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आज है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ने से बन रहा है दुर्लभ संयोग

Archana Chaturvedi  |  Jul 16, 2019
आज है साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ने से बन रहा है दुर्लभ संयोग

गुरु पूर्णिमा के मौके पर ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी दस्तक दे रहा है। जहां एक तरफ पूरे देश में गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ चंद्र ग्रहण के कारण सूतक काल लगने से पूजा- पाठ में बाधा भी महसूस होगी। 

जानकारों की मानें तो 16 जुलाई को देर रात होने वाले आंशिक चंद्र ग्रहण के कारण लगभग 9 घंटे पहले से सूतक लग जायेगा, जिस वजह से गुरु पूजन दोपहर 4 बजे तक ही किया जा सकेगा। दरअसल, गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का संयोग 149 साल बाद बन रहा है। यह ऐतिहासिक होने के साथ ही दुर्लभ भी बताया जा रहा है। यही नहीं, यह इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी है। अब इसके बाद सीधे 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण देखा जायेगा।

ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय

इस चंद्र ग्रहण का सबसे बुरा असर धनु और वृषभ राशि वाले लोगों पर दिखाई देगा। वहीं जिन लोगों की कुंडली में ग्रहण योग है, उन्हें भी इस दौरान बचकर रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करते रहना चाहिए। सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले ही लग रहा है। ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा विधिवत कर लें क्योंकि सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है। सूतक काल लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाएंगे। 

सूतक काल  – 16 जुलाई को शाम 4 बजकर 31 मिनट

चंद्र ग्रहण शुरू होगा – रात 1 बजकर 31 मिनट

चंद्र ग्रहण खत्म होगा – अगले दिन सुबह 4 बजकर 30 मिनट

ग्रहण अवधि – 2 घंटे 59 मिनट

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जानिए कहां- कहां दिखेगा यह चंद्र ग्रहण

इस ग्रहण का असर भारत सहित एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप में रहेगा। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस बार लगने वाले चंद्र ग्रहण की वजह से धरती के बड़े भूभाग पर भूकंप, सुनामी और तूफान- चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने का खतरा रह सकता है। इस ग्रहण का प्रभाव रक्षाबंधन तक बना रहेगा।

जानिए क्या और कैसे लगता है ग्रहण

इस बारे में वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। दरअसल, जब आकाश में सूर्य और चंद्रमा अपनी- अपनी गति से घूमते रहते हैं तो कई बार दोनों धरती से एक सीध में पड़ जाते हैं, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का वह भाग धरती वासियों को काला सा दिखने लगता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव हो सकता है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लग सकता है।

ग्रहण काल में बरतें ये सावधानियां –

– प्रेग्नेंट महिलाओं को इस दिन घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। गर्भ पर बुरा असर पड़ता है।

– ग्रहण के समय कुछ खाना- पीना नहीं चाहिए। क्योंकि ग्रहण के समय प्रकाश की किरणों मे विवर्तन (Diffraction) होता है। इसकी वजह से कई हजार सूक्ष्म जीवाणु मरते हैं और कई हजार पैदा होते हैं।

– कहते हैं ग्रहण काल में शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिए।

– ग्रहण काल के दौरान अगर कोई घर से बाहर रहता है तो उसे ग्रहण खत्म होते ही नहा लेना चाहिए।

– इस दौरान चाकू या तेज धार वाली कोई भी चीज इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय में इस तरह की वस्तुओं का प्रयोग वर्जित माना जाता है।

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