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Poem on Dussehra in Hindi | दशहरे पर कविता

Poem on Dussehra in Hindi | दशहरे पर कविता 2022

भारत तीज-त्योहारों का देश है। यहां हर त्योहार बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। त्योहार को हर्षोल्लास से मनाने के अलावा छोटे बच्चे को इनके बारे में खूबसूरती से समझाने के लिए कई तरह की दशहरे की कविताएं हैं जो वो पढ़ सकते हैं।  हिंदी में दशहरे पर कविता (rhyming poem on dussehra in hindi) या विजयदशमी पर कविता स्कूल में होने वाले प्रतियोगिताओं के लिए भी बेहतरीन माने जाते हैं। स्कूलों में दशहरे पर कविता या अन्य त्योहार पर कविताएं बहुत कम उम्र से ही बच्चों को सिखाई जाती हैं ताकि वो आसानी से हर त्योहार को समझ सकें। आपने अभी तक दशहरा के कोट्स या मेसेज तो बहुत पढ़े होंगे मगर अब पढ़िए दशहरा पर कविता हिंदी में (poem on dussehra in hindi)।

कविता-1

किस्सा एक पुराना बच्चों, लंका में एक था रावण ,

उस अभिमानी रावण ने था, सबको खूब सताया, 

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रामचंद्र जब आये वन में, सीता को हर लाया, 

झिल मिल झिल मिल सोने की, लंका पैरों पे झुकती, 

सुंदर थी लंका, लंका में सोना ही सोना था, 

तभी राम आये बंदर, भालू की सेना लेकर, 

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साधा निशाना सच्चाई का, तीर चलाया

लोभ पाप की लंका धू धू जल कर राख हो गयी

दिए जलते तभी धरती पर, अगिनत लाखों लाख

इसलिए आज धूम हैं, रावण आज मारा था

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काटे शीश दस दस बरी, उतरा भार धरा का

लेकिन सोचो की, रावण फिर ना छल कर पाए

कोई अभिमानी ना फिर, काला राज चलाये

तभी होंगी सच्ची दीवाली, होगा तभी दशहरा

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जगमग जगमग होंगा जब, फिर सच्चाई का चेहरा !!

कविता- 2

आज आ गया दशहरा का त्योहार,

जो लाता है सबके लिए खुशिया आपार।

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इस दिन हुई थी बुराई पर अच्छाई की जीत,

तभी तो दशहरा है सच्चाई और भक्ति का प्रतीक।

इस दिन दिखती है सच्चाई की अभिव्यक्ति,

कयोंकि इस दिन दिखी थी सच्चाई की प्रचंड शक्ति।

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लेकिन लोगो का हो गया है रुपांतरित विचार,

हर तरफ दिख रही बुराई तथा भ्रष्टाचार।

इस कलियुग में भी कम नही है राम का नाम,

ना जाने कैसे लोग करते है गलत काम।

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इस दिन हुआ था राम राज्य का आरंभ,

पतन हुआ रावण का टूटा था उसका दंभ।

दशहरा पर अपने अंदर के रावण का करेंगे विनाश,

देश दुनियां में अच्छाई को फैलाने का करेंगे प्रयास।

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तो आओ इस दशहरा पर मिलके ले यह प्रण,

बुराई का अंत करके अपनायेंगे हम अच्छा आचरण।

कविता-3

जानकी जीवन, विजय दशमी तुम्हारी आज है,

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दीख पड़ता देश में कुछ दूसरा ही साज है।

राघवेन्द्र ! हमें तुम्हारा आज भी कुछ ज्ञान है,

क्या तुम्हें भी अब कभी आता हमारा ध्यान है ?

वह शुभस्मृति आज भी मन को बनाती है हरा,

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देव ! तुम को आज भी भूली नहीं है यह धरा ।

स्वच्छ जल रखती तथा उत्पन्न करती अन्न है,

दीन भी कुछ भेट लेकर दीखती सम्पन्न है ।।

व्योम को भी याद है प्रभुवर तुम्हारी यह प्रभा !

