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‘सुई धागा’ : धागों से बुनी ममता- मौजी की पक्की कहानी, सब बढ़िया है

Deepali Porwal  |  Sep 28, 2018
‘सुई धागा’ : धागों से बुनी ममता- मौजी की पक्की कहानी, सब बढ़िया है

ग्लैमर की तड़क- भड़क वाली फिल्मों से हटकर है सुई धागा की कहानी। इसमें न तो महानगरीय चकाचौंध है, न ही पार्टी करते युवा, न रोमांस का तड़का है और न ही सेक्स या आइटम सॉन्ग की झलक … फिर भी ममता- मौजी के संघर्ष की इस कहानी में सब बढ़िया है। पढ़ें फिल्म रिव्यू।

स्टार कास्ट : वरुण धवन (Varun Dhawan), अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma)

निर्देशक : शरत कटारिया (इससे पहले दम लगाके हईशा का निर्देशन कर चुके हैं)

सुई धागा रिव्यू

आम ममता- मौजी की खास कहानी

सुई धागा की कहानी एक ऐसे परिवार की है, जो अपनी रोज़ाना की समस्याओं से जूझ रहा है। घर चलाने के लिए परिवार का हर सदस्य हर रोज़ एक नए चुनौती से जूझता है। मौजी (वरुण धवन) सिलाई मशीन की एक दुकान में काम करता है, जहां उसका बहुत मज़ाक उड़ाया जाता है। उसकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) को अपने पति का यूं मज़ाक उड़वाना पसंद नहीं आता है तो वह उसे नौकरी छोड़ कर अपना काम शुरू करने की सलाह देती है। सिलाई में माहिर मौजी उसी काम की जद्दोजहद में लग जाता है। फिर शुरू होती है परिवार के संघर्ष की असल कहानी, जब मौजी की मां के इलाज के लिए भी परिवार पैसे नहीं जुटा पाता है।

मौजी के लिए सब बढ़िया है

मौजी (वरुण धवन) का मालिक उसका मखौल उड़ाता है, उसके पिता मौका मिलते ही उसे ताने मारने से नहीं चूकते हैं और रिश्तेदार- पड़ोसी भी उसका ज्यादा साथ नहीं देते हैं। इन सब परेशानियों के बावजूद मस्तमौला मौजी के लिए सब कुछ बहुत बढ़िया है। चाहे जो हो जाए, उसके चेहरे पर कभी शिकन नहीं आती है। ममता- मौजी की शादी को कई साल हो चुके हैं पर समय न मिलने के कारण उन्हें एक- दूसरे से प्यार करने का समय नहीं मिलता है। हालांकि, हर कठिनाई से जूझते हुए मौजी का साथ देती है उसकी पत्नी ममता। दोनों अपना काम शुरू करते हैं और सफल होने तक डटे रहते हैं। धीरे- धीरे उन्हें सबका साथ मिलने लगता है। ममता- मौजी की शादी को कई साल हो चुके हैं पर समय न मिलने के कारण उन्हें एक- दूसरे से प्यार करने का समय नहीं मिलता है।

खुशी व सुकून के कुछ पल

नौकरी छोड़ने के बाद मौजी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। धक्कों के साथ ही उसे धोखे भी खाने पड़ते हैं। ‘सुई धागा’ की कहानी एक गंभीर विषय पर आधारित है मगर फिर भी यह फिल्म बीच- बीच में दर्शकों को गुदगुदा जाती है। थिएटर में आपको ममता और मौजी के इंटीमेट या रोमांटिक सीन देखने को नहीं मिलेंगे पर फिर भी इनके बीच प्यार की झलक नज़र आ जाएगी। इनका एक- दूसरे का साथ देना, ममता का मौजी के परिवार का ख्याल रखना और पहली बार इनका एक- दूसरे का हाथ थामना … ये पल और एहसास दिल को छू जाते हैं। मौजी सिलाई में माहिर है तो ममता कढ़ाई में, ऐसे ही ये एक- दूसरे के पूरक बन जाते हैं।

सामाजिक मुद्दों की भी झलक

अपना काम शुरू करने से पहले मौजी जिस दुकान में काम करता है, वहां चोरी की सिलाई मशीन सप्लाई की जाती हैं। दरअसल, सरकार की तरफ से स्वरोजगार की स्कीम के तहत जो सिलाई मशीन आती हैं, वे यहां- वहां बेच जाती हैं। इससे पता चलता है कि जनता के हित में शुरू की गई स्कीम का क्या हश्र होता है।
मौजी जिस कारखाने में काम करता है, वहां अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए कपड़े बनाने का बड़ा ऑर्डर आता है। फिर अस्पताल में मरीजों के खुद के कपड़ों पर बैन लगा दिया जाता है और हर गाउन को 2000 रुपये में मरीजों को बेच दिया जाता है।
‘सुई धागा’ कहीं से भी दर्शकों को उपदेश देती हुई नज़र नहीं आती है। फिल्म के गीत- संगीत कहानी के मुताबिक हैं। अनुष्का शर्मा और वरुण धवन की ऐक्टिंग दमदार है। आम पति- पत्नी की भूमिका में दोनों काफी जंचे हैं। वरुण धवन के माता- पिता के तौर पर आभा परमार और रघुवीर यादव का काम भी सराहनीय है।

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