भारत रत्न और दादा साहब फाल्के जैसे अवॉर्ड्स से सम्मानित सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) इंडियन सिनेमा जगत में पिछले सात दशक से अपनी आवाज से लोगों को दीवाना बना रही हैं। ये बताते हुए बेहद खुशी महसूस हो रही है कि इस साल 28 सितंबर को वो अपना 91वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं।
लता मंगेशकर के जीवन की अनसुनी बातें Unknown Facts about Lata Mangeshkar in Hindi
सुर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा। उनके जीवन में ऐसे कई उतार-चढ़ाव आए, जिसकी वजह उनका लक्ष्य, संकल्प और भी ज्यादा मजबूत होता चला गया। आइए जानते हैं लता मंगेशकर के बारे में वो बातें जो अब तक आपने कहीं नहीं सुनी होंगी –
- लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर साल 1929 को इंदौर को एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे।
- लता मंगेशकर 3 बहन मीना, आशा, उषा और 1 भाई ह्रदयनाथ में सबसे बड़ी थीं। इसी वजह से घर की जिम्मेदारी भी उन पर थी।
- बेहद कम उम्र में ही लता जी ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने पिता का गायन सुन-सुनकर ही संगीत सिखा था। स्कूल जाने की उम्र में वो बच्चों को संगीत सिखाने लगी।
- लता की पहली कमाई 25 रुपये थी जो उन्हें एक कार्यक्रम में स्टेज पर गाने के दौरान मिली थी। उन्होंने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था। मुंबई आने के बाद उनके अभिनय का यह सफर जारी रहा।
- लता जी जब 13 साल की थीं तो उनके पिता का निधन हो गया था। उसके बाद से घर की जिम्मेदारी और भाई-बहनों की देखभाल करने के लिए पैसा कमाने निकल पड़ींऔर इंदौर से 1945 में मुंबई आ गईं और उन्हें साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में ‘पा लागूं कर जोरी’ गीत गाया।
- लता मंगेशकर को पहला ब्रेक मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म ‘मजबूर’ के गीत ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में गायक मुकेश के साथ गाने का मौका दिया था।
- लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीत गाए हैं। लता को अपने सिने करियर में मान-सम्मान बहुत मिला। वह फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला हैं जिन्हें भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- उन्होंने 1942 में आई फिल्म ‘पाहिली मंगलागौर’ में अभिनय भी किया। लता ने 10 फिल्मों में काम भी किया था, जिनमें ‘पाहिली मंगलागौर’, ‘बड़ी मां’ और ‘जीवन यात्रा’ प्रमुख हैं।
- बचपन के दिनों से उन्हें रेडियो सुनने का बड़ा ही शौक था। 18 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला रेडियो खरीदा था और रेडियो ऑन करते ही उन्हें के. एल. सहगल की मृत्यु की खबर मिली थी, जिसके बाद उन्होंने वह रेडियो दुकानदार को वापस लौटा दिया था।
- लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी ने साथ में कई सारे गीत गाये थे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब लता जी ने रफी साहब से बात करना बंद कर दी थी। दोनों के बीच गानों पर रॉयल्टी को लेकर विवाद हुआ था और ये 4 साल तक चलता रहा।
- शायद बात बहुत कम लोगों को ही पता है कि सिनेमा जगत में आने से पहले लता मंगेशकर के का नाम हेमा हुआ करता था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र ‘लतिका’ के नाम पर, दीनानाथ जी ने उनका नाम ‘लता’ रख दिया था।
- लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उन पर थी। ऐसे में कई बार शादी का ख्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी। बेहद कम उम्र में ही वो काम करने लगी थी। सोचा कि पहले सभी छोटे भाई बहनों को सेटल कर दें। फिर बहन की शादी हो गई। बच्चे हो गए। तो उन्हें संभालने की जिम्मेदारी आ गई। इस तरह से वक्त निकलता चला गया और उन्होंने शादी नहीं की।
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