आजकल बॉलीवुड में ऐसी बीमारियों पर फिल्में बनाने का ट्रेंड चल पड़ा है, जिसमें फिल्म के लीड कैरेक्टर को कैंसर या कैंसर जैसी कोई जानलेवा बीमारी हो। फिल्मों में प्रमुख किरदार को जानलेवा बीमारी का होना फिल्म के हिट होने का फॉर्मूला माना जाता है। जहां हीरो या हीरोइन को कैंसर हो, वहां दर्शकों की सहानुभूति मिलना वाजिब भी है। ऐसी फिल्में देखते हुए अक्सर दर्शक रोने भी लगते हैं। दूसरी ओर ऐसी कई फिल्मों के माध्यम से दर्शकों को बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी भी मिल जाती है। हम यहां आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें फिल्म के लीड कैरेक्टर को कैंसर है।
कालाकांडी – 2018
कालाकांडी में 3 कहानियां एक साथ चलती हैं। एक व्यक्ति जिसे पता चलता है कि वह बीमार है तो वह अपने सारे नियम-कायदे तोड़कर थोड़ा सा जीने का प्रयास करता है, एक महिला जो एक हिट-ऐंड-रन मामले में दोषी है और इससे बचना चाहती है और 2 गुंडे जिन्हें यह निर्णय लेना है कि वे एक-दूसरे पर विश्चवास करें या नहीं।
ऐ दिल है मुश्किल – 2016
म्यूजीशियन अयान अलीज़ा से प्यार करता है लेकिन अलीज़ा उससे प्यार नहीं करती। अलीज़ा किसी और से शादी कर लेती है तो अयान विदेश चला जाता है। बाद में उसे पता लगता है कि अलीज़ा का पति उसे छोड़ चुका है और अलीज़ा को कैंसर है तो वह उसकी देखभाल करता है।
कट्टी बट्टी – 2015
माधव और पायल एकदूसरे से प्यार करते हैं और लिव- इन रिलेशनशिप में पांच साल गुजारते हैं। लेकिन एक दिन अचानक पायल माधव को छोड़कर कहीं चली जाती है। बाद में माधव को पता लगता है कि पायल को कैंसर है तो वो उसके अंतिम दिनों में उससे शादी करता है।
वी आर अ फैमिली -2010
अमन (अर्जुन रामपाल) और माया (काजोल) के तीन बच्चे हैं और दोनों में तलाक हो चुका है। बच्चे माया के साथ रहते हैं, जो कि परफेक्ट मॉम है। श्रेया (करीना कपूर) अब अमन की जिंदगी में आ चुकी है। एक दिन माया को पता चलता है कि उसे जानलेवा बीमारी कैंसर है। वह ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है। बच्चों को माँ की जरूरत है। वह चाहती है कि श्रेया उसकी जगह ले, लेकिन श्रेया को अपने करियर से प्यार है। आखिर में श्रेया तैयार होती है और किस तरह से वह बच्चों के दिल में जगह बनाती है।
आशाएं – 2010
एक गैम्बलर राहुल को जब यह पता लगता है कि उसे जानलेवा बीमारी कैंसर है तो उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। वह रिहेबिलिटेशन सेंटर में ऐसे बहुत से लोगों से मिलता है, जो उसे जिंदगी को पूरी तरह से जीने में मदद करते हैं। अब उसे जिंदगी का सही अर्थ समझ आता है।
वक्त द रेस अगेन्स्ट टाइम -2005
इस फिल्म में लीड कैरेक्टर ईश्वर यानि अमिताभ बच्चन को कैंसर है और उसे पता चलता है कि वह सिर्फ अगले तीन महीने ही जी पाएगा। उसका बेटा जिम्मेदार नहीं है, इसलिए वो उसे उसकी पत्नी समेत बिना अपनी बीमारी के बारे में बताए घर से निकाल देता है। घर से अलग रहकर उसका बेटा अपनी जिम्मेदारियों के बारे में समझता है और बाद में अपने पिता की मौत के बाद सच्चाई उसे मालूम पड़ती है।
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