गणेश चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है और यह भगवान गणेश को समर्पित है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश (ganesh chaturthi vrat kab hai) की पूजा की जाती है। यहां तक कि किसी भी देवी देवता की पूजा करने से पहले भी भगवान गणेश जी की ही पूृजा होती है। गणेश चतुर्थी हर साल भगवान गणेश (vinayak chaturthi 2022) के जन्म के रूप में मनाई जाती है। विशेष रूप में महाराष्ट्र में इस त्योहार का अधिक महत्व है और वहां इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi in hindi) के दौरान वहां गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं देकर ही दिन की शुरुआत होती है। गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश को ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। यहां जानिए गणेश चतुर्थी कब है (ganesh chaturthi kab hai), गणेश चतुर्थी 2022 की कथा, गणेश चतुर्थी (ganpati kab hai) का महत्व, गणेश चतुर्थी पूजा विधि, गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा (ganesh chaturthi vrat katha in hindi) और भी बहुत कुछ।
Ganesh Chaturthi Kab Hai | 2022 गणेश चतुर्थी कब है?
Importance of Ganesh Chaturthi in Hindi | गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है और यह भगवान गणेश (गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है) को समर्पित है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक देवी पार्वती ने चंदन के लेप का इस्तेमाल करके एक छोटे लड़के की मूर्ति बनाई थी और अपनी दिव्य शक्तियों से उसे जीवन दिया था। जैसे ही मूर्ति में जान आई तो वह युवा लड़का निकला और उन्हें अपनी मां के रूप में संबोधित करने लग गया। देवी पार्वती एक पुत्र को पाकर बहुत ही प्रसन्न थीं और वह जानती थीं कि यह हमेशा उनकी सेवा के लिए समर्पित रहेंगे। उन्होंने बहुत प्यार से अपने पुत्र का नाम गणेश रखा।
इसके बाद वह स्नान के लिए चली गईं और उन्होंने अपने पुत्र को प्रवेश द्वार देखने के लिए कहा। जब महादेव वहां देवी पार्वती से मिलने आए तो गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर महादेव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब देवी पार्वती को पता चला तो वह महादेव पर क्रोधित हो गईं। इसके बाद उनके धड़ पर हाथी के बच्चे का सिर लगाया गया था। साथ ही उन्हें यह आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ था कि हर शुभ काम से पहले उनकी पूजा की जाएगी। इतना ही नहीं किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भी भगवान गणेश (गणेश कथा) की ही पूजा की जाती है।
Ganesh Chaturthi Vrat Katha in Hindi | गणेश चतुर्थी व्रत कथा
गणेश चतुर्थी (गणेश चतुर्थी कथा) व्रत कथा (ganesh chauth ki kahani) भी काफी रोचक है। पौराणिक कथा (गणेश चतुर्थी व्रत कथा) के अनुसार, एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती नर्मदा नदी के तट पर विराजमान थे। वहां मां पार्वती ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने का अनुरोध किया, उस वक्त शिवजी ने मां पार्वती से सवाल किया, चौपड़ तो हम खेल लेंगे लेकिन हमारी हार-जीत का फैसला कौन करेगा? सवाल सुनकर मां पार्वती ने वहां पड़े कुछ घास के तिनके बटोरकर एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए और उससे कहा- पूत्र! हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, लेकिन यहां हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है, इसलिए तुम हमारे खेल के साक्षी बनों और आखिरी में तुम ही हमें बताना कि कौन जीता, कौन हारा?