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कीर्ति करने बैठती है चन्द्र-तारों की सभा ।

भानु भी नव-दीप्ति से करता प्रताप प्रकाश है,

जगमगा उठता स्वयं जल, थल तथा आकाश है ।।

दुख में ही हा ! तुम्हारा ध्यान आया है हमें,

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जान पड़ता किन्तु अब तुमने भुलाया है हमें ।

सदय होकर भी सदा तुमने विभो ! यह क्या किया,

कठिन बनकर निज जनों को इस प्रकार भुला दिया ।।

है हमारी क्या दशा सुध भी न ली तुमने हरे?

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और देखा तक नहीं जन जी रहे हैं या मरे।

बन सकी हम से न कुछ भी किन्तु तुम से क्या बनी ?

वचन देकर ही रहे, हो बात के ऐसे धनी !

आप आने को कहा था, किन्तु तुम आये कहां?

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प्रश्न है जीवन-मरन का हो चुका प्रकटित यहाँ ।

क्या तुम्हारे आगमन का समय अब भी दूर है?

हाय तब तो देश का दुर्भाग्य ही भरपूर है !

आग लगने पर उचित है क्या प्रतीक्षा वृष्टि की,

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यह धरा अधिकारिणी है पूर्ण करुणा दृष्टि की।

नाथ इसकी ओर देखो और तुम रक्खो इसे,

देर करने पर बताओ फिर बचाओगे किसे ?

बस तुम्हारे ही भरोसे आज भी यह जी रही,

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पाप पीड़ित ताप से चुपचाप आँसू पी रही ।

ज्ञान, गौरव, मान, धन, गुण, शील सब कुछ खो गया,

अन्त होना शेष है बस और सब कुछ हो गया ।।

यह दशा है इस तुम्हारी कर्मलीला भूमि की,

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हाय ! कैसी गति हुई इस धर्म-शीला भूमि की ।

जा घिरी सौभाग्य-सीता दैन्य-सागर-पार है,

राम-रावण-वध बिना सम्भव कहां उद्धार है ?

शक्ति दो भगवन् हमें कर्तव्य का पालन करें,

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मनुज होकर हम न परवश पशु-समान जियें मरें।

विदित विजय-स्मृति तुम्हारी यह महामंगलमयी,

जटिल जीवन-युद्ध में कर दे हमें सत्वर जयी ।।

——मैथिलीशरण गुप्त——

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कविता-4

विजयादशमी विजय का, पावन है त्योहार।

जीत हो गयी सत्य की, झूठ गया है हार।।

रावण के जब बढ़ गये, भू पर अत्याचार।

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लंका में जाकर उसे, दिया राम ने मार।।

विजयादशमी ने दिया, हम सबको उपहार।

अच्छाई के सामने, गयी बुराई हार।।

मनसा-वाता-कर्मणा, सत्य रहे भरपूर।

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नेक नीति हो साथ में, बाधाएं हों दूर।।

पुतलों के ही दहन का, बढ़ने लगा रिवाज।

मन का रावण आज तक, जला न सका समाज।।

राम-कृष्ण के नाम धर, करते गन्दे काम।

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नवयुग में तो राम का, हुआ नाम बदनाम।।

आज धर्म की ओट में, होता पापाचार।

साधू-सन्यासी करें, बढ़-चढ़ कर व्यापार।।

आज भोग में लिप्त हैं, योगी और महन्त।

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भोली जनता को यहां, भरमाते हैं सन्त।।

जब पहुंचे मझधार में, टूट गयी पतवार।

कैसे देश-समाज का, होगा बेड़ा पार।।

कविता- 5

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आ गया पावन दशहरा,

 फिर हमे सन्देश देने, 

आ गया पावन दशहरा।

 तुम संकटों का हो घनेरा,

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 हो न आकुल मन ये तेरा,

 संकटो के तम छटेंगे। 

होगा फिर सुन्दर सवेरा,

 धैर्य का तू ले सहारा।

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 द्वेष कितना भी हो गहरा,

 हो न कलुषित मन ये तेरा। 

फिर ये टूटे दिल मिलेंगे, 

होगा जब प्रेमी चितेरा,

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 बन शमी का पात प्यारा।

 सत्य हो कितना प्रताड़ित,

 पर न हो सकता पराजित,

रूप उसका और निखरे।

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 जानता है विश्व सारा,

 बन विजय “स्वर्णिम सितारा”।

Poem on Dussehra in Hindi | दशहरा पर कविता

कविताएं किसी भी त्यौहार को रचनात्मक और सिंपल शब्दों में आम जनमानस तक पहुंचाने का जरिया है। दशहरे पर कविता यदि बहुत राइमिंग ( Rhyming Poem on Dussehra in Hindi) हो तो ये छोटे बच्चों को याद करने के लिए बहुत सरल बन जाती हैं।

