ब्रेस्टफीडिंग बच्चे को दूध पिलाने का नैचुरल तरीका है, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि बच्चा जन्म के तुरंत बाद आराम से फीड करना शुरू कर देता है। शुरुआत में न्यू मॉम्स कई ऐसी ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम्स का सामना करती हैं, जो कई बार उन्हें यह सोचने के मजबूर कर देती हैं कि वे बच्चे को दूध पिलाएं या नहीं।
अगर आप भी ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम्स के चलते परेशान हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इस प्रोसेस को सीखने में आपको कुछ समय लग सकता है, लेकिन वक्त के साथ आप परफेक्ट होती चली जाएंगी। बच्चे को ब्रेस्टफीड कराते समय शुरुआत में न्यू मॉम्स को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसके बारे में लेख में विस्तार से जानेंगे।
न्यू मॉम्स को होने वाली ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम्स
न्यू मॉम्स को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, नीचे विस्तार से इसके बारे में जानेंगे।
1. पर्याप्त दूध न बनना- Less Breast Milk
कभी-कभी किन्ही कारणों से मां का शरीर पर्याप्त दूध नहीं बना पाता है, जिस कारण शिशु को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे बच्चे का वजन भी घट सकता है, जो शिशु के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे में मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए माँ कई चीजों को अपना सकती हैं। ब्रेस्ट के खाली होने पर बॉडी को ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बनाने का सिग्नल मिलता है। ऐसे में बच्चा जितनी बार स्तनपान करना चाहता है, उसे उतनी बार फीड कराएं।
2. शिशु द्वारा निप्पल से दूध नहीं खींच पाना- Latching problems
शुरू के दिनों में बच्चे को निप्पल से दूध खींचने में दिक्कत हो सकती है, जिस वजह से माँ को काफी स्ट्रगल करना पड़ता है। माँ बच्चे को निप्पल से दूध खींचना सिखाती है। इस प्रोसेस में समय लगता है, लेकिन वक्त के साथ बच्चा अच्छे से दूध खींचने लगता है।
3. ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम्स: स्तनों या निप्पल में दर्द – Breast or Nipple Pain
डिलीवरी के बाद जब महिला के स्तनों से दूध निकलता है, तो ब्रेस्ट व निप्पल में पेन होता है। वहीं, बच्चे को स्तनपान कराने के बाद ये दर्द और भी ज्यादा हो जाता है। डिलीवरी के कई हफ्तों तक न्यू मॉम्स को इस दर्द की शिकायत रहती है। कई बार निप्पल के क्रैक व सूजन होने के कारण भी ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को स्तनों व निप्पल में दर्द हो सकता है।
ब्रेस्ट इंगोरजमेंट (अतिरिक्त मात्रा में दूध बनने से ब्रेस्ट में सूजन व दर्द), मैस्टाइटिस (एक प्रकार का स्तनों में इंफेक्शन) के कारण स्तनों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
4. ब्रेस्ट का सख्त होना- Breast Engorgement
जब बच्चा ठीक से दूध नहीं पीता या फिर ब्रेस्ट का अत्यधिक मात्रा में दूध बनाना, दोनों ही स्थिति में ब्रेस्ट दूध से भरी रहती है। इससे कुछ महिलाओं की ब्रेस्ट सख्त हो जाती है। इसे ब्रेस्ट इंगोरजमेंट कहते हैं। इसमें ब्रेस्ट में मिल्क भरे रहने से सूजन व दर्द महसूस होता है।
5. निप्पल्स में इंफेक्शन – Mastitis
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में मैस्टाइटिस (एक प्रकार का स्तनों में इंफेक्शन) होने का जोखिम अधिक होता है। दरअसल, बच्चे के मुंह में कई ऐसे कीटाणु होते हैं, जो इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। इसमें माँ को निप्पल्स में दर्द, चकत्ते, खुजली, लालिमा आदि शिकायत हो सकती हैं।
6. ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम्स: दूध का लीक होना-Leaking Breast Milk
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में शुरुआती कुछ महीनों दूध लीक होने की परेशानी काफी होती है। इसके चलते उनके बार-बार कपड़े खराब हो जाते हैं। इससे बचने के लिए बच्चे को जल्दी-जल्दी दूध पिलाएं। ऐसा करने से ब्रेस्ट में दूध भरता नहीं है। इसके अलावा, ब्रा में मैटरनिटी ब्रेस्ट पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं।
7. ब्रेस्टफीडिंग की सही पोजीशन-Breastfeeding Position
बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान महिला किस पोजीशन में बच्चे को दूध पिला रही है, यह काफी मायने रखता है। न्यू मॉम्स को ब्रेस्टफीडिंग की पोजीशन के बारे में इतनी जानकारी नहीं होती है। अगर स्तनपान कराते समय सही पोजीशन नहीं होती है, तो इससे महिला के साथ-साथ शिशु को भी दूध पीने में असुविधा होती है। इससे नवजात शिशु सही तरीके से और सही मात्रा में दूध नहीं पी पाता है। ऐसे में डिलीवरी से पहले एक्सपर्ट से ब्रेस्टफीडिंग सेशन लें। इसमें माँ बनने वाली महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग कराने के बेहतर तरीके सिखाएं जाते हैं।
तो ये थी कुछ ऐसी परेशानियां जिसका डिलीवरी के बाद अमूमन सभी न्यू मॉम्स सामना करती हैं। आशा करते हैं हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा।
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