भारत में महिलाओं को देवी के बराबर दर्ज़ा मिला हुआ है। मगर आज भी देवी के साथ घरेलू हिंसा, लिंग भेदभाव, और पुराने रीति-रिवाज़ो के नाम पर उसे दुनिया से विदा कर देना कोई बड़ी बात नहीं है। भले आज हमारे देश ने मीलों तरक्की कर ली हो लेकिन देश के कुछ हिस्सों में पिछड़ी सामजिक सोच को आज भी बेटिया बोझ लगती है। इन्ही सब सामाजिक कुरीतियों और बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए कुछ कानून और अधिकारों का गठन किया है। इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़ें, महिलाओं के अधिकार, कानून और उनसे जुड़ें हेल्पलाइन नंबर के बारे में। इस बार आप भी अपने जीवन की सभी खास महिलाओं को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सेंड कर के बनाएं उनका दिन स्पेशल।
Legal Rights of Women In India
हमारे समाज में कई अपराध ऐसे होते हैं जिनके बारे में किसी भी तरह की कोई रिपोर्ट नहीं हो पाती है सिर्फ इसीलिए कि महिलाओं को अपने अधिकार ही नहीं पता होते हैं। भारतीय संविधान ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके संरक्षण को देखते हुए कई अधिकार (women rights in india) उन्हें प्रदान किये हैं। यहां हम उन्हीं कुछ जरूरी कानूनी अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं जिन्हें जानकर महिलाएं इनका सही इस्तेमाल कर सकती हैं।
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत किसी भी पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर की महिला कर्मचारी को प्रसव के बाद अब 12 नहीं बल्कि 24 हफ्ते यानि 6 महीने तक अवकाश मिलेगा। इस दौरान महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी साथ ही अवकाश के बाद वो फिर से काम शुरू कर सकती है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति यानि पिता की संपत्ति पर अब जितना बेटे का हक है, उतना ही घर की बेटियों का भी। यहां तक कि ये अधिकार बेटियों के लिए उनकी शादी के बाद भी कायम रहेगा।
सभी अधिकारों के तहत ‘जीने का अधिकार’ सबसे अहम है जिसे किसी इंसान से नहीं छीना जा सकता है। अगर किसी महिला की मर्जी के खिलाफ उसका अबॉर्शन कराया जाता है, तो ऐसे में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। हां अगर, गर्भ की वजह से महिला की जान जा सकती है या गर्भ में पल रहा बच्चा विकलांगता का शिकार हो तो अबॉर्शन कराया जा सकता है। इसके लिए 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी भी मामले में आरोपी साबित हुई महिला के गिरफ्तारी यानि की पुलिस हिरासत व कोर्ट में पेश करने के कई कानून बने हुए हैं। जिसका पालन करना जरूरी है। जैसे कि बिना महिला पुलिसकर्मी के लिए आरोपी महिला को हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। साथ ही महिला के घरवालों को सूचित करना, लॉकअप में बंद करने से पहले उसके लिए अलग व्यवस्था करना जरूरी है।
लीगल ऐड कमेटी के तहत रेप पीड़िता को मुफ्त कानूनी सलाह व सरकारी वकील मुहैया कराने की पूरी व्यवस्था है। ऐसे में वो अदालत से गुहार लगा सकती है। उसे किसी भी तरह का कोई भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए एस.एच.ओ स्वयं ही ऐड कमेटी से सरकारी वकील की व्यवस्था करने की मांग करेगा।
किसी महिला के साथ मारपीट की गई हो या फिर उसे मानसिक प्रताड़ना दी गई हो जैसे कि ताने मारना या फिर गाली-गलौज या फिर किसी दूसरी तरह से इमोशनल हर्ट किया गया हो। तो वह घरेलू हिंसा कानून (डीवी ऐक्ट) के तहत मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत कर सकती है।
