हम अपने पूर्वजों से यही कहानी सुनते बड़े हुए हैं कि रावण बुरा इंसान था, इसीलिए राम ने उसका वध किया। रामायण के अनुसार, श्रीराम ने अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन लंकापति रावण का वध किया था। इसीलिए इस दिन को विजयदशमी यानि कि दशहरा के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में रावण को रामायण का खलनायक माना जाता है क्योंकि उसने देवी सीता का हरण किया था, जिसके कारण भगवान श्रीराम को उससे युद्ध करना पड़ा, जिसमें वह मारा गया। मान्यताओं के अनुसार, रावण की नाभि में ब्रह्म बाण लगने के बाद वह धराशायी हो गया था। इस दौरान कालचक्र ने जो रचना की, उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था, जब राम ने लक्ष्मण से रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने का आदेश दिया था, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा। रावण का यही स्वरूप पूजनीय है। इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर रावण की पूजा की जाती है। यही कारण है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में रावण की पूजा होती है।
भारत में प्रसिद्ध रावण के मंदिर famous ravana temple in india
एक तरफ जहां लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए रावण का पुतला दहन करते हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे ही देश में रावण की पूजा भी की जाती है। यहां हम आपको भारत के कुछ ऐसे ही अद्भुत और अनोखे मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जहां रावण की बड़े ही विधि-विधान से पूजा की जाती है –
काकीनाडा, आंध्र प्रदेश
काकीनाडा बेहद सुंदर जगह है और यहां स्थित रावण का मंदिर भी बेहद दर्शनीय है। इस मंदिर में एक विशालकाय शिवलिंग है। कहते हैं कि इसे स्वयं रावण ने स्थापित किया था। इस मंदिर के प्रांगण में रावण की करीब 30 फीट लंबी मूर्ति है। स्थानीय मछुआरे इस मंदिर की देखभाल करते हैं।
दिल्ली के सबसे खूबसूरत व शानदार मंदिरों में शुमार है।
बिसरख, उत्तर प्रदेश
ग्रेटर नोएडा के पास स्थित इस गांव में रावण का बचपन बीता था, यहां रावण के गुणों का बखान किया जाता है। यहां विजयादशमी के दिन शोक जैसा माहौल रहता है और यहीं राक्षसकुमारी कैकसी का विवाह रावण के पिता विश्वेश्रवा के साथ सम्पन्न हुआ था। बिसरख के लोगों का कहना है कि यह जगह कभी रावण का गांव हुआ करती थी, जिसका जिक्र शिवपुराण में भी हुआ है। यहां स्थित शिव मंदिर में रावण की प्रतिमा भी मौजूद है, जिसकी बड़े विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी मंदिर में भगवान शिव ने रावण की तपस्या से खुश होकर उसे दर्शन दिये थे। यही कारण है कि इस गांव में कभी भी रावण का पुतला जलाया नहीं जाता है।
कानपुर, उत्तर प्रदेश
कानपुर एक ऐसी जगह है, जहां दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, यहां रावण का मंदिर भी मौजूद है, जो केवल साल में दो दिन के लिए दशहरा के मौके पर ही खोला जाता है। इस दिन यहां पूरे विधि-विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिली, उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था।
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मंदसौर मध्यप्रदेश का एक जिला है, जिसका प्राचीन नाम दशपुर है। कहते हैं कि त्रेतायुग में लंका के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर में था यानी कि रावण मंदसौर का दामाद था। यहां के खानपुरा इलाके में रावण की प्रतिमा स्थापित है और नामदेव समुदाय अपनी प्राचीन मान्यताओं के चलते इसकी पूजा करता है। उनका मानना है कि रावण की पूजा से उनके समाज में फैली बीमारियों से उनकी रक्षा होगी और वे उन पर किसी भी तरह की आंच नहीं आने देंगे।
विदिशा, मध्य प्रदेश
विदिशा जिले का रावणग्राम ऐसा गांव है, जहां ‘रावण बाबा नम:’ की गूंज होती है। इस गांव में रावण को देवता की तरह पूजा जाता है। यहां रावण की लेटी हुई प्रतिमा विराजमान है। वहां के लोगों का मानना है कि अगर इस प्रतिमा को खड़ा करने की कोशिश की गई तो कोई न कोई अनहोनी घटित हो जाएगी। गांव में कोई भी शुभ काम या त्योहार होने पर सबसे पहले रावण बाबा की ही पूजा की जाती है और उन्हें भोग भी अर्पित किया जाता है।
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल के कांगड़ा जिला के बैजनाथ में दशहरा पर्व पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को रावण अपने साथ लंका ले जाना चाहते थे, लेकिन लघुशंका आने पर रावण ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था और फिर उसे हिला भी नहीं पाया था। रावण को यहीं पर शिवलिंग छोड़कर जाना पड़ा था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यदि यहां कोई रावण का पुतला फूंकता है तो उसे शिव जी के कोपभाजन से कोई नहीं बचा सकता। मान्यता है कि अगर कोई भी यहां रावण का पुतला जलाने की कोशिश करेगा तो उसकी मौत तक हो सकती है। इसी कारण से यहां के लोग रावण को पूजते हैं।
जोधपुर, राजस्थान
जोधपुर का मंदोर, जहां दशानन रावण ने मंदोदरी से शादी रचाई थी। यहां रावण का बड़ा ही भव्य मंदिर भी स्थित है, जहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। दरअसल, मयासुर और हेमा की एक पुत्री हुई थी, जिसका नाम मंदोदरी रखा गया था। ऐसा कहा जाता है कि मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंदोर पड़ा।
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