Poem on Dussehra in Hindi

Rhyming Poem on Dussehra in Hindi

छोटे बच्चों के अलावा दशहरे पर कविता (poem on dussehra in hindi) बड़े- बुजुर्ग भी पढ़ना-सुनना एंजॉय करते हैं।

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1. दशहरे का त्योहार

आये प्रभु राम हमारे,

करके रावण का संहार,

सब मिल मनाओं ख़ुशियाँ,

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आया दशहरे के त्यौहार।

बुराई पर अच्छाई का,

आज हुआ है न्याय,

सिंहासन असत्य का टूट गया,

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दूर हुआ अन्याय ।

विजय पताका लहराई धर्म ने,

करके शत्रु का विनाश,

शोक-संताप मिटा जन का,

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फैला सत्य का प्रकाश।

हर्षित हुई धरा और मगन है अम्बर,

मानो करता वो प्रभु का अभिनंदन,

आओ हम सब भी मिलकर,

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करे श्रीराम प्रभु का वंदन।

2. आया दशहरे का त्यौहार

आया दशहरे का त्यौहार,

संग लाया अपने ये मेलों की बहार,

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झूले लग गए, घोड़े सज गए,

सज गयी देखो पूरी बाज़ार।

चारों तरफ है चाट पकौड़ी,

मिठाइयों की तो लग गयी है बौछार,

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बच्चे-बूढ़े चले है सज के,

सब पर छाया है देखो अजब खुमार।

खिलौने और गुब्बारों में है बसा,

सारे बच्चों का प्यार,

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मेले पर इन ख़ुशियों का इनको,

रहता है हर वर्ष ही जोरों से इंतज़ार।

चमक-चाँदनी है चारों ओर,

जैसे आयी हो कोई बहार,

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अपने रंग में रंगा हुआ है,

ये दशहरे का त्यौहार।

 3. दशहरा का तात्पर्य

दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।

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गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥

सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल।

बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥

क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार

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दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥

राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।

रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥

वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।

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दशहरा पर करें, हम इसका संहार॥

 Poem on Dussehra in Hindi

1. दशहरे का आया त्योहार

देखो दशहरे का आया है त्योहार,

इसके आते ही लोगों के चेहरे पर छाया है मुस्कान।

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आओ सब मिलकर मिटाए अँधियारा,

और फैलाएं हर ओर अच्छाई का उजियारा।

दशहरा है बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक,

इस दिन लोग गाते है खुशियों के नये गीत।

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इस दिन श्री राम ने किया था रावण का वध,

इस जीत से मिली लोगों को खुशिया अनंत।

सबको रावण जलता देख मिलती खुशियां आपार,

इसीलिए तो दशहरा का दिन लाता है नया बहार।

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2. 

परम–गौरव –गरिमा–आगार,

लोक-अभिनंदन, ललित-चरित्र;

लाभदायक, लीला-आधार, 

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सुर-सरित-सलिल-समान पवित्र।

बहु-मधुर-विविध-वाद्य-अवलंब, 

सुधामय-सरस राग-आवास; 

कलित – लोकोत्तर – कला-निकेत,

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सुविलसित बहु स्वर्गीय विलास। 

जाति- जीवन- आलय-आलोक,

कीर्ति-विटपावलि-वर उद्यान;

मनोरम- चरित-मयूर-पयोद,

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भाव-मूलक भव-सिध्दि-विधान।

मनुज-कुल- मूर्तिमान-उत्साह, 

भरत-भू- समारोह-सिरमौर;

 मंजु-उत्सव- समूह-सर्वस्व, 

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भावना-भाल भव्यतम खौर। 

उमंगित पुलकित लसित अपार, 

मंजु मुखरित सुरभित रस-धाम; 

