जोया अख्तर की फिल्म द आर्चीज से बॉलीवुड में करियर शुरू करने वाली सुहाना खान पर फैन्स और मूवी गोअर्स की नजर बनी हुई है। इसकी एक वजह ये है कि वो पहले से ही लोगों के बीच शाहरुख खान की बेटी होने की वजह से काफी पॉपुलर हैं और लोग उनके स्टाइल, लाइफस्टाइल आदि को लेकर उत्सुक रहते हैं।
हाल ही में इस पॉपुलर स्टार कि़ड ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि वो एक ओवरथिंकर हैं और बहुत जल्दी चिंतित होने लगती हैं। एनडीटीवी के साथ बातचीत में, जब सुहाना से मेंटल और फिजिकल रूप से स्वस्थ रहने में फिजिकल फिटनेस के रोल के बारे में पूछा गया, तो सुहाना ने कहा, “मेरे लिए, वर्कआउट करना या कुछ भी फिजिकल करना आपके शरीर से ज्यादा दिमाग के बारे में है। कभी-कभी मेरा मूड बहुत खराब हो जाता है या मैं किसी बात को लेकर परेशान हो जाता हूं क्योंकि मैं बहुत ओवरथिंक करती हूं और छोटी-छोटी बातों को लेकर बहुत चिंतित हो जाती हूं। इसलिए जब मैं जिम जाती हूं, तो उस एक घंटे के वर्कआउट में मेरे लिए कुछ और मायने नहीं रखता है।
आप कैसे कर सकते हैं ओवरथिंकिंग की आदत का मैनेज
ओवरथिंकिंग या अत्यधिक सोचना ऐसी स्थिति है जब आप एक ही विचार या स्थिति पर बार-बार सोचते हैं और ये इतना अधिक होता है कि आप परेशान होने लगते हैं। ओवरथिंक करते हुए आप अतीत के बारे में सोच सकते हैं, किसी अनुभव के बारे में या किसी भविष्य की बारे में चिंता करना।
अगर आपको भी लगता है कि आप हर छोटी चीज पर बार-बार सोच रहे हैं तो आप इन बातों को फॉलो करके अपनी इस आदत को कम जरूर कर सकते हैं-
1. कर सकते हैं एक्सरसाइज
सुहाना खान की तरह अपने रूटीन में किसी भी तरह का फिजिकल वर्कआउट ऐड कीजिए। इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक रिपोर्ट के अनुसार जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसॉर्डर्स के अनुसार ओवरथिंकिंग और एंग्जायटी को मैनेज करने में फिजिकल वर्कआउट मदद करता है।
2. ब्रेन को ट्रेन करें
जब दिमाग में नेगेटिव सोच बढ़ने लगे तो साथ में इसके सॉल्यूशन पर फोकस करने की कोशिश करें। खुद को ये भी समझाएं कि हर बुरा विचार जरूरी नहीं है कि सच हो। अपने परेशान करने वाले विचारों को एक्सेप्ट करें और उनके हल भी तलाशें।
3. पेपर पेन का रुख करें
अगर ऐसा महसूस कर रहे हैं कि कोई बात आपके दिमाग से हट नहीं रही है, तो पेन और पेपर उठाएं और अपने हर थॉट को लिखना शुरू करें। आप रेगुलर जर्नल या डायरी लिखने की आदत भी बना सकते हैं। ये आपका पर्सनल स्पेस भी होगा और अपने हर तरह के सोच को लिखने के बाद काफी हल्का महसूस करेंगे।
4. मेडिटेशन से मिलता है फायदा
नियमित मेडिटेशन प्रैक्टिस करने से दिमाग में लगातार चल रहे विचारों का साइकल टूट जाता है। जब आप मेडिटेशन के समय अपने वातावरण या अपने सांस पर फोकस करते हैं तो उस वक्त दिमाग में बार-बार आने वाले विचार रुक जाते हैं। आपका फोकस दूसरी तरफ चला जाता है।
5. प्रकृति से जुड़े
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहाँ रहते हैं, ताजी हवा आपके दिमाग पर बहुत अच्छा प्रभाव डाल सकती है। Forbes में छपे एक अध्ययन से पता चलता है कि प्रकृति से भरे वातावरण में 90 मिनट की सैर करने से व्यक्ति का ओवरथिंक करना कम होता है। यह अधिकतर इस बात से जुड़ा है कि नेचर के आसपास शोर और ध्यान भटकाने वाले चीजों की कमी होती है। इसके साथ-साथ ये इस बात से भी जुड़ा है कि कुछ लोगों में अपने नकारात्मक विचारों को दबाने और अपने परिवेश की दूसरी खूबसूरत चीजों को सराहने की क्षमता होती है।
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