बरावफात को ईद ए मिलाद और मिलाद उन नबी के नाम से भी जाता है। हर मुस्लमान के लिए यह दिन बहुत खास होता या यूं कह लो कि ईद से कम नहीं होता यह दिन। क्योंकि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था। इस्लामिल कैलेंडर के अनुसार हर साल रबी-उल-अव्वल के महीने की 12 तारीख को मिलाद उन नबी मनाई जाती है। इसलिए इसे 12 रबी-उल-अव्वल के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जुलूस निकाले जाते हैं, मस्जिदों में दुआए कराई जाती हैं और रात भर मजलिसें भी लगाई जाती हैं। वहीं यह भी माना जाता है कि इसी तारीख को पैगंबर हजरत मुहम्मद का इंतकाल (देहांत) भी हुआ था इसलिए इस दिन को बारहवफात भी कहते हैं। जानिये बारावफात कब है (Bara Rabi Awal Kab Hai) और ईद मिलाद उन नबी क्यों मनाई जाती है (Eid Milad Un Nabi Kyu Manate Hai) से सम्बंधित पूरी जानकारी।
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बारावफात कब है – Bara Rabi Awal Kab Hai
हिजरी कैलेंडर के अनुसार इस साल रबी-उल-अव्वल का महीना 8-9 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। रबी उल अव्वल इस्लामिक कैलेंडर का एक पवित्र महिना है। क्योंकि यह महीना इस्लाम के संस्थापक पैगंबर हजरत मुहम्मद की पैराइश का महीना है। उनकी पैदाइश के दिन अगल-अलग जगहों पर कार्यकमों का आयोजन किया जाता है। मुहम्मद साहब की हदीसें पढ़ी जाती हैं, दावतें की जाती हैं। हालांकि मिलाद-उन-नबी (मिलाद-उन-नबी कोट्स) मनाने को लेकर सुन्नी और शिया समुदाय के लोगों के अपने-अपने मत हैं। इस साल 2021 में ईद मिलाद उन नबी ( bara rabi awal kab hai) या बारावफात 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
ईद मिलाद उन नबी क्यों मनाई जाती है – Eid Milad Un Nabi Kyu Manate Hai
सरकार की आमद मरहबा, सरदार की आमद मरहबा, हुज़ूर की आमद मरहबा, पुर नूर की आमद मरहबा…. जैसा कि हमने ऊपर बताया है ईद मिलाद उन नबी पैगंबर मुहम्मद की पैदाइश (eid milad un nabi kyu manate hai) की खुशी में ही मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12 तारीख, 571 ईं. के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था। उनका जन्म मक्का शहर में हुआ। इनके पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्द अल-मुत्तलिब और माता का नाम अमाना बिन्त वाहब था। मुहम्मद साहब इस्लाम के आखिरी पैगंबर थे। उनके जरिए ही अल्लाह ने लोगों तक कुरान को पहुंचाया था। ईद मिलाद उन नबी मुहम्मद साहब के जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए उपदेश की याद दिलाता है। वैसे तो पैगंबर मुहम्मद की पैदाइश का दिन खुशी का दिन है लेकिन इसी तारीख यानी रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन 632 ई. को पैगंबर मुहम्मद दुनिया से रुख्सत हो गए थे। यही वजह है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग खुशी मनाते हैं तो कुछ शोक में ग्रस्त रहते हैं। हालांकि इस दिन जुलूस में बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी इकट्टठा होकर नात शरीफ पढ़ते हैं। उन पर दुरूद भेजते हैं, कुरान की तिलावट करते हैं। साथ ही जुलूस में पैगंबर की हदीसों के बारे में बयान किया जाता है और गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद की जाती है।
ईद मिलाद उन नबी का महत्व – Importance of Eid Milad un Nabi in Hindi
मिलाद उन नबी का मूल शब्द मौलिद है जिसका अर्थ अरबी में ‘पैदाइश’ होता है। अरबी भाषा में ‘मौलिद-उन-नबी’का मतलब हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन है। बदलते वक्त से साछ हर त्योहार या उत्सव की तरह ईद मिलाद उन नबी में भी कई तरह के बदलाव हुए। पहलेन जहां मिलाद उन नबी काफी सादगी से मनाया जाता था (eid milad un nabi history hindi) वहीं वर्तमान में इसे काफी धूम-धाम से मानाया जाता है। मजलिसें लगाई जाती हैं, जुलूसों को आयोजन किया जाता है। और सबसे महत्वपूर्ण बात पैंगबर मुहम्मद की हदीसों जैसे – “गुस्से पर काबू रखों”, “दूसरों की भलाई करो”, “इंसाफ का रास्ता अपनाओ”, “ब्याज मत खाओ”, “रिश्वत मत खाओ”, “लोगों के बीच इंसाफ से फैसला करो”, “गरीब-बेसहारा लोगों की मदद करो”, “आपस में फूट मत डालो”, “आपस में शांति बनाए रखो”, “पड़ोसियों का ख्याल रखो” आदि हदीसों को लोगों तक पहुचाया जाता है ताकि लोग उनके बताए तरीकों से अपनी जिंदगी बिता सके। यह दिन हमें इस बात का एहसास कराता है कि पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाएं आज भी समाज को अच्छा बनाने का प्रयास कर रही हैं।
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Supriya Srivastava