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RealShakti: अपनी सादगी और सोशल वर्क से सुधा मूर्ति लाखों लोगों को करती हैं इंस्पायर

Garima Anurag  |  Oct 21, 2023
sudha murty

वुमन राइट्स और एजुकेशन की बात हो या समाज में सुधार के लिए लगातार काम करने वालों की बात हो, तो ऐसे में सुधा मूर्ति का नाम न लिया जाए ऐसा होना मुश्किल है। आज समाज कार्यकर्ता और लेखिका होने के साथ सुधा का नाम यूके के प्रेसिडेंट ऋषि सुनक की सासु मां के तौर पर भी युवाओं के बीच प्रचलित है। वो इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति की लाइफ पार्टनर भी हैं, लेकिन सुधा मूर्ति अपने आप में एक संस्था हैं जो अपनी बातों से लोगों के दिलों तक बहुत सीधे, सरल तरीके से पहुंचती हैं। 

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टेलको की पहली महिला कर्मचारी बनी सुधा मूर्ति

 1976 में सुधा मूर्ति अमेरिका जाना चाहती थीं। लेकिन जब वह एम.टेक के अंतिम वर्ष में थीं तो उन्हें टाटा टेल्को में एक जॉब वेकेन्सी दिखी जहाँ महिलाओं को आवेदन करने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने जेआरडी टाटा टेल्को, मुंबई को पोस्टकार्ड लिखकर इसकी शिकायत की। हालांकि उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इस पोस्टकार्ड का जवाब मिलेगा और साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद उन्हें नौकरी भी मिल गई। 

महिलाओं के समान अधिकार के लिए किया देश में जॉब

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जिस वक्त सुधा को टेलको से जॉब का ऑफर लेटर मिला उस वक्त वो विदेश जाकर स्कॉलरशिप करना चाहती थी। लेकिन उनके पिता ने उन्हें उस वक्त सलाह दी थी कि अगर वो अपने देश में महिलाओं के लिए समान अधिकार के लिए लड़ना चाहती हैं तो उन्हें यहां जॉब करना  जाने की इच्छा के बावजूद किया देश में जॉब

इंजीनियरिंग करना भी था किसी चुनौती की तरह

सुधा मूर्ति ने केबीसी में ये बताया था कि 1968 में इंजीनियरिंग करने के उनके फैसले पर उनकी फैमिली ने कैसे रिएक्ट किया था। उस वक्त सबने कहा था कि अगर वह ऐसा कोर्स करेगी जिसमें मुख्य रूप से लड़के होते हैं तो उनके समुदाय में कोई भी उससे शादी नहीं करेगा। क्योंकि इंजीनियरिंग के एंट्रेन्स में सुधा के नम्बर अच्छे थे तो उन्हें कॉलेज में दाखिला मिल गया। हालांकि कॉलेज के प्रिंसिपल ने उनके सामने कई शर्ते रखी थी जैसे साड़ी पहनकर ऑफिस आना, कैंटीन न जाना, लड़कों से बात न करना आदि। उन्होंने बताया था कि क्योंकि कॉलेज में लड़कियां होती ही नहीं थी, तो उनके कॉलेज में उन्हें टॉयलेट की समस्या लंबे समय तक झेलनी पड़ी। बाद में जब वो इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरमैन बनी तो उन्होंने 16,000 टॉयलेट बनवाए।

पति को कंपनी के लिए दिया था उधार

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सुधा के पति एन आर नारायण मूर्ति ने जब कंपनी शुरू करने का मन बनाया तो सुधा ने उन्हें 10 हजार रुपए उधार के रूप में दिए थे और तीन साल का समय दिया था। कुछ दिनों पहले उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि इंफोसिस को बनाने के समय अगर मैं अपने पति से समय की मांग करती तो ये सफलता पाना उनके पति के लिए मुमकिन नहीं होता।

लिख चुकी हैं कई किताबें

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सुधा मूर्ति की कुछ लोकप्रिय किताबों में द मदर आई नेवर न्यू, थ्री थाउजेंड स्टिच, द मैन फ्रॉम द एग और मैजिक ऑफ द लॉस्ट टेम्पल शामिल हैं। उनकी किताबें सरल भाषा के लिए हर एज ग्रुप के बीच पसंद की जाती है। सुधा की किताबों में बच्चों के लिए कहानियां, उनके अनुभव और हमारे समाज से जुड़ी छोटी, लेकिन रोचक जानकारी मिल जाती है और यही वजह है कि इसे हर उम्र के लोगों को पढ़ना पसंद है।

मिल चुके हैं कई सम्मान

यूं तो सुधा को अबतक कई सम्मान मिल चुके हैं, लेकिन साल 2019 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

सादगी के बारे में हमेशा होती रही है चर्चा

हाल ही में एक एंटरप्रेन्योर ने हवाई अड्डे पर सुधा मूर्ति से मुलाकात के अपने अनुभव को साझा करने के लिए लिंक्डइन का सहारा लिया था। इंडिया हेम्प एंड कंपनी की सह-संस्थापक जयंती भट्टाचार्य ने बताया था कि कैसे वह न केवल मूर्ति की विनम्रता और सादगी से बल्कि अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद करने की उनकी क्षमता से भी दंग रह गईं। वैसे ये पहली बार नहीं है जब सुधा ने किसी को अपनी सादगी और सरलता से इम्प्रेस किया हो।

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