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इस फिल्म में एक अलग ही किरदार में नज़र आए थे शाहिद कपूर, अदायगी ने जीता दिल

Deepali Porwal  |  Sep 21, 2018
इस फिल्म में एक अलग ही किरदार में नज़र आए थे शाहिद कपूर, अदायगी ने जीता दिल

शाहिद कपूर (Shahid Kapoor), श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor), दिव्येंदु शर्मा (Divyendu Sharma) और यामी गौतम (Yami Gautam) स्टारर ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ अब थिएटर में है। बिजली व मीटर की समस्या पर आधारित बॉलीवुड की इस फिल्म ने आम आदमी की सबसे बड़ी समस्या को उजागर किया है।

बत्ती गुल मीटर चालू रिव्यू

शाहिद कपूर (Shahid Kapoor), श्रद्धा कपूर, दिव्येंदु शर्मा और यामी गौतम (Yami Gautam) स्टारर फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ का निर्देशन श्री नारायण सिंह ने किया है। वे इससे पहले अक्षय कुमार व भूमि पेडनेकर के साथ ‘टॉयलेट – एक प्रेम कथा’ जैसी फिल्म भी बना चुके हैं। अपनी दोनों ही फिल्मों में उन्होंने दो ऐसे गंभीर सामाजिक मुद्दे उठाए हैं, जिनसे आम जन बहुत ज्यादा प्रभावित है। उत्तराखंड के न्यू टिहरी की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ की कहानी बिजली कटौती की समस्या, खराब मीटर व बढ़े हुए बिजली के बिल पर बुनी गई है। इस फिल्म के ज्यादातर संवाद पहाड़ी भाषा कुमांऊनी में बोले गए हैं।

आम समस्या, खास अंदाज

बिजली का आना- जाना व इसका बिल भरना हर आम आदमी के लिए किसी समस्या से कम नहीं है। फिल्म मुख्यत: तीन दोस्तों की कहानी है, जो बचपन से एक- दूसरे के साथ हैं। सुशील कुमार पंत (शाहिद कपूर- Shahid Kapoor) एक वकील है, जो कोर्ट के बाहर ही सेटलमेंट कर मोटा पैसा कमाने की फिराक में रहता है, ललिता नौटियाल उर्फ नौटी (श्रद्धा कपूर) एक लोकल फैशन डिजाइनर है और सुंदर मोहन त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) एक प्रिंटिंग प्रेस का मालिक है। फिल्म के फर्स्ट हाफ में इन तीनों की दोस्ती, मोहब्बत और तकरार की कहानी है, जो कि थोड़ी स्लो लग सकती है। फिल्म का सेकंड हाफ दिव्येंदु शर्मा की फैक्ट्री में आए 54 लाख के बिजली के बिल से निपटने पर आधारित है।

कोर्ट की धमाकेदार बहस

सुंदर मोहन त्रिपाठी 54 लाख का बिल भर पाने में असमर्थ होता है और हताशा में ज़िंदगी से हार जाता है। नौटी (श्रद्धा कपूर) व सुंदर (दिव्येंदु शर्मा) से अलग हो चुके सुशील (शाहिद कपूर- Shahid Kapoor) को एक हादसे के बाद अपने दोस्त की मदद करने की बात सूझती है और वह बिलकुल बदल जाता है। कोर्ट के सीन मज़ेदार बन पड़े हैं, शाहिद कपूर और बिजली कंपनी की वकील गुलनाज़ (यामी गौतम- Yami Gautam) के बीच की बहस गर्मागर्म होने के साथ ही दर्शकों को हंसने पर भी मजबूर कर देती है। अगर आप फिल्म के फर्स्ट हाफ तक सिनेमा हॉल में बैठे रहे तो सेकंड हाफ की रफ्तार आपको पैसा वसूल लगेगी। फिल्म में एक ट्विस्ट है, जिसके लिए आपको एक बार तो ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ देखनी ही पड़ेगी।

सभी एक्टर्स ने अपने किरदार के साथ न्याय करने में कोई कमी नहीं रखी है। फिल्म में उत्तराखंडी फील लाने के लिए सभी ने कुमांऊनी भाषा सीखी भी थी। ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ के साथ ही फरीदा जलाल लंबे समय बाद बड़े पर्दे पर नज़र आई हैं। इस फिल्म में ‘विकास’ और ‘कल्याण’ पर ज़बर्दस्त व्यंग्य कसा गया है।

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