फिल्म : मुल्क
सितारे : तापसी पन्नू, ऋषि कपूर, नीना गुप्ता, आशुतोष राणा, प्रतीक बब्बर आदि
निर्माता- निर्देशक : अनुभव सिन्हा
मुल्क रिव्यू – बॉलीवुड में अभी तक आतंकवाद और इस्लाम पर कई फिल्में बन चुकी हैं। नामी- गिरामी सितारों से सजी फिल्में भी समाज को संदेश देती आई हैं कि हर खान टेररिस्ट नहीं होता है। मगर 2018 में भी यह समाज इस बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है। लोगों के मन में अभी भी एक धारणा बनी हुई है, जिसे वे बदलना ही नहीं चाहते। अनुभव सिन्हा की ‘मुल्क’ में भी यही बात एक बार फिर दोहराई गई है मगर एक बेहद कसे हुए अंदाज़ में। पढ़िए फिल्म ‘मुल्क’ का रिव्यू।
मैं आतंकवादी नहीं हूं!
यह फिल्म मजहब पर आधारित है। गंभीर मुद्दे पर बनी होने के बावजूद ‘मुल्क’ दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती है। यह कहानी एक ऐसे मुस्लिम परिवार की है, जो कई सालों से बनारस में बसा हुआ है। इनका बड़ा बेटा लंदन में अपनी पत्नी (तापसी पन्नू) के साथ रहता है, जिनके बीच कुछ खटपट होने पर बहू (तापसी पन्नू) अपनी ससुराल (बनारस) आ जाती है। ‘मुल्क’ में तापसी पन्नू एक वकील आरती का किरदार निभा रही हैं, जो मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) के घर की बहू बनने के बाद आरती मोहम्मद हो जाती है। ‘मुल्क’ की शुरुआत होती है, मुराद अली मोहम्मद के 65 वें जन्मदिन के जश्न से, जिसमें उनका परिवार और मोहल्ले के लोग शरीक होते हैं। इसके बाद कहानी आगे बढ़कर बम ब्लास्ट, जिहाद और एन्काउंटर तक पहुंचती है। मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) का भतीजा शाहिद (प्रतीक बब्बर) इस ब्लास्ट में प्रमुख आरोपी साबित होता है और फिर शुरू होती है जिरह।
साबित किया देश प्रेम
पुलिस एन्काउंटर में शाहिद (प्रतीक बब्बर) के मारे जाने के बाद परिजन उसकी डेड बॉडी लेने तक से इनकार कर देते हैं। इस केस का चीफ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर दानिश शाहिद के पिता बिलाल मोहम्मद से पूछताछ करने के बाद उसे 14 दिन की कस्टडी में लेता है। (संतोष आनंद) पब्लिक प्रॉसिक्यूटर आशुतोष राणा का किरदार निभा रहे हैं, जो कोर्ट में बहस के दौरान शाहिद के पूरे परिवार को आतंकवादी साबित करने पर तुले हुए हैं। इसके लिए वे एक से बढ़कर एक तर्क- वितर्क पेश करते हैं। केस आगे बढ़ता है और धीरे- धीरे शाहिद के पूरे परिवार को पूछताछ के बहाने इसमें फंसाया जाने लगता है। वकील मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) अपने भाई को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं पर वे हार जाते हैं। मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) के शक के दायरे में आने के बाद वे अपने केस की जिम्मेदारी अपनी बहू आरती मोहम्मद (तापसी पन्नू) को सौंपते हैं। कोर्ट की बहस आतंकवाद और बम ब्लास्ट से हटकर ‘मुल्क’ और देश प्रेम पर आ जाती है।
कलाकारों का सधा अभिनय
तापसी एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं और वे समय- समय पर इस बात को साबित भी करती रहती हैं। फिल्म ‘पिंक’ से लेकर ‘मुल्क’ तक, उनके अभिनय में सुधार होता जा रहा है। कोर्ट में बहस के दौरान वे कहीं से भी आशुतोष राणा से कम नहीं लगी हैं। परिवार को बचाने की ज़िम्मेदारी निभाते हुए सच्चाई को सामने लाने की पुरजोर कोशिश करती हैं तापसी। ऋषि कपूर मुराद अली मोहम्मद के किरदार में इतना ढल गए कि फिल्म देखते वक्त दर्शकों को ऋषि कपूर याद तक नहीं रहते हैं। एक्टिंग के मामले में फिल्म के छोटे- बड़े, हर किरदार ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है। यह फिल्म आपको रुलाएगी तो कहीं- कहीं चेहरे पर मुस्कुराहट भी ले आएगी। अनुभव सिन्हा के सधे हुए निर्देशन में यह फिल्म काफी संतुलित लगती है और हॉल से निकलता दर्शक एक पल को तो यह सोचने पर मजबूर हो ही जाएगा कि दूसरे धर्म का हर व्यक्ति आतंकवादी नहीं हो सकता है। जहां ‘मुल्क’ यह संदेश देती है कि हर किसी को देखने और समझने के लिए हमें अपने चश्मे (नज़रिये) को साफ करते रहना चाहिए, वहीं यह बच्चों की परवरिश पर भी कुछ सवाल खड़े करती है। कोर्ट सीन और जज की एक्टिंग भी दिल जीत लेती है।
फिल्म ‘मुल्क’ को हम दे रहे हैं 4 स्टार। अगर टिपिकल बॉलीवुड मसाला से हटकर एक अच्छे कंटेंट वाली फिल्म देखना चाहते हैं तो ‘मुल्क’ आपके लिए है!
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