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जानिए वास्तुशास्त्र के अनुसार शौचालय किस दिशा में होना चाहिए – Toilet Direction as Per Vastu in Hindi

Supriya Srivastava  |  Jun 14, 2022
शौचालय किस दिशा में होना चाहिए

आजकल घर बनाने के लिए इंटीरियर डिजाइन और वास्तुशास्त्र का ट्रेंड काफी बढ़ गया है। पहले के ज़माने में लोग इन सब बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया करते थे। मगर आजकल घर में सुख शांति बनी रहे इसके लिए घर के वास्तु का खास ख्याल रखा जाता है। इंटीरियर डेकोरेशन जहां घर की सुंदरता का साक्षी बनता है वहीं वास्तुशास्त्र घर में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी में सुख-शांति लाने का जरिया माना जाता है। लोग वास्तु अनुसार अपने घर से लेकर ड्राइंग रूम और डाइनिंग रूम तक बनाते हैं। यहां तक कि बाथरूम के लिए वास्तु टिप्स भी खोज निकालते हैं। मगर इन सब के बीच वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय पर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। अब आप कहेंगे बाथरूम और शौचालय में क्या अंतर है तो इनके बीच काफी अंतर होता है। हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय की दिशा व घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए। 

घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए – Toilet ki Sahi Disha

वास्तु शास्त्र में आपके घर के हर कमरे के लिए दिशा-निर्देश हैं – कमरों की दिशा, रंग जो इस्तेमाल किए जा सकते हैं, दोषों को ठीक करने के तरीके, यदि कोई हो, आदि। आज अधिकांश लोगों का मानना है कि वास्तु अनुसार घर होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यही वजह है कि लोग घर का हर कोना वास्तुशास्त्र के अनुसार ही सजाते हैं। इसी में Vastu Tips for Good Health in Hindi भी शामिल है। मगर बात जब शौचालय बनाने की आती है तो लोग दिशा पर इतना ध्यान नहीं देते। क्योंकि यह घर का वो हिस्सा होता है, जिसपर ज्यादा ध्यान नहीं जाता। जबकि शौचालय की दिशा न सिर्फ आपके घर की सुख-शांति तय करती है बल्कि स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। 

वास्तु के अनुसार बाथरूम और शौचालय का क्षेत्र आपके घर के उत्तर दिशा या उत्तर-पश्चिम भाग में होना चाहिए। शौचालय क्षेत्र दक्षिण दिशा में या यहां तक ​​कि दक्षिण पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी न बनाएं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि घर में लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा रेडी-टू-मूव-इन अपार्टमेंट खरीदते समय, सुनिश्चित करें कि बाथरूम की दिशा सही जगह पर है या नहीं। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय बनाने के टिप्स

वास्तु शास्त्र में घर के हर क्षेत्र के लिए विशिष्ट नुस्खे हैं, चाहे वह बच्चों का शयनकक्ष हो, घर का कार्यालय हो, ध्यान कक्ष हो या आपकी रसोई हो। न केवल कमरों की दिशा के संदर्भ में, वास्तु घर में फर्नीचर लगाने के लिए सही स्थान भी निर्धारित करता है। यहां तक कि दूसरों की चप्पल पहनने से क्या होता है, ये भी वास्तु बताता है। शौचालय और स्नानघर एक घर में नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन जाते हैं क्योंकि उन्हें अक्सर किसी के शयनकक्ष या रहने वाले कमरे के समान व्यवहार नहीं किया जाता है। केवल वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय की दिशा तय कर देना ही शौचालय का सम्पूर्ण वास्तु नहीं होता। इसके अलावा भी ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जो वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय को तय करती हैं। हम यहां आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। 

