यूनिसेफ, इंडिया के मां और बच्चे के पैदा होने का उत्सव मनाने के मुद्दे पर हुई बातचीत के दौरान लैंगिक समानता के बारे में बात करते हुए बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान ने कहा कि हमें लड़कियों की भी उसी तरह देखभाल करनी चाहिए जैसी लड़कों की की जाती है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि हमारे देश में लड़कियों की देखभाल उस तरह से नहीं नहीं की जाती जैसी कि लड़कों की देखभाल की जाती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि यदि आपकी बच्ची बीमार हो जाए, तो उसकी ऐसे ही फौरन मदद किया करें जैसे कि आप अपने लड़के के लिए करेंगे।
करीना कपूर खान ने बताया, ‘जब मैं गर्भवती थी, अच्छी क्वालिटी वाली हेल्थ सर्विसेज और अच्छे डाक्टर व नर्सें उपलब्ध थीं। लेकिन यह विशेष सुविधा सिर्फ कुछेक के लिए ही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि क्वालिटी हेल्थ केयर हर मां व हर बच्चे को, चाहे वह लड़का हो या लड़की, चाहे वे कहीं भी रहते हों मिले। मां बनना और नवजात शिशु पैदा होने के दौरान सुरक्षित हाथों की मदद मिलना हर मां व हर बच्चे का अधिकार है।’ करीना कपूर यूनिसेफ के साथ पिछले पांच सालों से भी ज्यादा समय से जुड़ी हुई हैं और बाल अधिकारों की पक्षधर हैं, खासतौर पर शिक्षा और नवजात की हेल्थ, न्यूट्रीशन और विकास के मुद्दों पर।
यूनिसेफ ने देश ने मां और नवजात बच्चे के जन्म का उत्सव मनाने के महत्व के बारे में चर्चा करने के लिए महिला दिवस के मौके पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया था, जहां ओडिसा से एक डाक्टर, उत्तर प्रदेश से एक फ्रंटलाइन आशा वर्कर, पश्चिम बंगाल से एक पिता, यूनिसेफ उप प्रतिनिधि,हेनरिट एहरेंस, यूनिसेफ कार्यवाहक स्वास्थ्य प्रमुख डा. गगन गुप्ता और यूनिसेफ सेलिब्रिटी एडवोकेट करीना कपूर ने एक घंटे तक सभी मांओं व उनके नवजात बच्चों को सपोर्ट करने की जरूरत पर बातचीत की, ताकि वे स्वस्थ और समृद्व रहें। यह कार्यक्रम यूनिसेफ की वैश्विक ‘ प्रत्येक बच्चा जीवित रहे ’ मुहिम के तहत मदर्स डे मनाने के लिए आयोजित किया गया था।
दुनियाभर में यूनिसेफ का ध्यान प्रत्येक बच्चा जीवित रहे, अभियान पर केंद्रित है। नवजात बच्चों को बचाने वाला यह अभियान नवजात मौतों को 2030 तक समाप्त करने के लिए यूनिसेफ के प्रयासों को सपोर्ट करता है। इसमें खास फोकस बच्चियों पर है। दुनिया भर में 5 साल से कम आयु के बच्चों की होने वाली मौेतों में करीब 1/5 भारत में होती हैं और दुनिया की लगभग एक चौथाई नवजात मौतें भारत में ही होती हैं।
डा. गगन गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि नवजात मौतों और बाल जीवन में लैंगिक विषमता को को कम करने के लिए अधिक प्रयासों की जरूरत है। अगर हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हर बच्चे को जिंदगी के पहले घंटे में मां का दूध मिले तो नवजात मौतों में 22 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है।
इस बातचीत का निष्कर्ष यह निकला कि सभी साझेदारों को नवजातों की जिंदगी के बारे में संदेशों व सुविधाओं को बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रयास करने की जरूरत है। इसमें हर मां व नवजात के लिए किफायती और क्वालिटी हेल्थ केयर, साफ पानी, बिजली की उपलब्धता, जन्म के दौरान एक्सपर्ट हेल्थ अटेंडट, नाल को विसंक्रामित करना और मां व बच्चे की स्किन के बीच संपर्क होना शामिल हैं।
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