रिश्ता चाहे बहुत नजदीक का हो या बड़ी दूर का, हर रिश्ते का एक इंसान की जिंदगी में बहुत महत्व होता है। अगर ऐसा नहीं होता तो वह रिश्ता भी फिर क्यों होता। इन रिश्तों में छिपे होते हैं ढेरों जज्बात और और उनसे जुड़े एहसास। यहां तक कि कई बार तो हमारी खुशियों का सारा आधार तक ही इन अपनों में और अपने में छिपा होता है। दिक्कत सिर्फ तब आती है, जब चाहे-अनचाहे इन रिश्तों में तनाव दरार डालने लगता है।
रिलेशनशिप में डिप्रेशन से बाहर कैसे निकलें – How to Get Rid of Relationship Depression
हालांकि कोई नहीं चाहता कि उसके किसी भी रिश्ते में किसी भी तरह के रंजोग़म की कोई गुंजाइश हो, लेकिन अगर ऐसा हो ही जाए तो क्या। उससे बिना घबराए जरूरत होती है उसके समाधान का रास्ता निकालने की। (how to overcome depression) आइए जानें कि कैसे निकल सकते हैं ये सुलह भरे मुहब्बत के रास्ते –
क्यों होता है रिश्तों में डिप्रेशन
रिश्तों में अक्सर तनाव तो आ जाता है, मगर क्यों आता है (depression in relationship) ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब सामने नजर आकर भी अक्सर समझ ही नहीं आता। जिसका नतीजा ये होता है कि सारा समय समस्या के समाधान की कोशिश करने की बजाय, एक-दूसरे की कमियां निकालने और एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में ही निकल जाता है। यही वजह है कि सबसे जरूरी बात तो यही होती है कि जब भी कभी ऐसा हो तो सबसे पहले उसकी वजह जानने की कोशिश जरूर करनी चाहिए, क्योंकि बिना वजह कुछ भी नहीं होता है। कभी बहुत देर तक दबी भावनाओं का उफान ही किसी कड़वाहट के रूप में सामने आ जाता है तो कभी एक-दूसरे से की गई अपेक्षाओं का बोझ ही बहुत ज्यादा होता है। सिर्फ प्यार ही एकलौता एहसास नहीं है, बल्कि जहां भी प्यार होगा, वहां गुस्सा, नाराजगी, जलन जैसी न जाने कितनी ही भावनाएं और जुड़ी-छिपी होंगी, इसलिए पहला काम इस तनाव के जड़ तक जाने का ही होना चाहिए।
सबसे पहले सच को स्वीकारिए
कई बार हम किसी रिश्ते से इस तरह से जुड़े होते हैं कि उसमें कुछ भी गलती या कमी स्वीकार ही नहीं करना चाहते हैं। ये भी हो सकता है कि एकतरफा तौर पर हम ये मान बैठे हों कि सारी गलती सामने वाले की ही है और हम पूरी तरह से बेकुसूर हैं। इसी तस्वीर का एक पहलू ये भी है कि लंबे अर्से से आप किसी और की गलती पर पर्दा डाल-डालकर हर गलती का जिम्मेदार खुद को ही माने बैठे हैं। स्थिति इनमें से चाहे जो भी हो या कुछ और ही क्यों न हो, सबसे पहले उसे स्वीकार कीजिए। साथ ही हमारी सलाह ये भी है कि इन हालात की हकीकत को अपनी कल्पना से मत गढ़िए। अपनी तरफ से ही ये मान कर मत बैठ जाइए कि बात क्या होगी। सही कौन है, गलत कौन है। दोष किसका है। आप जितना जल्दी अपने रिश्ते में आ रहे डिप्रेशन, यानी तनाव (depression in relationship) को स्वीकार लेंगे, उसकी वजह को जान लेंगे, इस समस्या के समाधान (depression treatment) के उतना ही नजदीक पहुंच जाएंगे।
हर बात का जिम्मेदार खुद को मत मानिए
जहां बहुत प्यार होता है, वहां हमें उस शख्स की तो कभी गलती नजर ही नहीं आती, जिसे हम बेहद प्यार करते हैं, चाहे वह हमारा पार्टनर हो या उससे हमारा कोई और रिश्ता हो। इस मोह से बाहर आकर सबसे पहले जरूरी है सही स्थिति को समझना। कई बार ये होता है कि किसी रिश्ते के बिगड़ने या खराब होने में गलती किसी की भी नहीं होती है, बस हालात ही ऐसे बन जाते हैं कि एक का पक्ष दूसरे का विपक्ष बन जाता है, इसलिए इस सच को स्वीकार कीजिए और अपने-आप को कुसूरवार मानना बंद कीजिए। अगर टूटना ही किसी रिश्ते की नियति हो तो उसमें कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। किसी भी गहरे रिश्ते के टूट जाने के बाद ऐसे ख्याल मन में आना बड़ा स्वाभाविक है कि काश हमने थोड़ी कोशिश और कर ली होती। काश हमने थोड़ा और बर्दाश्त कर लिया होता या फिर ग्लानि से भरा ऐसा ही कोई भाव बार-बार मन में उठता है। (depression and relationships) हमें ये समझना होगा कि रिश्ता चाहे कोई भी हो, कभी भी एकतरफा नहीं चल सकता। इसमें दोनों ही तरफ से प्यार, सम्मान, विश्वास और समझदारी होनी चाहिए।