शौचालय का दरवाज़ा 

शौचालय का प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व की दीवार पर होना चाहिए। वास्तु के अनुसार दरवाजा कभी भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। अगर आपका शौचालय आपके बेडरूम से जुड़ा हुआ है, तो उपयोग में न होने पर बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें। ऊर्जा को अपने घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए और अपने करियर और व्यक्तिगत संबंधों में बाधाएं पैदा करने से बचने के लिए बाथरूम का दरवाजा हर समय बंद रखें। इसके अलावा शौचालय का दरवाज़ा हमेशा एक अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए। धातु का दरवाजा नकारात्मकता को बढ़ावा देता है और आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। नकारात्मक 

जमीन से ऊंचा स्थान

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय टैंक होना भी बेहद ज़रूरी है। छोटे घरों में बड़ा शौचालय बनाना मुश्किल हो सकता है। इस समस्या का उपाय काफी सरल है। बेहतर होगा कि शौचालय को जमीनी स्तर से थोड़ा ऊंचा बनाया जाए। वास्तु कभी भी शौचालय की जगह को जमीन के समान स्तर पर रखने की सलाह नहीं देता है। हालांकि, इसे थोड़ा एकांत में रखना वैज्ञानिक रूप से भी फायदेमंद है। 

शौचालय का फर्श 

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय के लिए मार्बल या टाइल फ्लोरिंग का इस्तेमाल करना चाहिए। ढलान पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए ताकि पानी एक ही तरफ (यानी, पूर्व या उत्तर) से निकल सके। ऐसा माना जाता है कि इस पानी में विषाक्त पदार्थ, नकारात्मक ऊर्जा और बुरे विचार होते हैं। इसलिए पूर्व या उत्तर दिशा में पानी की निकासी करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। बहुत से लोग शौचालय के लिए गहरे रंग की टाइलें चुनते हैं। लेकिन आप गंदगी नहीं देख सकते और इसके लिए अपने शौचालय क्षेत्रों को साफ नहीं कर सकते। अस्वच्छ स्थान न केवल अस्वच्छ होता है बल्कि अनिष्ट शक्तियों का स्रोत होता है । इस कारण से, वास्तु सलाहकार कभी भी फर्श के लिए गहरे रंग की टाइलों की सलाह नहीं देते हैं। इसके बजाये आप हलके रंग के मार्बल या टाइल्स का उपयोग करें। 

शौचालय का पानी निकलने का स्थान

यदि आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा लाना चाहते हैं तो शौचालय और स्नानघर के वास्तु के अनुसार एक अनुकरणीय जल निकासी प्रणाली भी आवश्यक है। वास्तु के अनुसार बाथरूम और शौचालय में पानी और निकासी का निकास उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व में होना चाहिए। आपको हमेशा यह सुनिश्चित करना होगा कि पानी पर्याप्त रूप से निकल जाए। बाथरूम में पानी की रुकावट नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। तो, यह सुनिश्चित करने के लिए, अपने शौचालय के फर्श को थोड़ा सा ढलान दें। यह मदद करेगा यदि आप यह भी सुनिश्चित करते हैं कि शौचालय और स्नानघर के पाइप को पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिए। 

वॉटर क्लोसेट के लिए सही जगह

वास्तु के अनुसार टपकता हुआ पानी वाला शौचालय कभी भी अनुकूल नहीं होता है। इसलिए, उपयोग में न होने पर हमेशा नल को बंद रखने पर विचार करें। हालाँकि, आदर्श दिशा वह है जब सेटिंग बाथरूम के उत्तर-पूर्वी अक्ष की ओर हो। वॉशबेसिन एरिया वास्तु के अनुसार बाथरूम के पूर्व, उत्तर और उत्तर-पूर्व भाग में होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, शौचालय को बेडरूम, पूजा कक्ष या रसोई के साथ दीवार साझा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह घर में नकारात्मक खिंचाव पैदा कर सकता है। अगर बेडरूम की दीवार शौचालय के साथ शेयर हो रही है तो इसके परिणाम स्वरूप आपको बुरे सपने आ सकता है।

