ये हिंदी कहानी है एक बच्ची की निडरता की, कहानी है हिम्मत की और कहानी है सही और गलत में पहचान की…
पांच सितंबर ….अध्यापक दिवस का दिन था वो …।
स्कूल में गहमागहमी बनी हुई थी बच्चे रंग बिरंगी पोशाकों में जिला पुलिस अधीक्षक ज्योति जी के स्वागत में
तैयार खडे़ थे। समय की पाबंद मुख्य अतिथि ज्योति जी स्कूल पहुंच चुकी थीं। चेहरे पर एक अलग प्रकार का तेज के साथ शानदार व्यक्तित्व की स्वामिनी ज्योति जी प्यारी- प्यारी बच्चियों को देख कर मुस्कुरा दी।
स्कूल के वरिष्ठ अध्यापक कमलकांत वर्मा को विद्यालय में सर्वोच्च शिक्षक सम्मान दिया जाना था, बड़े अनुभवी औऱ ज्ञानी शिक्षक माने जाते थे वो।
आज के दिन वो भी बहुत खुश थे और परिवार समेत वहां मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन हाई स्कूल की छात्रा मीरा को दिया गया था।
समय पर कार्यक्रम शुरू हो गया..। मीरा मंच पर पहुंची।
आदरणीय मुख्य अतिथि महोदया जी, पूजनीय शिक्षकगण और उपस्थित अतिथिगण…
“मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आज हमारे विद्यालय में शिक्षक दिवस के अवसर पर हमारे सम्माननीय कमलकांत सर को सर्वोच्च शिक्षक का सम्मान दिया जा रहा है। इसके लिए हम सब के बीच जिला अधीक्षक ज्योति जी उपस्थित हैं जो एक बेहद ईमानदार और महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली महिला हैं ..।”
“मै अपने साथ की सभी छात्राओं से कहना चाहती हूं कि किसी भी वजह से वो डरें नहीं, क्योंकि ज्योति जी हमारे साथ हैं।”
“अब मैं अपने आदरणीय शिक्षक श्री कमलकांत जी की तारीफ में कुछ शब्द कहना चाहती हूं…..।
हमारे प्यारे कमलकांत सर बहुत ही महान हैं, बहुत ज्ञानी हैं, वे हमेशा खास तौर पर हम सभी छात्राओं का बहुत ध्यान रखते हैं…। शिक्षक के तौर पर विद्यालय में उनको एक विशेष स्थान प्राप्त है …।”
कमलकांत अपनी तारीफ सुन- सुन कर गर्वित हो रहे थे, तालियां बज रही थी, उनकी पत्नी गर्व से अपने पति को देखे जा रही थी।
मीरा का स्टेज पर कुशल संचालन जारी था ..।
“हमारे सर हमें प्यार से अक्सर सहलाने लगते हैं, सिर पर भी हाथ रखते हैं जो धीरे- धीरे प्रेम से हमारी छाती तक भी पहुंच जाते हैं।”
कमलकांत का मुंह सफेद पड़ने लगा था। प्रधानाचार्य ने मीरा को रोकने की कोशिश भी की लेकिन छात्राएं पूरे उल्लास के साथ उसे बढ़ावा दे रही थीं…।
मीरा ने आगे कहा…
“वो हमें इतना प्रेम करते हैं कि बता नहीं सकते …हमारी पढ़ाई अच्छी हो, इसलिए वे अक्सर जीरो पीरियड में हमें स्टाफ रूम में बुला लेते हैं। कोई डिस्टर्ब ना हो, इसका भी वो पूरा ध्यान रखते हैं और जब कोई रूम में ना हो तभी बुलाते हैं। हमारे दुपट्टे से ही उनका चश्मा साफ होता है।”
अब तो कमलकांत को काटो तो खून नहीं, वो अपने परिवार के साथ खिसकना चाहता था, लेकिन तभी ज्योति जी ने तुरंत पुलिस को बुलवा कर उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
सभी मीरा की निडरता और समझदारी की तारीफ कर रहे थे, ज्योति जी ने उसे धन्यवाद कहा और गले लगा लिया। कमलकांत को उसका सर्वोच्च पुरस्कार दे दिया गया….।
(Photo by Chris Barbalis on Unsplash)
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