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Sibling Comparisons: बच्चों को करते रहते हैं कंपेयर, तो जान लें इससे होने वाले ये 3 नुकसान

Garima Anurag  |  Nov 14, 2023
sibling comparison

काजोल की बहन तनीषा मुखर्जी ने हाल ही में बताया है कि कैसे काजोल के साथ होने वाले कंपेरिजन से वो डील करती हैं। उन्होंने कहा था कि पहले तो वो इसे इग्नोर करती थी, लेकिन अब उन्हें काजोल के साथ उनकी तुलना पर हंसी आती है। घर के दो बच्चों में तुलना होना बहुत आम है और ये आप दोनों बच्चों के माता पिता के साथ-साथ आसपास के सभी लोगों को करते देखते हैं। हालांकि काजोल और तनीषा, दोनों अब उम्र के ऐसे स्टेज में हैं जब उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जब दो सिब्लिंग के बीच इस तरह की तुलना कम उम्र में होती है तो इसका उनपर काफी नकारात्मक असर पड़ता है।

1. कम होने लगता है आत्म-सम्मान | Low Self Esteem

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सेल्फ एस्टीम का मतलब होता है कि आप अपने बारे में कितना अच्छा सोचते हैं। जो बच्चे अपने लिए अच्छा सोचते हैं वो हमेशा खुद को प्यार से घिरा हुआ पाते हैं, खुश रहते हैं और कॉन्फिडेंट होते हैं। लेकिन जो बच्चे ऐसा नहीं सोचते वो खुद पर और अपने गुणों पर भरोसा नहीं कर पाते हैं और इसका असर उनकी पूरी पर्सनैलिटी पर पड़ता है। भाई या बहन से बार-बार तुलना किए जाने पर मन में अपने बारे में बच्चों के अंदर नकारात्मक सोच तेजी से पनपने लगने हैं और लंबे समय में ये उनके व्यक्तित्व में झलकती भी लगते हैं।

2. पेरेंट्स से खराब होने लगते हैं रिश्ते

हेलो डॉक्टर में छपे एक शोध के अनुसार जिन भाई बहनों की आपस में तुलना की जाती है, वे अक्सर बड़े होने के बाद माता-पिता से बचपन में मिले ट्रीटमेंट के बारे में अलग-अलग विचार रखते हैं। बार-बार पेरेंट्स से किसी भाई बहन से किए जाने वाले कंपैरिजन से बच्चे और उनके पेरेंट्स का रिलेशनशिप उतना मधुर या खूबसूरत यादों वाला नहीं होता है।

3. बच्चे की पढ़ाई पर पड़ता है सीधा असर

एक वेबसाइट में छपे रिपोर्ट के अनुसार, शोध में ये पाया गया है कि जब भाई बहन या दो भाई या दो बहनों का आपस में तुलना किया जाता है तो उसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। शोध में ये देखा गया कि दो बच्चों वाले जिन पेरेन्ट्स ने अपने जिस बच्चे को ज्यादा स्मार्ट बताया है, उसके दूसरे भाई या बहन ने पढ़ाई में अच्छा होते हुए भी एग्जाम में खराब प्रदर्शन किए थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तरह की तुलना जब साल दर साल चलती रहती है तो इसका बच्चे पर असर बहुत नकारात्मक होता है।

पेरेंट्स को रखना चाहिए इस बात का ख्याल

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पेरेंट्स का दो बच्चे के बीच उनके लुक्स से लेकर व्यवहार या गुणों को लेकर कंपेयर करना बहुत स्वभाविक है। फिर भी इस बात का ध्यान माता पिता को ही रखना होगा कि वो ऐसे शब्दों का चयन न करें जो बच्चे के कोमल मन पर नकारात्मक असर डाले। बच्चों से बात करते हुए बच्चे पर फोकस करें और जो सिचुएशन है उसके हिसाब से उससे बात करें। 

हालांकि इस तरह की तुलना से बच्चों के बीच अगर किसी तरह की कोई दिक्कत हो तो इसका भी पता लगाना आसान होता है। जैसे अगर बड़ा बच्चा 6 साल में आसानी से सब कुछ लिख रहा है, और दूसरा बच्चा नहीं लिख या पढ़ पा रहा हो, तो आप ये समझ सकते हैं कि बच्चे को किसी एक्सपर्ट के मदद की जरूरत है।

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