महादेव और देवी पार्वती ने चौपड़ का खेल शुरू कर दिया। तीनों बार इस खेल में देवी पार्वती ही जीतीं, लेकिन जब उस बालक से हार जीत के बारे में पूछा गया, तो उसने महादेव को विजयी बताया। ये बात सुनकर देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और उस बालक को एक पैर से लंगड़ा होने और वहीं नदी किनारे कीचड़ में पड़े रहकर दुख भोगने का शाप दे दिया।
मां को क्रोधित देख बालक ने तुरंत ही अपनी भूल की क्षमा मांगी और कहा कि मुझसे अज्ञानवश ऐसा हो गया। कृपया मुझे माफ करें और मुक्ति का मार्ग बताएं। तब मां पार्वती उस बालक को माफ करते हुए बोलीं कि यहां नाग-कन्याएं गणेश-पूजन के लिए आएंगी। उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो इसके बाद ही तुम मुझे प्राप्त कर सकोगे। इतना कहकर देवी पार्वती कैलाश पर्वत चली गईं। उनके साथ महादेव भी कैलाश चले गए।
एक साल बाद वहां श्रावण मास में नाग-कन्याएं गणेश पूजन के लिए आईं। उन्होंने गणेशजी का व्रत कर उस बालक को भी व्रत की विधि (Vinayaka Chaturthi Vrat Katha) बताई, जिसके बाद बालक ने 12 दिन तक गणेश जी का व्रत किया। व्रत से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उसे दर्शन दिए और बालक को उसकी इच्छा के अनुसार वर दिया कि वो स्वंय चलकर कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता के पास पहुंच सके। गणेश जी से वरदान मिलने के बाद बालक ने कैलाश पहुंचकर अपने माता पिता के दर्शन किए। गणेश चतुर्थी कथा (श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि और व्रत कथा) के बाद अब आप नीचे गणेश चतूर्थी की पूजा विधि के बारे में भी जान सकते हैं।
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi in Hindi | गणेश चतुर्थी पूजा विधि
1- पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पूजा आरंभ करें। जैसे- पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि
2- अब एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।
3- इसके बाद गंगा जल का छिड़काव करके पूरे स्थान को पवित्र करें। भगवान श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पित करें।
4- अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूर्वा, पान, सुपारी. लौंग, इलायची, नारियल और मिठाई भगवान को समर्पित करें।
5- भगवान श्री गणेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए।
6- श्री गणेश भगवान को मोदक सबसे अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।
7- श्रीगणेश के दिव्य मंत्र ‘ॐ श्री गं गणपतये नम:’ का 108 बार जप करें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
8- श्रीगणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा भी साथ में करें।
9- व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें। शांत चित्त होकर ही गणेश भगवान का पूजन करें।
10- शास्त्रानुसार श्रीगणेश की प्रतिमा प्राणप्रतिष्ठित कर पूजन-अर्चन के बाद विसर्जित कर देनी चाहिए। इस दौरान आप अपनी सुविधानुसार 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक भजन-कीर्तन आदि आयोजनों और सांस्कृतिक आयोजनों, पूजन अर्चना (गणेश चतुर्थी की पूजा विधि) करते हुए प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं।
FAQ’s गणेश चतुर्थी से जुड़े सवाल और जवाब
इस व्रत का काफी महत्व हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भारत के विभिन्न भागों में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसे बडी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दौरान घर पर गणेश स्थापना करने से सुख-शांति आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत में कुट्टु के आटे की रोटी या परांठा बनाकर खा सकते हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे चंद्रमा को न देखें। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखता है, वह मिथ्या दोष या मिथ्या कलंक बनाता है, जिसका अर्थ है कुछ चुराने का झूठा आरोप लगना।
गणेश चतुर्थी का व्रत कब खोला जाता है
गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) का त्योहार लगभग 10 दिनों का होता है और कई लोग इस दौरान अपने घर में गणपति स्थापित करते हैं। ऐसे में उन्हें कुछ नियमों और पूजा विधि का भी पालन करना होता है, जिनके बारे में हमने ऊपर बताया है। इसके बाद जब गणपित विसर्जन (ganesh ji ka visarjan kab hai) किया जाता है, तभी लोग अपने व्रत खोलते (गणेश चतुर्थी का व्रत कब खोला जाता है) हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाएं | What to Eat During Ganesh Chaturthi fast In Hindi
सभी श्रद्धालुओं के मन में ये प्रश्न रहता है कि गणेश चतुर्थी के व्रत में क्या खाएं, तो आपको बता दें कि उपवास के दौरान दिन में एक बार बैठकर सात्विक भोजन करने का नियम बनाया गया है। आप दिन के समय में फल, दूध और उसके उत्पाद, फलों का रस, साबूदाना की खीर और सिंघाड़े खा सकते हैं। उपवास के दौरान पानी पीते रहें ताकि आपका शरीर हाईड्रेट रहे।
Ganesh ji Aarti Hindi | गणेश आरती
किसी भी प्रभु की पूजा उनकी आरती के बिना खत्म नहीं होती है और इस वजह से आपको भी विघ्नहर्ता की पूजा के बाद उनकी आरती (ganesh ji aarti hindi) करनी चाहिए। इस वजह से हम यहां आपके लिए कुछ Ganesh Arti 2022 लेकर आए हैं।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
सुखकर्ता, दुखहर्ता
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव…
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,
सुरवरवंदना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…
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हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में आपको गणेश चतुर्थी, गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, गणेश चतुर्थी का महत्व और 2022 में गणेश चतुर्थी कब मनाई जा रही है के बारे में सारी जानकारी मिल गई होंगी।
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