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शादी के लिए कुंडली मिलाएं या न मिलाएं, ये टेस्ट जरूर कराएं

Archana Chaturvedi  |  May 23, 2018
शादी के लिए कुंडली मिलाएं या न मिलाएं, ये टेस्ट जरूर कराएं

अक्सर हमने देखा है कि शादी के लिए लड़का- लड़की रूप और गुणों के साथ-साथ अच्छी नौकरी, घर, प्रॉपर्टी, रहन-सहन जैसी चीजें एक- दूसरे में देखते हैं। एक मैट्रीमोनियल रिसर्च के अनुसार यह सामने आया है कि आजकल लोग ‘पहला सुख निरोगी काया’ यानि हेल्थ रिपोर्ट की भी डिमांड करने लगे हैं। मेडीकल विशेषज्ञों का भी कहना है कि शादी से पहले कुंडली मिलाना इतना जरूरी नहीं है, जितना कुछ मेडिकल टेस्ट कराना जरूरी है। आगे चलकर किसी भी तरह की कोई हेल्थ प्रॉब्लम न आए, इसलिए भावी कपल्स को शादी से पहले ये 5 मेडिकल टेस्‍ट जरूर ही करवा लेने चाहिए  –

जेनेटिक टेस्‍ट

जो रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते हैं, उन्हें आनुवंशिक रोग कहते हैं। यह रोग डीएनए में गड़बड़ी के कारण होते हैं। ऐसी ही आनुवांशिक बीमारियों को जानने के लिए ये टेस्ट करवाया जाता है। डीएनए में हमारा जेनेटिक कोड होता है, जिससे माता-पिता की आदतें व रोग संतान तक पहुंचती हैं। इसी में खराबी से जेनेटिक डिसॉर्डर होने की आशंका बढ़ती है।

एसटीडी टेस्ट

एसटीडी यानि कि यौन संचारित संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सेक्सुअल कांटेक्ट के दौरान फैलते हैं। यह फिजिकल रिलेशन वैजाइनल, एनल या ओरल हो सकता है। यह किसी महिला से पुरुष, पुरुष से पुरुष अथवा महिला से महिला तक जा सकता है। इस टेस्ट से ये पता लगाया जा सकता है कि आपका पार्टनर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का शिकार तो नहीं है।

एजिंग टेस्ट

आजकल लोग देर से शादी करते हैं, ऐसे में बढ़ती उम्र के कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। बहुत जल्दी एज या बहुत मैच्योर होने पर ये टेस्ट करवाना जरूरी है, खासतौर पर महिलाओं के लिए। इससे ये पता लग सकता है कि इस उम्र पर वे मां बनने के लिए कितनी सक्षम हैं।

फर्टिलिटी टेस्‍ट

शादी के बाद दूसरा स्टेप बेबी प्लानिंग का होता है और ये टेस्ट इसीलिए आवश्यक होता है जिससे आप पता कर सकें कि आप या आपके पार्टनर को शादी करने के बाद संतान पैदा करने में किसी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं आएगी। ये टेस्ट महिला और पुरुष दोनों को ही करवाना चाहिए।

ब्‍लड डिसऑर्डर टेस्‍ट

यह टेस्ट इसलिए किया जाता है जिसमें ये पता लगाया जा सके कि आपका ब्लड हीमोफीलिया या थैलेसीमिया से ग्रसित तो नहीं है। इस बीमारी में बच्चे पैदा होते ही मर जाते है या फिर जीवित रहें तो अनेक समस्याओं से परेशान रहते है और उनकी उम्र बहुत कम होती है।

(नोट – यह सारे टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही कराएं।)

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