ताकि त्वचा पर आए निखार
लेजर रीसर्फेसिंग (Laser Resurfacing)
एक्ने स्कार्स (acne scars) यानि कि मुहांसों के निशान को मिटाने के लिए लेजर रीसर्फेसिंग (laser resurfacing) तकनीक को काफी प्रभावी माना जाता है। लेजर टेक्नोलॉजी में कार्बन डाइऑक्साइड से लेकर अर्बियम ग्लास लेजर (erbium glass laser) तक की तकनीकें आज़माई जाती हैं। वैसे तो ये दोनों ही लेजर तकनीकें एक्ने स्कार्स को मिटाने के लिए कारगर साबित हुई हैं पर इनका रिजल्ट काफी हद तक लेजर करने वाले एक्सपर्ट पर भी निर्भर करता है। भारतीयों में हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या होना बेहद आम है। ऐसे में अगर आप किसी बिना या कम अनुभव वाले व्यक्ति से लेजर रीसर्फेसिंग करवाएंगे तो आपकी त्वचा का रंग अस्थाई तौर पर गहरा हो सकता है।
पील्स (Peels)
पील्स (Peels) वे केमिकल पदार्थ होते हैं, जिन्हें चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों पर लगाकर त्वचा को एक्सफोलिएट किया जाता है। इससे ये दाग हल्के पड़ जाते हैं। पील्स कई प्रकार के होते हैं और गहरे धब्बों को हटाने या कम करने के लिए गहरे पील्स का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, पील्स करवाते समय चेहरे पर अगर कोई एक्टिव एक्ने होता है तो पीलिंग प्रक्रिया के माध्यम से उस मुंहासे का दाग बनने से रोका जा सकता है। इसलिए बेहतर रहेगा अगर मुंहासे या एक्ने का उसी दौरान इलाज करवा लिया जाए, न कि उसके खत्म होकर उसके दाग-धब्बे बनने का इंतजार किया जाए।
माइक्रोनीडलिंग (Microneedling)
माइक्रोनीडलिंग (Microneedling) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें फाइन नीडल्स (सुइयों) के सेट से त्वचा में चैनल्स बनाए जाते हैं। इससे त्वचा को अपने खुद के कोलेजन (collagen) का निर्माण करने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया से दाग कम होते हैं और त्वचा का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। माइक्रोनीडलिंग के प्रोसेस के साथ ही अन्य रेडियोफ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट्स भी लिए जा सकते हैं।
सब्सिशन (Subcision)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दाग को त्वचा के अंदर तक गहराई से जाकर साफ किया जाता है। दरअसल, एक्ने स्कार्स त्वता के अंदर टिश्यूज पर चिपक जाते हैं। इस प्रक्रिया में इन दागों को उस टिश्यू से निकाला जाता है, जिससे उनका प्रभाव कुछ कम पड़ जाता है। इस प्रक्रिया के साथ स्कार्स में फिलर या फैट ग्राफ्टिंग भी करवाई जा सकती है, जिससे वे ऊपर ही रहें और दोबारा टिश्यूज से न चिपकें।