ओडिशा की धार्मिक नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। 4 लाख वर्ग फुट के विस्तृत क्षेत्र में फैला भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर चारदिवारी से घिरा है। आस्था और विश्वास से जुड़ा ये मंदिर बेहतरीन वास्तुकला का भी बेजोड़ नमूना है। ये मंदिर भारत के दस अमीर मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के लिए जो भी दान आता है, वह मंदिर की व्यवस्था और सामाजिक कामों में खर्च किया जाता है। हाल ही में 34 साल बाद जगन्नाथ मंदिर के खजाने यानि रत्न भंडार का निरीक्षण किया गया, जिसमें देवी-देवताओं के बेशकीमती जेवर और आभूषणों रखे जाते हैं। बता दें कि इससे पहले यह 1984, 1978, 1926 और 1905 में खोला गया था। यूं तो भारत के सभी मंदिरों के साथ कोई न कोई रहस्य जुड़ा है लेकिन जगन्नाथ मंदिर से जुड़े तथ्य अपने आप में अद्भुत हैं।
मंदिर से जुड़े रहस्य
1 – मंदिर में 20 लाख लोग तक भोजन करते हैं। फिर भी अन्न की कमी नहीं पड़ती है। हर समय पूरे साल के लिए भंडार भरपूर रहता है। मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। यहां सारा प्रसाद मिट्टी की जिन 700 हंडियों में पकाया जाता है, उन्हें ‘अटका’ कहते हैं। ये बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है।लगभग दो सौ सेवक सब्जियों, फलों, नारियल को काटते हैं, मसालों को पीसते हैं। मान्यता है कि इस रसोई में जो भी भोग बनाया जाता है, उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है। हैरत की बात यह भी है कि मंदिर में प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता। जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं प्रसाद भी समाप्त हो जाता है।
2 – जैसे ही आप मंदिर के सिंहद्वार से अंदर प्रवेश करेंगे आपको समुद्र के लहरों की आवाज आना बंद हो जाएगी। वहीं जब मंदिर से बाहर आते समय एक ही कदम को पार करेंगे तब ये आवाजें आप को साफ-साफ सुनाई देने लगेंगी। वास्तव में ऐसा वहां सभी भक्तों ने अनुभव किया है।
3 – कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कभी भी कोई चि़ड़िया या और कोई पक्षी नहीं उड़ता है। इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर उड़ाना भी सख्त मना है। क्योंकि यहां के लोग मानना है कि ईश्वर से ऊपर कुछ नहीं है और न हो सकता है।
दिल्ली के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है
4 – इस मंदिर के ऊपर फहराता हुआ ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता है। इसके पीछे क्या कारण है ये आजतक रहस्य बना हुआ है। खास बात तो यह है कि ध्वज हर रोज बदला जाता है और बदलने वाला भी उल्टा चढ़कर ध्वजा तक पंहुचता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी दिन ध्वज को न बदाला जाए तो मंदिर के पट 18 साल तक बंद हो जाएंगे।
5 – साइंस के मुताबिक जब किसी भी चीज पर रोशनी पड़ती है तो उसकी छाया या परछाई जरूर बनती है लेकिन यहां कुछ उल्टा ही है। इस मंदिर के शिखर की कोई छाया या परछाई दिखती ही नहीं है।
6 – इस मंदिर के शिखर में लगे सुदर्शन चक्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पुरी में किसी भी जगह से देखें ये हमेशा सामने से ही दिखेगा। ये चक्र अष्टधातु से निर्मित होता है और पवित्र माना जाता है।
7 – जगन्नाथ पुरी में विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा बड़े धूम-धाम से निकाली जाती है। आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। यह रथयात्रा 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही होती है। अपनी मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते हैं। आषाढ़ शुक्ल दशमी को वापसी की यात्रा होती है। इसमें मंदिर के तीनों प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और भगिनी सुभद्रा को अलग-अलग रथों में विराजमान किया जाता है।
8 – रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु आते हैं। भक्तों की मान्यता है कि रथ की रस्सियों को खींचने और छूने मात्र सी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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