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साल में सिर्फ एक बार 24 घंटे के लिए ही खुलते हैं इस अदभुत मंदिर के दरवाजे – Nagchandreshwar Temple Facts

Archana Chaturvedi  |  Aug 14, 2018
साल में सिर्फ एक बार 24 घंटे के लिए ही खुलते हैं इस अदभुत मंदिर के दरवाजे – Nagchandreshwar Temple Facts

महाकाल की नगरी उज्जैन में एक ऐसा अनोखा और अदभुत मंदिर है जिसके दरवाजे साल में सिर्फ एक ही बार खुलते हैं और वो भी केवल नाग पंचमी के दिन। नागचंद्रेश्वर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नागदेव स्वयं इस मंदिर में मौजूद रहते हैं। पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शैया पर विराजमान हैं और उनके साथ गणेशजी और मां पार्वती भी हैं। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

इस मंदिर के दरवाजे नागपंचमी की मध्य रात्रि 12.00 बजे ही खुल जाते हैं और परंपरा अनुसार पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव का प्रथम पूजन करते हैं। साफ- सफाई और पूजा के बाद मंदिर के पट सभी श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। वहीं दूसरे दिन नागपंचमी को रात 12 बजे मंदिर में फिर आरती होती है और मंदिर के दरवाजे फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

तीन खंड़ में स्थापित है ये मंदिर

आपको बता दें कि उज्जैन का महाकाल मंदिर, सरकार द्वारा संचालित मंदिर है। देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल का मंदिर भी है। यह मंदिर तीन खंडो में विभक्त है। सबसे नीचे खंड में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में दुर्लभ भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। यह मंदिर काफी प्राचीन है।  माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईसवीं में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

क्या है इस मंदिर के दरवाजे बंद रहने का रहस्य

इस मंदिर के बार में कहा जाता है कि भगवान शिव को मनाने के लिए नागराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। जिससे खुश होकर शिव जी ने नागराज तक्षक को अमर रहने का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने भोलेनाथ की शरण में ही वास करना शुरू कर दिया। महाकाल वन में वास करने से पहले उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो और तब से ही यही प्रथा है कि सिर्फ नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं। बाकी समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर के पट बंद रहते हैं।

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कुछ ऐसी है यहां की मान्यता

ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में नागराज तक्षक के ऊपर विराजित शिव- पार्वती के दर्शन सिर्फ कर लेने से ही कालसर्प दोष शांत हो जाता है। इसी मान्यता के चलते हर साल नागपंचमी पर लाखों लोग देश-विदेश से उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं और देर रात से ही लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। लगभग दो लाख से भी ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं।

कैसे पहुंचे –

ट्रेन – उज्जैन रेलवे स्टेशन से 2 कि.मी की दूरी तय कर महाकालेश्वर मंदिर पहुंचा जा सकता है।

हवाई जहाज – इन्दौर के देवी अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डे से 55 कि.मी की दूरी पर स्थित है ये मंदिर।

 

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