लड़कियों को अपने चेहरे पर एक पिंपल भी गवारा नहीं होता है। सभी लड़कियों की तरह मुझे भी अपनी स्किन से बहुत प्यार है। इसको पैंपर करने के लिए मैं महंगे से महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती थी। कुछ महीनों पहले मेरे चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आए। मैंने इन्हे सीरियसली नहीं लिया।
मुझे लगा शायद गर्मी के कारण हो गए होंगे। धीरे-धीरे इनमें खुजली की शिकायत होने लगी। ये लाल चकत्तों की तरह नजर आने लगे और पूरे चेहरे पर फैल गए। मैं फेसवॉश या मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करती तो मुझे चेहरे पर तेज चुभन होने लगती थी। मुझे लगा शायद मुझे कोई प्रोडक्ट सूट नहीं कर रहा है। मैंने अपना फेस वॉश से लेकर नाइट क्रीम सब बदला, लेकिन मेरा चेहरा बिगड़ता ही जा रहा था।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक ये मेरे साथ क्या हुआ है। मेरे चेहरे पर इतनी खुजली होती थी कि कई बार मेरे चेहरे से खून निकलने लगता था। मुझे खुद अपने आप को शीशे में देखना तक पसंद नहीं आता था। मैं लोगों से मिलने में कतराने लगी थी। घर में कोई आता था तो दूसरे कमरे में जाकर बैठ जाती थी। वर्क फ्रॉम होम के कारण मेरी डेली ऑनलाइन मीटिंग्स होती थी, जिसमें मैं अपना कैमरा ऑफ रखने लग गई थी। अपने रूम से निकलने तक का मेरा मन नहीं होता था। अपने चेहरे को इस कदर बिगड़ता देख मैं तनाव में आ गई थी। मेरा किसी चीज में भी मन नहीं लगता था।
फिर एक दिन मैं अपनी माँ के साथ दिल्ली में ही एक डर्मेटोलॉजिस्ट को अपना चेहरा दिखाने के लिए गई। उन्होंने बताया कि मेरे चेहरे पर ये लाल धब्बे एग्जिमा के हैं। मुझे शुरुआत में ही उनसे संपर्क करना चाहिए था। मैंने उनसे पूछा मेरा चेहरा ठीक तो हो जाएगा न, तो उन्होंने मुझे कहा बिल्कुल टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। वापस से पहले जैसा हो जाएगा तुम्हारा चेहरा। उन्होंने मुझे सारे स्किन केयर उत्पाद का चेहरे पर इस्तेमाल करने से मना किया। इसके साथ ही दवाएं व लगाने के लिए लोशन दिया।
धीरे-धीरे त्वचा पर दिखने लगा असर, डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं व लोशन से मेरा चेहरा पहले से थोड़ा बेहतर होने लगा। फेस के सारे निशान हल्के होने लगे व खुजली भी कम होने लगी। मैं नियमित रूप से हर हफ्ते डॉक्टर को दिखाने जाया करती थी। मेरे चेहरे में पहले के मुकाबले चकत्ते दूर हो गए थे, लेकिन लोशन लगाने की वजह से स्किन बहुत बेजान नजर आती थी।
डॉक्टर ने मुझे विटामिन-सी युक्त नेचुरल व माइल्ड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की सलाह दी। क्योंकि विटामिन-सी एक्जिमा के लक्षणों को काफी हद तक कम करने के लिए प्रभावी माना जाता है। ब्यूटी के मामले में मैं हमेशा से बहुत शार्प थी। मेरी सारी फ्रेंड्स ब्यूटी व स्किन केयर प्रोडक्ट्स को लेकर मुझसे सलाह लिया करती थी। लेकिन आज वो दिन आ गया था कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं किस प्रोडक्ट का चयन करूं। मैंने तमाम नैचुरल स्किन केयर प्रोडक्ट्स के इंग्रीडिएंट्स से लेकर रिव्यू के बारे में पढ़ा। तब मुझे ‘द मॉम्स को’ कंपनी के बारे में पता चला।
मैंने देखा कि इस कंपनी का दावा है कि इनके प्रोडक्ट्स में किसी तरह के सल्फेट, पैराबेंस, टॉक्सिन्स, आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस आदि हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इनके सभी प्रोडक्ट्स डर्मेटोलॉजिस्ट टेस्टेड हैं। इसके बाद मैंने सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर इसके प्रोडक्ट्स के रिव्यू भी देखें। काफी हद तक मुझे इसके प्रोडक्ट्स ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। तब मैंने इनके प्रोडक्ट्स में से नेचुरल विटामिन-सी फेस वॉश और नेचुरल विटामिन-सी फेस क्रीम मंगाई।
तीन से चार दिन में ये प्रोडक्ट्स डिलीवर हो गए थे। जब मैं पहली बार इनका इस्तेमाल करने वाली थी तो, मैं पुराने दिनों को याद करके बहुत डरी हुई थी। मैंने एक हफ्ते तक इन दोनों प्रोडक्ट्स को लगाया, जिसके बाद मुझे अपने चेहरे पर अच्छे परिणाम नजर आए। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे चेहरे में एक बार फिर जान भर गई हो।
त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए इस क्रीम को मैं दिन में दो बार फेस वॉश करके लगाती थी। सुबह और रात को सोने से पहले। मेरे चेहरे पर जो थोड़े बहुत चकत्ते थे वो भी हल्के पड़ने लग गए थे। मेरा कॉन्फीडेंस वापस आने लगा। अब मैं लोगों से मिलने से नहीं कतराती और ऑफिस मीटिंग में भी कैमरा ऑन रखती हूं।
चित्र: Freepik
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