बाथरूम के लिए रंग का चुनाव 

बाथरूम का उपयोग हमेशा बंद दरवाजों के साथ किया जाता है। इसलिए सजावट को न्यूनतम और सकारात्मक रखने के लिए हल्के रंग बहुत अच्छे होते हैं। हालांकि, वास्तु शास्त्र का सुझाव है कि घर के शौचालय में गहरे रंग के टोन से बचें। वास्तु के अनुसार, शौचालय के इंटीरियर के लिए सबसे अच्छे रंग भूरे, बेज, क्रीम और अन्य मिट्टी के रंग हैं। काले और गहरे नीले रंग से बचें। ये सभी रैंक नकरात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वास्तु के अनुसार शौचालय का रंग उसके स्थान के अनुसार चुना जाता है। 

वास्तु के अनुसार टॉयलेट सीट की दिशा – Direction of Toilet Seat According to Vastu in Hindi

शौचालय के अंदर टॉयलेट सीट लगाते समय विशेष ध्यान देना चाहिए। टॉयलेट सीट दो तरह की होती हैं- इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट सिस्टम। हम वास्तु शास्त्र के अनुसार कोई भी टॉयलेट सीट या दोनों चुन सकते हैं। वर्तमान दुनिया में ज्यादातर लोग अपार्टमेंट और फ्लैट में रहते हैं, जहां अधिकतर अब वेस्टर्न टॉयलेट ही देखने को मिलते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार फ्लश टॉयलेट या कमोड का अपना स्थान ऐसा होना चाहिए जहां उपयोगकर्ता का मुंह किसी भी दिशा में हो लेकिन कभी भी पश्चिम या पूर्व दिशा में नहीं। यह परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करेगा। इसलिए, फ्लश शौचालय रखने के लिए सबसे अच्छी जगह या तो दक्षिण-पूर्व में या उत्तर-पश्चिम में उत्तर या दक्षिण की ओर है। यह किसी के शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय बनाने से जुड़े कुछ सवाल – FAQ’s

सवाल- शौचालय में शौच करते समय मुंह किधर होना चाहिए?

जवाब- शौचालय में शौच करते समय मुंह उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

सवाल- क्या शौचालय सीढ़ियों के नीचे क्या होना चाहिए?

जवाब- शौचालय को सीढ़ी के नीचे आसानी से रखा जा सकता है, अगर आपका शौचालय सही स्थान पर रखा गया है। जैसे उत्तर पश्चिम के पश्चिम या दक्षिण या दक्षिण पश्चिम या दक्षिण पूर्व के पूर्व में, तो कोई समस्या नहीं है। 

सवाल- घर में शौचालय कहाँ नहीं होना चाहिए?

जवाब- शौचालय क्षेत्र दक्षिण दिशा में या यहां तक ​​कि दक्षिण पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी न बनाएं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि घर में लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सवाल- वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक कहाँ बनाये?

जवाब- वास्तु शास्त्र के अनुसार सेप्टिक टैंक स्थापित करने के लिए उत्तर-पश्चिम भाग का पश्चिम सबसे अच्छी दिशा है। पश्चिम मुखी घर के लिए सेप्टिक टैंक दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के दक्षिण में बनाया जा सकता है।

अगर आपको यहां दिए गए वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय ( toilet direction as per vastu in hindi) के टिप्स पसंद आए तो इन्हें अपने दोस्तों व परिवारजनों के साथ शेयर करना न भूलें।

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न्यू बॉर्न बेबी के कमरे के लिए वास्तु टिप्स

हम सभी जानते हैं कि किसी भी बच्चे के लिए शुरुआती कुछ साल कितने महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में न्यू बॉर्न बेबी के कमरे के लिए वास्तु टिप्स का पता होना बेहद जरूरी है, ताकि उसी के हिसाब से कमरे बनवाया जा सके।

bedroom vastu in hindi

अगर आप अपने बेडरूम में कुछ चीजों का ध्यान रखेंगे तो आपका लक हमेशा अच्छा ही रहोगा। इसके लिए सिर्फ वास्तु की कुछ आसान बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जो आपको इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलेंगी।

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