प्रत्येक स्वतंत्र देश का अपना झंडा होता है। यह ध्वज उस देश की पहचान माना जाता है। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की आजादी के बाद भारत ने अपना तिरंगा झंडा अपनाया। 22 जुलाई, 1947 को, संसद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा तिरंगे को भारत के ध्वज के रूप में मान्यता दी गई थी। हमारा राष्ट्रीय ध्वज सभी देशों के लिए बहुत सम्मानजनक माना जाता है देश का प्रत्येक नागरिक इसके सम्मान के लिए प्रयास करता है। अनेक सैनिक अपने प्राणों की आहुति देते हैं। हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अनेकता में एकता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरंगा झंडा पहली बार कहां फहराया गया था? क्या होता है अगर हमारा राष्ट्रीय ध्वज फट जाता है? 15 अगस्त (independence day quotes in hindi) के मौके पर आइए जानते राष्ट्रीय ध्वज के बारे में कुछ ऐसे ही तथ्य के बारे में। हमारे देश के झंड़े में ऐसी कई खूबियां हैं जो पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यहां हम आपको आज भारतीय तिरंगे के बारे में कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं जो हर एक हिंदुस्तानी को जरूर से पता होनी चाहिए।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से जुड़ी रोचक बातें Interesting Facts About Indian Flag in Hindi
– भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सलाह ली थी और ध्वज के बीच में अशोक चक्र लगाने की सलाह दी थी। इसने पूरे देश को एक त्रिकोण के रूप में एक सूत्र में बांध दिया।
– वेंकैया ने 5 साल तक 30 देशों के झंडों का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बन गया है।
– भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से – भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी।
– 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई।
– भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं।
– भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
– इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है. इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।
– भारत के राष्ट्रीय ध्वज यानि तिरंगे को कानूनन खादी से बनाने के ही आदेश हैं। इसके निर्माण का कार्य खादी विकास एवं ग्रामोद्योग आयोग को सौंपा गया है।
– क्या आप जानते हैं कि भारत के आजादी के पहले इस झंडे का डिजाइन कई बार बदल चुका है। मौजूदा तिरंगे का छठा का रूप ही चलन में है।
– फ्लेग कोड ऑफ़ इंडिया के तहत फटा या गन्दा तिरंगा झंडा फहराना अपराध है अगर कोई ऐसा करता है तो उसे 3 साल की सजा हो सकती है।
– अगर तिरंगा फट जाये या फिर मैला-कुचला हो जाये तो उसे फेंका नहीं जा सकता है। इसके लिए भी नियम बनाये गए है। फ्लेग कोड ऑफ़ इंडिया के तहत फटे या पुराने झंडे को एकांत में जला देना चाहिए या किसी दूसरे तरीके से नष्ट कर देना चाहिए ताकि तिरंगे की गरिमा बनी रहे।
– इस ध्वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
– भारत के बैंगलुरू से 420 किलोमीटर दूर स्थित ‘हुबली’ ही एक मात्र ऐसी लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहां तिरंगा झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम होता है।
– पूरे भारत में 21 X 14 फीट के झंडे केवल तीन ही जगहों पर फहराये जाते हैं। पहला कर्नाटक का नारगुंड किला, दूसरा महाराष्ट्र का पनहाला किला और तीसरा मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला है।
– किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्वज को वंदनवार, ध्वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।
– राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. किसी भी व्यक्ति के निधन पर या किसी दुर्घटना के कारण मारे गए व्यक्तियों के प्रति सवेदना व्यक्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।
– किसी व्यक्ति के निधन पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास है, जो इस तरह के शोक की अवधि का भी फैसला करते हैं।
– अगर किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती या किसी राज्य के राजकीय अवकाश के दिन होती है तो ऐसी परिस्थिति में पूरे देश या पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उस विशिष्ट व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा होता है।
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