एक समय था, जब बच्चे आउट डोर एक्टिविटीज़ यानी घर से बाहर रहकर क्रिकेट, फुटबॉल, बैंडमिंटन और दौड़-भाग जैसे खेलों में इतना व्यस्त रहते थे कि माता-पिता को उन्हें जाकर ज़बरदस्ती घर लाना पड़ता है। मगर टीवी व मोबाइल के आने के बाद से आलम यह है कि माता-पिता खुद चाहते हैं, उनका बच्चा घर से बाहर जाकर दोस्तों के साथ खेले। न कि दिनभर घर पर बैठकर टीवी व मोबाइल में अपनी आंखें खराब करे। खासतौर पर कोरोना वायरस के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के कारण बच्चों का बाहर जाकर खेलना तो दूर स्कूल जाना तक बंद हो गया। उल्टा लैपटॉप और मोबाइल जैसे जिन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से हम अपने बच्चों को दूर रखना चाहते थे वही उनकी पढ़ाई का एकमात्र साधन बन गए। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि उनकी ये आदत समय पर छुड़वा दी जाए।
कैसे छुड़वाएं बच्चों में टीवी और मोबाइल देखने की आदत
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) ने साल 2019 में बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर कुछ गाइड लाइन्स जारी की थीं। इन गाइड लाइन्स के अनुसार 1 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम ज़ीरो होना चाहिए। यानी कि उन्हें बिलकुल भी टीवी, लैपटॉप या मोबाइल नहीं दिखाना चाहिए। इसके अलावा 2 से 4 साल के बच्चों को पूरे दिन में 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन नहीं दिखानी चाहिए। यानी 24 घंटे में सिर्फ 1 घंटे ही बच्चों को टीवी, लैपटॉप या मोबाइल जैसी चीज़े देखने के लिए देनी चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा स्क्रीन टाइम होने से बच्चे के दिमागी विकास पर बुरा असर पड़ता है।
अब सवाल यह उठता है कि आजकल के समय में जब बच्चों ज्यादातर समय घर पर बीतता है तो उन्हें टीवी, लैपटॉप और मोबाइल से कैसे दूर रखना संभव है? जबकि 2-3 साल की उम्र से ही बच्चे खुद मोबाइल और लैपटॉप पर यूट्यूब लगाना सीख चुके हैं या फिर रिमोट से टीवी का चैनल बदलना उनके बाएं हाथ का खेल बन चुका है। तो हम आपको बता दें कि ऐसा करना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं। आपको बस इसके लिए कुछ कोशिशें करनी होगी, जो हम आपको यहां बता रहे हैं।
खुद कम करें गैजेट्स का इस्तेमाल
माता-पिता बच्चों के आदर्श होते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का स्क्रीन टाइम कम हो और वो टीवी, लैपटॉप और मोबाइल जैसी चीज़ों से दूर रहे तो इसके लिए आपको भी थोड़ा कॉम्प्रोमाइज़ करना होगा। बच्चे के साथ आपको भी इन सब गैजेट्स का इस्तेमाल कम-कम करना होगा। खासतौर पर मोबाइल, क्योंकि अगर आप हर समय मोबाइल पर लगे रहेंगे तो बच्चे के अंदर भी यह जानने की उत्सुकता रहेगी कि आप उसमें क्या देख रहे हैं। इसके अलावा बच्चे को लगेगा कि उसके पेरेंट्स अगर मोबाइल देख रहे हैं तो ज़रूर ये कोई अच्छी चीज़ होगी, इसलिए वो भी इसे देखने के लिए लालायित होते हैं। अपना स्क्रीन टाइम काम कर आप बच्चों के लिए भी सही उदाहरण पेश कर सकते हैं।
एक्टिविटीज़ में शामिल करें
बच्चे का स्क्रीन टाइम कम हो इसके लिए आप उसे किसी एक्टिविटी में भी शामिल कर सकते हैं। जैसे पेंटिंग करना, राइटिंग करना या फिर कुछ आउट डोर एक्टिविटीज़ करवाना। इसके अलावा आप बच्चे को क्राफ्ट वर्क में भी बिजी रख सकते हैं। इससे बच्चे को लगेगा कि टीवी या मोबाइल देखना भी इन सब एक्टिविटीज़ का पार्ट है न कि पूरे दिन उसी में लगे रहने वाली चीज़। बेहतर होगा इन एक्टिविटीज़ में आप भी बच्चे का साथ दें। क्योंकि बच्चों को माता-पिता के साथ क्वालिटी टाइम बिताना काफी पसंद होता है।
स्क्रीन गैजेट्स को न बनाएं खाना खाने का बहाना
कई माता-पिता अपने बच्चों को खाना खिलाते समय टीवी या मोबाइल दिखाना गलत नहीं समझते। उन्हें लगता है ऐसा करने से बच्चा आसानी से खाना खा लेगा। मगर हम आपको बता दें कि टीवी, लैपटॉप या मोबाइल देखते हुए बच्चा या तो ज्यादा खाना खा जाता है या फिर अपनी डाइट से कम खाता है। इसके अलावा कार में सफर करते समय या रेस्टोरेंट में बैठते समय भी बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल हाथ में न दें।
बच्चों को समय दें
आजकल से समय में ज्यादातर माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं। ऐसे में बच्चे या तो मेड के साथ घर के बड़े-बुज़ुर्गों के साथ बड़े हो रहे होते हैं। बच्चे शांत रहे इसलिए ये लोग अपनी सहूलियत को देखते हुए बच्चों को टीवी या लैपटॉप के सामने बैठा देते हैं। या फिर उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा देते हैं। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि आप खुद आगे आकर बच्चे की भलाई के लिए फैसले लें। शुरुआत में सबको लग सकता है कि आप बच्चे के साथ कुछ ज्यादा सख्ती कर रहे हैं लेकिन बाद में वे खुद समझ जाएंगे कि आख़िरकार आपका हर फैसला बच्चों की भलाई के लिए ही है। इसके लिए आपको बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना होगा। दोनों वर्किंग हैं तो वीकेंड्स पर बच्चों को पूरा समय दें।
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