भाई दूज हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हिंदू महीने कार्तिक में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर और नवंबर के बीच आता है। इस दिन बहनें अपने प्यारे भाई की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक या सिन्दूर का टीका लगाकर और फिर मिठाई, रोली और नारियल से भरी रंगीन थाली लेकर उसकी आरती उतारकर इस अवसर का सम्मान करती हैं। फिर वे व्यंजनों से अपना मुंह मीठा करते हैं, और बदले में, बहनों को उनके भाइयों से उपहार मिलते हैं। दिवाली पर सूर्यग्रहण लगने के कारण लोगों के मन में भाई दूज की तारीख और तिथि को लेकर असमंजस है और साथ ही मुहूर्त को लेकर भी उलझन की स्थिति बनी हुई है। वैसे भी आजकल ज्यादातर कोई तीज-त्योहार दो तिथियों में पड़ जाते हैं, ऐसे में लोगों का कंफ्यूज होना जायज है। इसीलिए यहां हम आप की इस दुविधा को दूर करते हुए भाई दूज 2023 (Bhai Dooj in hindi) किस दिन है ? इस बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं।
When is Bhai Dooj in 2023 | किस दिन है भाई दूज?
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर होगा और 15 नवंबर को रात 1 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 15 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा। वैसे आप चाहें तो इस बार 14 नवंबर को दोपहर 12 बजे के बाद भाई को तिलक लगा सकते हैं। हीं जो लोग उदया तिथि को आधार मानकर पर्व मनाने हैं वह 15 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाएंगे।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त 2023
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ बुधवार को दोपहर में 2 बजकर 43 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन गुरुवार को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर भाई दूज का त्योहार गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भाई को टीका करने के लिए सुबह 10.45 से दोपहर 12.05 तक शुभ मुहूर्त है। इस दिन करीब 1 घंटे 31 मिनट तक शुभ समय है।
भाई दूज के दिन क्यों होती है चित्रगुप्त जी की पूजा ?
शास्त्रों के अनुसार, भाईदूज के दिन यमराज, यमदूज और चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन यम से बहन यमुना को एक वरदान मिला था। इस वरदान में ये कहा गया था कि जो भाई अपनी बहन के यहां जाकर इस दिन माथे पर तिलक लगाएगा और हाथों से बना भोजन खाएगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसके लिए भी भगवान चित्रगुप्त जी की भी पूजा की जाती है।
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