आज भी हमारे देश में ऐसी हजारों जगहें हैं जिनके बारे में हमें और आपको पता ही नहीं है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि ऐसी जगहों का जिक्र हमारे शास्त्रों में भी है लेकिन फिर भी हम इन जगहों को नहीं जानते हैं। ऐसी ही जगहों में एक है पाताल भुवनेश्वर गुफा। उत्तराखंड की वादियों के बीच बनी ये गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट कस्बे में पाताल भुवनेश्वर गुफा वहां मौजूद एक बहुत बड़े पहाड़ में 90 फीट अंदर बनी है। बताया जाता है कि इस गुफा में मौजूद पत्थर से पता लगाया जा सकता है कि कलयुग का अंत कब होगा। भले ही आप इस पर यकीन न करें लेकिन यहां जाने पर जब आपका सच्चाई से सामना होगा तो आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे। इस गुफा की खोज भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त अयोध्या के राजा ऋतुपर्ण ने की थी।
पत्थर देता है कलियुग के अंत का संकेत
इस गुफा में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर मौजूद हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलयुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलयुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा।
इस गुफा से जुड़ी मान्यता
इस गुफा में भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु जी की भी मूर्तियां हैं और गुफा की छत पर बने एक छेद से इन तीनों मुर्तियों पर बारी- बारी पानी टपकता है। भगवान शिव की जटाओं के दर्शन भी इसी गुफा में होते हैं। इसी रहस्यमयी गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। पाताल भुवनेश्वर गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन भी होते हैं। इसको लेकर ऐसी मान्यता भी है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
चार द्वार हैं 4 युग के प्रतीक
इस गुफा में 4 द्वार बने हैं। इन्हें पाप द्वार, रणद्वार, धर्मद्वार एवं मोक्ष के रूप में परिभाषित किया गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार पाप द्वार त्रेता युग में रावण की मृत्यु के साथ बन्द हो गया। रणद्वार द्वापर में महाभारत के बाद बन्द हो गया जबकि धर्मद्वार अभी खुला हुआ है। कहते हैं कि यह कलयुग की समाप्ति पर ही बन्द होगा। माना जाता है कि मोक्ष द्वार सतयुग की समाप्ति पर बन्द होगा।
इस गुफा को देखकर आपकी सोच भी यही होगी कि ऐसी कोई चीज ईश्वर ही बना सकता है क्योंकि यह इंसानों के बस की बात नहीं है। इस जगह का धार्मिक महत्व भी है और बहुत से लोगों के लिए यह एक कष्ट निवारण स्थल भी है। कहते हैं कि यहां जाने से इंसान के कुछ रोग खुद-ब-खुद खत्म हो जाते हैं।
कैसे पहुंचे –
पिथौरागढ़ रेलवे स्टेशन से बास, कार के जरिए 90 किलोमीटर की दूरी तय कर पाताल भुवनेश्वर गुफा पहुंचा जा सकता है।
Image Source : Website/Uttarakhand Tourism
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