर चीज़ शरीर और दिमाग को थकाने का काम करती है इसलिए रोज़ाना कम से कम 10 मिनट के लिए मेडिटेशन करें और खुद से ही अपने स्ट्रेस को कम करें। ऐसा न करने पर आप फ्रस्ट्रेट होंगी, जिसका असर आपके बच्चों पर पड़ेगा।
फिट रहें – Stay Fit
अपनी सेहत अपने हाथ में होती है। मां की जिम्मेदारियों के साथ- साथ अपनी सेहत आपको खुद ही दुरुस्त रखनी है। इसलिए वक्त हो तो एक्सरसाइज़ करें या फिर काम करते- करते ही बॉडी को स्ट्रेच करती रहें।
अपना ध्यान रखें
अपनी सेहत और खान- पान का ध्यान आप खुद रखें। वक्त पर खाना खाना, दवाई लेना, मेडिटेशन करना या फिर खुद के जरूरी काम करें। बच्चों को देखते- देखते खुद को नजरअंदाज न करें।
खुद के लिए वक्त
पूरे दिन में कुछ समय अपने लिए निकालें, जैसे रीडिंग करना या फिर पावर नैप लेना। इससे सही निर्णय लेने में आपको मदद मिलेगी और आप सही या गलत चीज़ों के बारे में सोच पाएंगी।
सिंगल मदर्स के लिए सबसे जरूरी टिप्स – Most important tips for single mother
लाइफ में लंबे समय तक सिंगल रहना मुश्किल है और न ही कोई रह पाता है। कभी न कभी आपकी लाइफ में पार्टनर आएगा ही। अगर आपके साथ भी ऐसा हो तो अपने बच्चों को इसके लिए कैसे तैयार करना है, इसके बारे में नीचे दी गई बातों का ध्यान रखें।
1. अगर आपकी लाइफ में कोई पार्टनर आता है तो सबसे पहले अपने बच्चों के मन को समझें कि वे इस नए मेंबर के लिए क्या सोचते हैं।
2. इस नए मेंबर के बारे में बात करते हुए बच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि सबसे पहले आपकी लाइफ में बच्चों की जगह है, उस नए शख्स की नहीं।
3. बच्चों का मूड देखकर ही इस बारे में उनसे बात छेड़ें लेकिन बात करें जरूर।
4. बच्चों को आपकी लाइफ में आए नए मेंबर के बारे में बाहर से पता चले, इससे पहले ही आप बच्चों से बात कर लें।
5. बच्चे अगर इस नए मेंबर के लिए तैयार हो जाएं तो नए शख्स को कभी अपने और बच्चों के बीच में न आने दें।
6. इस नए मेंबर को धीरे- धीरे लाइफ में जगह दें, ताकि बच्चों पर किसी भी तरह का प्रेशर न हो।
7. नए मेंबर को बच्चों द्वारा अपनाने के बाद भी धैर्य से काम लें।
8. ऐसी सिचुएशन में आपको बहुत दिमाग और शांति से काम लेना होगा।
9. सबको साथ लेकर चलते हुए हमेशा ध्यान रखें कि आपके लिए सभी बहुत जरूरी हैं।
10. कभी भी ऐसी सिचुएशन आए, जब आपको नए मेंबर और बच्चों में से एक को चुनना पड़े तो हमेशा बच्चों को ही चुनें। साथ ही बच्चों को यह भरोसा भी दिलाएं कि उनसे ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं है।
ये भी पढ़ें :
गर्भवती महिला के लिए गिफ्ट आइडियाज़
(आपके लिए खुशखबरी! POPxo शॉप आपके लिए लेकर आए हैं आकर्षक लैपटॉप कवर, कॉफी मग, बैग्स और होम डेकोर प्रोडक्ट्स और वो भी आपके बजट में! तो फिर देर किस बात की, शुरू कीजिए शॉपिंग हमारे साथ।)
… अब आयेगा अपना वाला खास फील क्योंकि Popxo आ गया है 6 भाषाओं में … तो फिर देर किस बात की! चुनें अपनी भाषा – अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, बांग्ला और मराठी.. क्योंकि अपनी भाषा की बात अलग ही होती है।