मुहर्रम का त्योहार इस्लामिक धर्म में सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन शहीदों की याद में मनाया आता है। कुछ इस्लामिक किवदंतियों के अनुसार मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महिना है। इस्लामिक मान्यतों के अनुसार मुहर्रम मनाने का कारण यह हैं कि इस दिन हजरत रसूल के नवासे हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। इमाम हुसैन ने अपनी शहीदी कर्बला के मैदान में दिया था। मोहर्रम ज़िंदादिली और शहीदी के मायने समझाता है। इस पर्व में मुहर्रम महीने के 10 वें दिन को ‘आशुरा’ कहा जाता है। कई लोग मुहर्रम को अल्लाह का महीना भी मानते हैं। इस खास मौके पर आप भी इमाम हुसैन कि शहादत को याद करें और अपने जानने वालों के साथ मोहर्रम शायरी (Muharram Shayari in Hindi), इमाम हुसैन शायरी (Imam Hussain Shayari in Hindi) और कर्बला की शायरी हिंदी में (Karbala Shayari in Hindi) और मुहर्रम कोट्स और स्टेटस शेयर करें।
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मोहर्रम शायरी – Muharram Shayari in Hindi
इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल यानी मैसेंजर और पैगंबर मोहम्मद के नाती माने जाते थे। ज्यादातर शिया मुस्लिम समाज के लोग इस दिन इमाम कि शहादत का शोक मनाते हैं। इस मौके पर आप भी अपने सभीओ जानने वालों नाते रिश्तेदारों से सहादत का दिन और मोहर्रम शायरी (Muharram Shayari in Hindi) शेयर करें।
1. कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था
लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
2. कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।
3. क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
4. गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला, सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।
5. जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग, जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।
6. करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।
7. सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
इमाम हुसैन शायरी इन हिंदी – Imam Hussain Shayari in Hindi
इस्लाम धर्म में बच्चा बच्चा भी इमाम हुसैन कि शहादत कि कहानिया सुना सकता है। यह दिन मुस्लिम समुदाय के लोगो के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मुहर्रम वाले दिन ही पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे, उनकी शहादत की याद में मुहर्रम का पर्व मनाया जाता हैं। आप भी इस साल मुहर्रम में इमाम हुसैन शायरी (Imam Hussain Shayari in Hindi) सेंड करें।
1. सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
2. ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
3. पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
4. वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।
5. खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
6. फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
कर्बला की शायरी – Karbala Shayari in Hindi
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है, उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है। यहाँ आपको एक से बढ़ कर एक ऐसी ही बेहतरीन कर्बला की शायरी हिंदी में (Karbala Shayari in Hindi) मिलेगी। आप इन्हें फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सप्प पर शेयर कर सकते है।
1. हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है।
2. एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
3. यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
4. दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया।
हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।
5. न हिला पाया वो रब की मैहर को, भले ही जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ, वही था असली और सच्चा पैगंबर।
6. आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे, ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
7. कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।
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