अलंकृत अंकित अमित विनोद, 

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विपुल आलोकित लोक-ललाम।

 शरद कमनीय कलाधार कान्त,

विकच सरसीरुह-सम सविकास; 

कौन है यह रंजित नव राग, 

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अलौकिक विजय-विभूति-निवास।

Very Short Poem on Dussehra in Hindi

Very Short Poem on Dussehra in Hindi

दोस्तों को व्हाट्सऐप पर दशहरे की शुभकामनाएं देने के लिए आप दशहरे पर कविताएं या विजयदशमी पर ऐसी कविता यूज कर सकते हैं जो बहुत छोटी हों (Very Short Poem on Dussehra in Hindi)।

कविता- 1

जैसे राम ने जीता लंका को,

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वैसे आप भी जीतें सारी दुनिया को।

कविता- 2

बुराई पर अच्छाई की जीत

झूठ पर सच्चाई की जीत

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अपने गुणों पर न करो अहम

दशहरा के दिवस का यही है संदेश।

कविता- 3

अधर्म पर धर्म की जीत,

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अनन्या पर न्याय की विजय।

बुरे पर अच्छे की जयकार,

यही है दशहरे का त्यौहार।

Poem in Hindi on Dussehra

कविता- 1

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रावण शिव का परम भक्त था

बहुत बड़ा था ज्ञानी,

दस सिर बीस भुजाओं वाला

था राजा अभिमानी।

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नहीं किसी की वह सुनता था

करता था मनमानी,

औरों को पीड़ा देने की

आदत रही पुरानी।

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एक बार धारण कर उसने

तन पर साधु – निशानी,

छल से सीता को हरने की

हरकत की बचकानी।

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पर – नारी का हरण न अच्छा

कह कह हारी रानी,

भाई ने भी समझाया तो

लात पड़ी थी खानी।

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रामचन्द्र से युद्ध हुआ तो

याद आ गई नानी,

शिव को याद किया विपदा में

अपनी व्यथा बखानी।

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जान बूझ कर बुरे काम की

जिसने मन में ठानी,

शिव ने भी सोचा ऐसे पर

अब ना दया दिखानी।

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नष्ट हुआ सारा ही कुनबा

लंका पड़ी गँवानी,

मरा राम के हाथों रावण

होती खत्म कहानी।

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कविता- 2

भीतर के रावण को जो,आग खुद लगायेंगे ।

सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनायेंगे।।

छिप कर बैठा ये दानव ,आज हर एक दिल में

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भड़काता वैर की आग, हँसते-खेलते घरों में,

कलुषित मनोवासना को ,जो सदा मिटायेंगे।

सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे….।

मन रावण फुंकार करे ,रक्त अपनों का बहे

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मूली गाजर के जैसे ,मानव आज कट रहे

दया धर्म सद् भावों के,जो दीप जलायेंगे।

सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे….।

मनाता है रंगरलियां ,ये काँटे बिखेरकर

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दिखाता झूठे पंख है ,ये सत्य समेटकर

चुनकर काँटे राहों के,जो फूल बिछायेंगे।।

सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनाएंगे….।

धन-वैभव की इच्छा से, सराबोर रहता हर पल

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बुद्धि ज्ञान को बिसराये, दुष्कर्म करे हरपल

