भगवद् गीता को हिंदु धर्म के सभीउपनिषदों का सार माना जाता है। भगवद गीता, जिसे अक्सर गीता भी कहा जाता है, एक 700 श्लोक वाला हिंदू धर्मग्रंथ है जो भारतीय महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है। महाभारत में जब अर्जुन ने श्री कृष्ण के सामने युद्ध करने से मना किया तो जो कुछ भगवान ने उन्हें समझाया उस ज्ञान को ही गीता में बताया गया है। कई चीजों के साथ गीता में रिलेशनशिप को लेकर भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बहुत खूबसूरत बातें सिखाई हैं और अगर इन लेसन को हम भी अपनी लाइफ में ढाल लें तो जरूर ही रिश्ते खूबसूरत हो जाएंगे-
1. फॉलो करें कर्म योग
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कर्म योग का कॉन्सेप्ट भगवद गीता का केंद्र है। यह लोगों को अपने कार्यों के परिणामों की उम्मीद किए बिना, निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। रिश्तों में इस सिद्धांत को लागू करने का अर्थ है बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना देना। जब हम प्रेम और निस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं, तो हमारे रिश्ते अधिक वास्तविक और कम लेन-देन वाले हो जाते हैं।
2. खुद को समझें
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भगवद गीता व्यक्तियों को खुद को गहरे स्तर पर समझने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह सिखाता है कि सच्चा ज्ञान स्व एहसास से शुरू होता है। इससे पहले कि हम दूसरों के साथ स्वस्थ संबंध बना सकें, हमें पहले अपनी इच्छाओं, भय, शक्तियों और कमजोरियों को समझना चाहिए। आत्मनिरीक्षण और आत्म-जागरूकता के माध्यम से, हम अपने रिश्तों को स्पष्टता और सहानुभूति के साथ बेहतर ढंग से चलाने में सक्षम होते हैं।
3. अलग होना और कम जुड़ा होना
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गीता में एक चीज जिसके बारे में बात की गई है वह है डिटैचमेंट। यहां डिटैच होना या अलग होने का अर्थ सबकुछ छोड़ देने से नहीं है, बल्कि किसी से अत्यधिक जुड़ाव से बचना है ताकि इसका असर हमारे कर्म पर न पड़े। नहीं जुड़ने का अभ्यास करके, हम अपने रिश्तों में निराशाओं और एक्सपेक्टेशन्स के प्रभाव को कम कर सकते हैं। हम दूसरों से प्यार और उनकी देखभाल कर सकते हैं लेकिन हमारे जेस्चर पर उनके रिएक्शन पर इमोशनल रूप से निर्भर हुए बिना।
4. हमारा धर्म और कर्तव्य
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गीता में इस बात पर जोर दिया गया है कि व्यक्ति अपने कर्तव्य को पूरा करे। रिश्तों के संदर्भ में, इसका मतलब है कि इंसान विभिन्न भूमिकाओं में अपनी जिम्मेदारियों को समझें और पूरा करें। ये हर रिश्ते के लिए जरूरी है फिर चाहे यह रिश्ता एक साथी, माता-पिता, दोस्त या परिवार के सदस्य के रूप में हो। जब व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार कार्य करते हैं, तो वे अपने रिश्तों में सकारात्मक योगदान देते हैं और दोनों के बीच एक सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है।
5. दूसरों का सम्मान करना
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गीता में सभी का आदर करने की बात कही गई है। गीता में यूनिवर्सल ब्रदरहुड यानि कि सार्वभौमिक भाईचारा के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसके अनुसार आध्यात्मिक स्तर पर सभी लोग आपसे में जुड़े होते हैं। अगर आप इस बात को अपना लें तो खुद ब खुद ही आप हर रिश्ते के प्रति पहले से ज्यादा सॉफ्ट, दयालू और सहनशील बन जाएंगे।
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