शिशु का पालन-पोषण माता-पिता के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। अभिभावक अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। बच्चे की छोटी-से-छोटी परेशानी उनके लिए चिंता का विषय बन जाता है। नवजात शिशु के जन्म के बाद उसको बहुत तरह की शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है, विशेषकर त्वचा संबंधी समस्या।
नवजात शिशु की त्वचा कोमल और संवेदनशील होती है, जन्म लेने के कुछ दिनों बाद उनकी त्वचा पपड़ी की तरह निकलने लगती है। अब सवाल यह है कि आखिर क्यों नवजात शिशु की त्वचा निकलती है? इसके पीछे क्या कारण है?कहीं यह कोई बीमारी का संकेत तो नहीं? चिंता मत कीजिए, आगे हम इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे और शिशु को इस परेशानी से निकालने के ट्रिक्स के बारे में भी जानेंगे।
जन्म के पहले तक शिशु माँ के गर्भ में सुरक्षित रहता है, लेकिन बाहर आते ही उसे वातावरण के तापमान और दूसरे परिवर्तनों से जुझना पड़ता है। साथ ही शिशु की कोमल त्वचा को सभी का स्पर्श मिलता है, इसी स्पर्श के माध्यम से तरह-तरह के क्रीम, लोशन, परफ्यूम, खुशबू का छुअन जाने-अनजाने मिल ही जाता है। फलस्वरूप शिशु की संवेदनशील त्वचा को रैशेज, एग्जिमा, एलर्जी आदि की समस्या हो ही जाती है।
नवजात शिशु की त्वचा क्यों निकलती है? (Why do Newborn Babies Skin Peel in Hindi)
यह तो आपको पता ही है कि शिशु जब माँ के गर्भ में रहता है तब बहुत सारी चीजों से ढका हुआ होता है। इन ढके हुए चीजों में ब्लड, एमनियोटिक फ्लूइड (Amniotic Fluid), वर्निक्स केसोसा (Vernix caseosa) होता है। वर्निक्स केसोसा शिशु की त्वचा को एमनियोटिक फ्लूइड से बचाव करती है। शिशु के जन्म के बाद उसके शरीर से इन सारे तरल पदार्थों को साफ किया जाता है, लेकिन वर्निक्स केसोसा त्वचा पर परत की तरह लगा ही रहता है।
जन्म लेने के कुछ हफ्तों बाद से यह नवजात शिशु की त्वचा से पपड़ी की तरह निकलने लगता है। जो बच्चे डिलीवरी डेट के बाद जन्म लेते हैं, उनकी त्वचा ज्यादा निकलती है और जो प्रीमैच्योर होते हैं उनकी कम निकलती है, क्योंकि उनकी त्वचा पर वर्निक्स केसोसा कम मात्रा में लगा होता है। आम तौर पर यह वर्निक्स शिशु के हाथ और पैर की उंगलियों से पपड़ी के रूप में ज्यादा निकलते हैं। त्वचा से पपड़ी को निकालने के समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसको रगड़कर निकालने की गलती न करें।
शिशु की त्वचा निकलने के और भी कारण हो सकते हैं, जिनको ज्यादा देर तक नजरअंदाज करना शिशु की त्वचा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। शिशु के शरीर से पपड़ी की तरह त्वचा निकलने पर उतना डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे भी पहलू हैं जिस पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है। वह हैं-
क्रैडल कैप (Cradle cap): इस बीमारी में शिशु के जांघ के अंदरूनी हिस्सों, अंडरआर्म्स, गर्दन, आईब्रो के अलावा विशेष रूप से सिर के स्कैल्प से त्वचा निकलने लगती है। इसको सेबोरिक डर्मेटाइटिस (Seborrheic dermatitis) भी कहते हैं। यह मुख्य रूप में शिशु की त्वचा पर फंगस और यीस्ट के बढ़ने के कारण होता है। यह शिशु की त्वचा पर लाल रंग के पैचेश या परत की तरह दिखता है। इसको लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं। डॉक्टर के सलाहनुसार दवा देने पर यह स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है।
- क्रैडल कैप को निकालने के लिए शिशु को शैंपू कराना होगा और फिर-फिर धीरे-धीरे बालों को धोना होगा। उसके बाद थपथपाकर पोंछना होगा। सूखने के बाद बच्चों की कंघी या हेयर ब्रश से परत को धीरे-धीरे निकालना होगा। इसके अलावा ऑलिव ऑइल या वर्जिन कोकोनट ऑइल को लगाने से भी परत भींगकर ढीला हो जाते है, जिससे निकालने में आसानी होती है।
एग्जिमा (Eczema): यह एक प्रकार का स्किन इंफेक्शन है, जो वायरस, धूल, साबुन, पावडर आदि का स्किन के साथ प्रतिक्रिया होने के कारण ऐसा होता है। अगर पपड़ी की तरह त्वचा निकल रही है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए, ताकि डॉक्टर इसकी पहचान कर पाएं। शिशु के चेहरे की त्वचा शरीर के अन्य भागों की तुलना में ज्यादा शुष्क हो जाते हैं। इसलिए इसका इलाज करवाने में देर नहीं करनी चाहिए। डॉक्टर की दवा से धीरे-धीरे आराम मिलने लगता है।
- दवा के अलावा शिशु को गुनगुने पानी और साबुन से नहलाकर थपथपाकर पोंछना चाहिए। अगर त्वचा शुष्क होकर फूलने लगे तो मॉइश्चराइजर या डॉक्टर द्वारा बताए गए दवा का इस्तेमाल करें। जब भी आप दूध पिलाएं शिशु के गाल में घाव वाली जगह को रूई से धीरे-धीरे साफ कर दे। फिर भी घाव की स्थिति बेहतर न हो तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
इचथ्योसिस (Ichthyosis vulgaris) : यह भी एक प्रकार का स्किन डिजीज है। इससे त्वचा की परत मोटी हो जाती है और खुजली होती है। वैसे तो इसका कोई सटिक इलाज नहीं है इसलिए दवा के द्वारा स्थिति को नियंत्रण में किया जाता है।
बच्चे की त्वचा को स्किन इंफेक्शन से बचाने के लिए कुछ घरेलू ट्रिक्स को भी आजमा सकते हैं-
- गुनगुने गर्म पानी और माइल्ड साबुन से नहलाएं।
- नहाने के बाद थपथपाकर पोंछे, कभी भी रगड़कर पोंछने की गलती न करें।
- घाव को हमेशा क्रीम आदि लगाकर मॉइश्चराइज रखें।
- केमिकल फ्री चीजों का इस्तेमाल करें।
- कमरे में नमी को बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल जरूर करें।
अब तक के चर्चा से आपको समझ में आ ही गया होगा कि स्किन संबंधी कितने तरह के इंफेक्शन और एलर्जी नवजात शिशु को हो सकती है और उससे कैसे राहत पाया जा सकता है।
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