हर बात की निर्भरता अच्छी नहीं, चाहे दिल की हो या दिमाग की
आपने पेड़ से लिपटी बेलें तो देखी ही होंगी। कई बार कई बेलें खुद बेहद सक्षम होती हैं, लेकिन दिक्कत ये होती है कि अक्सर वे जिस पेड़ से टिक जाती हैं, पूरी निर्भरता उसी पर बना लेती हैं। उन्हें अपने वजूद की मजबूती को एहसास तक नहीं होता, लेकिन हमें ये बात गहराई से समझने की जरूरत है कि निर्भरता कभी किसी भी बात की किसी पर भी अच्छी नहीं होती, चाहे वह भावनात्मक हो या फिर किसी भी और रूप में। चलिए हम आपको एक उदाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं। (depression treatment) अक्सर आपने देखा होगा कि चाहे घर के छोटे-मोटे काम हों, अपनी निजी दिनचर्या से जुड़ी जरूरतें हों या फिर कहीं आना-जाना या घूमना-फिरना, ज्यादातर लोग इन बातों में किसी न किसी पर निर्भर होते हैं। यहां तक कि अक्सर अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोगों को भी आपने एक मामूली सा फॉर्म भरने के लिए दूसरों पर निर्भर होते देखा ही होगा। उस पल में क्या कभी आपने ये बात सोची है कि जिस पर आज आप इस हद तक निर्भर हो गए हैं, अगर कल वह न तो या वह अपना हाथ खींच लें, तब आप क्या करेंगे। याद रखिए, सहारा चाहे जिस भी चीज का हो, सहारा ही होता है औऱ सहारों के दम पर मंजिलें हासिल नहीं होतीं।
अपनी पहचान को तराशिए
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। कहने वाले ने इतनी खूबसूरत बात यूं ही नही कह दी है। अगर इस बात की गहराई में जाया जाए तो दुनिया की हर कामयाबी की दास्तान इसी में छिपी हुई मिल जाएगी। ऐसा कोई हीरा नहीं है, जो बिना रगड़ खाए तराशा गया हो। ऐसी कोई मूर्ति नहीं है, जो बिना चोटों के तराशी गई हो। अपने-आप को हर पल तराशना-संवारना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। (how to overcome depression) ये बात जरूरी नहीं कि आपको सब कुछ वही सीखना है, जो उस पल में काम का लग रहा हो। ऐसी बहुत सी स्किल्स, ऐसे बहुत से हुनर हैं, जिनकी कीमत वक्त के पास छिपी होती है। नई जानकारियां, नई सूचनाएं, नई तकनीकें, नए विधियां एक ऐसी दौलत हैं, जो देती तो बहुत-कुछ हैं, लेकिन लेती सिवाय समर्पण के और कुछ भी नहीं हैं, इसलिए अगर अगली बार कुछ भी नया सीखते हुए आपको ऐसा लगे कि इसका क्या फायदा तो इस सवाल का जवाब वक्त पर छोड़ दीजिए। (how to overcome depression) साथ ही साज-संवार सिर्फ सीरत ही नहीं, सूरत की भी मायने रखती है, इसलिए जितना हो सके, अपने-आप को हर पल निखारिए।
रिश्तों में डिप्रेशन से बचने के लिए एक्सपर्ट टिप्स – Expert Tips to Avoid Depression in Relationships
अपने रिश्ते को बनाए-बचाए कौन नहीं रखना चाहता, लेकिन कई बार हम समझ ही नहीं पाते हैं कि उसमें करना क्या है। ऐसे में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर समीर पारिख द्वारा बताए गई ये कुछ बातें आपके बेहद काम आ सकती हैं। (how to overcome depression) हो सकता है कि आपकी किसी बहुत बड़ी समस्या का समाधान इन छोटी-छोटी बातों में ही छिपा हो-
रिश्तों में डिप्रेशन से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब (FAQ’S)
(यह लेख जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉक्टर समीर पारिख से बातचीत पर आधारित है।)