वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हमारी भारतीय संस्कृति में कई त्योहार उत्साह और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं, जिनमें से एक है वट सावित्री (Vat Savitri) यानि कि बरगदाही। जोकि ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत के दौरान विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं। रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं। साथ ही हाथ जोड़कर वृक्ष की परिक्रमा लेती हैं। इससे पति के जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र प्राप्त होती है। वैसे स्कन्द और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को और नियममृतादि के अनुसार अमावस्या को मनाने की प्रथा है। उत्तर भारत में यह व्रत अमावस्या को, तो दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है।
क्या है वट सावित्री’ व्रत और उसका महत्व
बरगद के पेड़ की ही पूजा क्यों?
वट पूजा का मुहूर्त
बरगदाही पूजा की व्रत कथा
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