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ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े इन मिथ पर भूलकर भी न करें विश्वास

Supriya Srivastava  |  Jan 11, 2021
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ब्रेस्ट फीडिंग यानि स्तनपान (Breast Feeding) नवजात शिशु के लिए बेहद ज़रूरी है। इसे लिक्विड गोल्ड भी कहा जाता है। यह न सिर्फ नवजात शिशु की सेहत के लिए बल्कि उसके विकास के लिए भी बेहद ज़रूरी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जन्म से लेकर 2 साल तक शिशु का दूध पीना चाहिए। हालांकि 6 महीने के बाद बेबी सॉलिड फूड खाना शुरू कर देता है लेकिन दूध उसे मां का ही पीना चाहिए। मगर ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कुछ मिथ के चलते माएं बच्चों को ऊपर का दूध पिलाना शुरू कर देती हैं या फिर उन मिथ पर आंख बंद कर भरोसा कर लेती है, जो कि बाद में उनके शिशु के लिए ही हानिकारक साबित होता है। हम यहां ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ के बारे में बता रहे हैं, जिनपर एक नई मां को भूलकर भी विश्वास नहीं करना चाहिए।

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मिथ- ज़ुकाम-खांसी होने पर बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए

यह एक बड़ा मिथ है, जो हर नई मां को सुनने को मिलता है। घर के बड़े-बुज़ुर्गों का कहना है कि मां को ज़ुकाम-खांसी होने पर अगर वह बच्चे को अपना दूध पिलाती है तो शिशु को भी सर्दी होने की आशंका बनी रहती है। जबकि यह धारणा बिलकुल गलत है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) ने माना है कि कोरोना वायरस होने पर भी मां शिशु को स्तनपान (Breast Feeding) करा सकती है। ज़ुकाम-खांसी के लिए भी यही बात लागू होती है। दरअसल, मां के दूध में कई एंटी बॉडीज़ होती हैं, जो शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। ऐसे में मां का दूध पीकर बच्चे को ज़ुकाम-खांसी होने का सवाल ही नहीं उठता। हां, शिशु के पास रहने, उसे प्यार करने, दुलारने से ज़रूर बैक्टीरिया ट्रांसफर होते हैं, जो ज़ुकाम-खांसी का कारण बनते हैं। 

मिथ- मां के दूध से बच्चे का पेट नहीं भरता

यह एक ऐसा मिथ है, जो नई मां को शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क पिलाने पर मजबूर कर देता है। मां का दूध पिने के आधे या 1 घंटे बाद अगर बच्चा रोटा है तो आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि मां के दूध से बच्चे का पेट नहीं भर रहा उसे ऊपर का दूध भी पिलाओ। यह सरासर मिथ है। दरअसल, मां का दूध हल्का होता है, जिसे शिशु आसानी से पचा लेता है और उसे दोबारा जल्दी भूख लग जाती है। वहीं फॉर्मूला मिल्क बच्चा देर में पचा पाता है, जिस कारण उसे लगभग 2 घंटे तक कोई भूख नहीं लगती। मगर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मां के दूध से बच्चे का पेट नहीं भर रहा। इसलिए, अगर आपको भरपूर दूध आ रहा है तो इस बात पर विश्वास करके अपने बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाने की गलती भूलकर भी मत करियेगा। 

मिथ- मां के खट्टा खाने से शिशु दूध पलटता है

यह बात भी हर नई को सुननी पड़ती है। अगर मां खट्टा खायेगी तो बच्चा दूध पलटेगा। दरअसल, नवजात शिशु का दूध पलटना आम बात है। दूध पीने के बाद जितने दूध को शिशु पचा नहीं पता उसे पलट देता है। फिर चाहे वो मां का दूध हो या  फॉर्मूला मिल्क, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि जिस दूध को शिशु पलटता है वो दिखने में थोड़ा फटा हुआ होता है। इस वजह से लोगों में यह धारणा है कि मां के खट्टा खाने की वजह से शिशु दूध पलट देता है।  पूरी तरह से एक मिथ है। 

मिथ- ब्रेस्ट फीडिंग से फिगर खराब हो जाता है

मां बनने क्वे बाद शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। उनमें सबसे बड़ा बदलाव है, फिगर का पहले जैसा न रहना। मगर इसका ब्रेस्ट फीडिंग से कोई लेना-देना नहीं होता। कई नई माएं यह सोचकर बच्चे को अपना फीड नहीं कराती कि इससे उसका फिगर खराब हो जायेगा। यह धारणा सही नहीं है। उल्टा बराबर फीड कराने से मां वजन कम होता है। फिगर खराब नहीं होता। इसलिए बेफिक्र होकर मदरहुड एन्जॉय करिये और किसी भी तरह के मिथ से दूर रहिये।

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