अगर कोई महिला लिव-इन रिलेशनशिप में है यानि बिना शादी किए किसी मेल पार्टनर के साथ एक छत के नीचे पति-पत्नी की तरह रहती है, तो उसे भी डोमेस्टिक वॉयलेंस ऐक्ट यानि घरेलू हिंसा के तहत प्रोटेक्शन और प्रताड़ित करने व जबरन घर से निकाले जाने के मामले में मुआवजा भी मिलता है। ऐसे संबंध में रहते हुए उसे राइट-टू-शेल्टर भी मिलता है। सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि लंबे समय तक कायम रहने वाले लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को नाजायज नहीं करार दिया जा सकता।
Women Helpline Numbers in India
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सरकार ने हर जगह और प्रदेश के अलग-अलग कई हेल्पलाइन नंबर जारी किये गये हैं। लेकिन वुमंस हेल्पलाइन नंबर 1091/1090 पूरे देश में कहीं भी कभी भी महिलाओं की मदद के लिए तत्पर है। इन पर फोन लगाकर तुरंत मदद पाई जा सकती है। इसके अलावा अगर कोई महिला अपनी किसी तरह की निजी समस्याओं सरकार तक पहुंचाना चाहती हैं तो नेशनल कमिशन फॉर वुमन (NCW) के जरिए अपनी बात रख सकती है। 0111-23219750 एन.सी.डब्लू का टोलफ्री नंबर है।
Betiyon ke liye Yojna
भारत भले ही आजाद देश हो मगर आज भी यहाँ बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा किसी चैलेंज से कम नहीं है। यही कारण है कि भ्रूण हत्या और लिंगभेद के मामलें जड़ से खत्म नहीं हो पा रहे। ऐसी परिस्थतियों को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकारों ने बेटियों को विशेष दर्जा दिया है, ताकि उनके शारीरिक और बौद्धिक विकास में किसी तरह की कोई कमी न आये। बेटियों को भी शिक्षा से समग्र बनाया जा सकें और उन्हें हर जगह समानता का दर्ज़ा मिले। तो चलिए हम आपको कुछ ऐसी योजनाओं के बारे में बतातें हैं जिसे ख़ास कर बेटियों के विकास के लिए बनाया गया है।
यह योजना साल 2015 में मध्यप्रदेश द्वारा शुरू की गयी थी। मुख्यत यह योजना केवल साल 2006 के बाद जन्मी बालिकाओं के लिए है। इसमें कक्षा 6 में प्रवेश के लिए 2 हजार, 9वीं में 4 हजार और 11वीं और 12 वीं के दौरान 200 रुपए का हर माह भुगतान किया जाता है। बालिका के 21 वर्ष होने पर और कक्षा 12वीं की परीक्षा में समिम्लित होने पर शेष राशि का भुगतान किया जाता है। इस योजना की कुछ शेष राशि आपको तब मिलेगी जब बेटी का विवाह 18 वर्ष के बाद हुआ हो।
यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गयी है। जिसके अन्तर्गत बेटी के जन्म पर 50 हजार का बॉन्ड व 5100 रु नगद बेटी के माँ के खाते में इसके अलावा बेटी के 21 साल की होने पर 2 लाख की सहायता दी जाती है। इस योजना के अनुसार बेटी के कक्षा 6 में प्रवेश लेने पर 3000 रूपए कक्षा 8 में प्रवेश लेने पर 5000 रु व कक्षा 10 में प्रवेश लेने पर 7000 रु व 12th में प्रवेश लेने पर 8000 रु की आर्थिक मदद दी जाती है।
केंद्र सरकार द्वारा सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गयी है। यह एक बचत योजना है, जिसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत शुरू किया गया है। यह योजना बेटियों की शिक्षा और शादी के आर्थिक बोझ को कम करने में सहायता करती है। सुकन्या समृद्धि योजना में 1हजार से डेढ़ लाख तक रुपए सलाना जमा कराई जा सकती है। इसमें हर साल आपकी ओर से तय अमाउंट 14 साल तक जमा करना होता है, जो बेटी के 18 साल के होने पर खाते में से आधा पैसा निकाल सकते हैं और बाकी पैसे 21 की उम्र के बाद खाता बंद कर दिया जाता है।
धनलक्ष्मी योजना की शुरुआत भी केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी है। यह साल 2008 में शुरू हुई। इस योजना के तहत बेटी का जन्म पंजीकरण, टीकाकरण, शिक्षा और 18 वर्ष की आयु के बाद ही विवाह किए जाने पर 1 लाख रुपए की बीमा राशि दी जाती है। बेटियों को समृद्ध बनाने के लिए यह योजना बहुत लाभकारी है।