अपने मरे जमीर को जो ,सचेत कर पायेंगे।

सही मायनों में वे ही ,दशहरा मनायेंगे….।

short poem on Dussehra in Hindi

1. दशहरा

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सच की हुई हमेशा जीत

बुराई की होती सदा हार

यही कहता दशहरे का त्यौहार

यही कहता दशहरे का त्यौहार

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करना तुम सबकी भलाई

मन में न पालो कोई भी बुराई

मिट जाए सबका अंधकार

यही कहता दशहरे का त्यौहार

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यही कहता दशहरे का त्यौहार

रावण के अभिमान के कारण

राम ने किया उसका संहार

इसलिए मन में न रखो कोई अहंकार

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यही कहता दशहरे का त्यौहार

दशहरे का त्यौहार

2. दशहरे की घड़ी आई है 

आज दशहरे की घड़ी है आई, 

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झूठ पर सच की जीत है भाई।

रामचन्द्र ने रावण को मारा,

तोड़ दिया अभिमान भी सारा।

एक बुराई रोज हटाओ 

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और दशहरा रोज मनाओ

विजय सत्य की जीत हमेशा, 

हारी सदा बुराई है।

आज दशहरे की घड़ी है आई, 

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झूठ पर सच की जीत है भाई।

3. आया दशहरा

देखो दशहरा आया है

खुशियां ढेरो लाया है

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रावण हमने जलाया है 

अच्छाई को गले लगाया है

आ मेले में हम घूम लें

मस्ती में हम झूम लें

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पापा ने खिलौने दिलाया है 

मां ने झूले पर बिठाया है

देखो दशहरा आया है

खुशियां ढेरो लाया है

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lines on Dussehra in Hindi | विजयादशमी पर कविता

भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि से नवाजा जाता है। उसके लिए धर्म ही सर्वोपरि था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार धर्म की स्थापना के लिए ही भगवन विष्णु ने धरती पर श्री राम का अवतार लिया था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में धर्म का पालन किया। रावण के वध के बाद अयोध्या में श्री राम और सीता का भव्य स्वागत किया गया। पढ़िए दशहरा की कहानी इन कविताओं की जुबानी (dussehra rhymes in hindi)। दशहरा पर कविता में सरल शब्दों में इस दिन का महत्व लोगों को बताया जाता रहा है। दशहरा पर कविता हिंदी में पढ़ने में हमेशा ही अच्छे लगते हैं।

5 lines on Dussehra in Hindi

15 Lines on Dussehra in Hindi

कविता-1

रावण शिव का परम भक्त था, बहुत बड़ा था ज्ञानी,

दस सिर बीस भुजाओं वाला, था राजा अभिमानी।

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नहीं किसी की वह सुनता था, करता था मनमानी,

औरों को पीड़ा देने की, आदत रही पुरानी।

एक बार धारण कर उसने, तन पर साधु – निशानी,

छल से सीता को हरने की, हरकत की बचकानी।

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पर – नारी का हरण न अच्छा, कह कह हारी रानी,

भाई ने भी समझाया तो, लात पड़ी थी खानी।

रामचन्द्र से युद्ध हुआ तो, याद आ गई नानी,

शिव को याद किया विपदा में, अपनी व्यथा बखानी।

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जान बूझ कर बुरे काम की, जिसने मन में ठानी,

शिव ने भी सोचा ऐसे पर, अब ना दया दिखानी।

नष्ट हुआ सारा ही कुनबा, लंका पड़ी गँवानी,

मरा राम के हाथों रावण, होती खत्म कहानी।

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कविता-2

आ गया पावन दशहरा, फिर हमे सन्देश देने

तुम संकटों का हो घनेरा, हो न आकुल मन ये तेरा

संकटो के तम छटेंगे, होगा फिर सुन्दर सवेरा

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धैर्य का तू ले सहारा।

द्वेष कितना भी हो गहरा, हो न कलुषित मन ये तेरा

फिर ये टूटे दिल मिलेंगे, होगा जब प्रेमी चितेरा

बन शमी का पात प्यारा।

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सत्य हो कितना प्रताड़ित, पर न हो सकता पराजित

रूप उसका और निखरे, जानता है विश्व सारा

बन विजय “स्वर्णिम सितारा”।

10 Lines on Dussehra in Hindi

Poem in Hindi on dussehra

कविता-1

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अर्थ हमारे व्यर्थ हो रहे, पापी पुतले अकड़ खड़े हैं

काग़ज़ के रावण मत फूंकों, ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं

कुंभकर्ण तो मदहोशी हैं मेघनाथ भी निर्दोषी है

अरे तमाशा देखने वालों इनसे बढ़कर हम दोषी हैं

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अनाचार में घिरती नारी हां दहेज की भी लाचारी

बदलो सभी रिवाज पुराने जो घर-घर में आज अड़े हैं

काग़ज़ के रावण मत फूँकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं

सड़कों पर कितने खर-दूषण झपट ले रहे औरों का धन

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मायावी मारीच दौड़ते और दुखाते हैं सब का मन

सोने के मृग-सी है छलना दूभर हो गया पेट का पलना

गोदामों के बाहर कितने मकरध्वजों के जाल खड़े हैं

काग़ज़ के रावण मत फूंकों ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं

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कविता-2

विजय सत्य की हुई हमेशा, हारी सदा बुराई है,

आया पर्व दशहरा कहता, करना सदा भलाई है.

रावण था दंभी अभिमानी, उसने छल -बल दिखलाया,

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बीस भुजा दस सीस कटाये, अपना कुनबा मरवाया.

अपनी ही करनी से लंका, सोने की जलवाई है.

मन में कोई कहीं बुराई, रावण जैसी नहीं पले,

और अंधेरी वाली चादर, उजियारे को नहीं छले.

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जिसने भी अभिमान किया है, उसने मुंह की खायी है.

आज सभी की यही सोच है, मेल -जोल खुशहाली हो,

अंधकार मिट जाए सारा, घर घर में दिवाली हो.

मिली बड़ाई सदा उसी को, जिसने की अच्छाई है

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Lines on Dussehra in Hindi

कविता-1

है सुतिथि सिर धारी विजय दशमी, है विजय सहचरी विजय दशमी।

कान्त कल कंठता दिखाती है, है कलित किन्नरी विजय दशमी।

सामने ला कला बहुत सुन्दर, है बनी सुन्दरी विजय दशमी।

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पूत जातीय भाव पादप की, है विकच बल्लरी विजय दशमी।

एक अवतार प्रीति पूता हो, है धरा अवतरी विजय दशमी।

मंजु जातीयमान हिम कर की, है शरद शर्वरी विजय दशमी।

दूर कर बहु अभाव भारत का, भाव में है भरी विजय दशमी।

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पा जिसे दुख उदधि उतर पाये, है रुचिर वह तरी विजय दशमी।

जो असुर-भाव में भरे से हैं, है उन्हें सुरसरी विजय दशमी।

जाति हित में शिथिल हुए जन की, है शिथिलता हरी विजय दशमी।

बहु पतन शील प्राणियों की भी, है परम हितकरी विजय दशमी।

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5 Lines on Dussehra in Hindi

कविता- 1

अज्ञान पर हो जाए ज्ञान की विजय

बुराई पर अच्छाई की हो जाए जीत

पाप पर पुण्य पड़ता है भारी

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आ जाए आपके पास खुशियां सारी।

दशहरा आते है हर ओर है खुशियों का भरमार।

कविता- 2

बुराई का होता है विनाश, 

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दशहरा लाता है उम्मीद की आस।

रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश

विजयदशमी का दिवस इसलिए है खास।

कविता- 3

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दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत

गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत।

3. दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत

गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत।

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सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल

बिना रुके चलते रहे, शूल बनेंगे फूल।


दशहरा हमारे देश के मुख्य त्योहारों में से एक है। विजयदशमी का महत्व बच्चों को समझाने के लिए और बड़ों को फिर से याद दिलाने में दशहरे पर कविता (poem on dussehra in hindi) का बहुत महत्वपूर्णँ योगदान होता है। दोस्तों को दशहरे की शुभकामनाएं भेजते हुए आप संदेश के रूप में हिन्दी में दशहरे पर कविता या विजयदशमी पर कविता भेज सकते हैं। इसके लिए छोटी कविताएं (rhyming poem on dussehra in hindi) जैसे पांच लाइन की कविता (very short poem on dussehra in hindi) लिखकर आप अपने परिजनों को भेज सकते हैं। दशहरे की कविताएं स्कूल में होने वाली प्रतियोगिताओं में बोलने के लिए भी अच्छा विकल्प होती हैं।

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दशहरा कब है और क्यों मनाया जाता है–  यह त्योहार हर साल अश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था।

हैप्पी नवरात्रि शायरी का बेस्ट कलेक्शन इन हिंदी – ये नवरात्रि पर शायरी दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करने के लिए परफेक्ट हैं।


दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं- इस पर्व का महत्व इसलिए भी है कि नवरात्रि के बाद ही यह उत्सव होता है और हिंदू मान्यता के अनुसार इसी समय पर देवी ने महिषासुर का वध किया था।

दशहरा की शुभकामनाएं 2022 – यहां पढ़ें दशहरा की शुभकामनाएं संदेश।

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04 Oct 2022

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