शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। इन्हें मानव कल्याण के लिए सभी दुखों को हरने का जिम्मा सौंपा गया है। वेदों का ज्ञाता श्री गणेश जी प्रथमपूज्य हैं, इसीलिए तो हर शुभ काम करने से पहले हमेशा बप्पा की पूजा की जाती है। गणेशजी को इन 12 नामों से भी जाना जाता है – सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूमकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। जितनी विचित्रता उनके नाम में हैं उतनी ही उनसे जुड़ी बातों में भी। यहां हम आपको विघ्नहर्ता गणेशजी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
1 – भगवान गणेश का जन्म भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था और इसी कारण हर साल इसी दिन गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है।
2 – भगवान गणेश के बारे में कहा जाता है कि उनकी रचना मां पार्वती ने अपने शरीर के मैल से की थी। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती की सखियों ने उन्हें ये सलाह दी थी कि उन्हें भी एक ऐसी रचना करनी चाहिए जो सिर्फ उनकी आज्ञा का पालन करे जैसे नंदी और बाकी सभी गण महादेव की आज्ञा मानते हैं। यही सोचकर, पार्वती ने भगवान गणेश की रचना अपने पुत्र के रूप में की थी।
3 – गणपति ऐसे देव हैं जिनके शरीर के सभी अंगों पर संपूर्ण ब्रह्मांड का वास होता है। गणपति की सूंड़ पर धर्म का वास है, नाभि में जगत वास करता है। उनकी आंखों या नयनों में लक्ष्य, कानों में ऋचाएं और मस्तक पर ब्रह्मलोक का वास है। हाथों में अन्न और धन, पेट में समृद्धि और पीठ पर दरिद्रता का वास है। इसलिए, पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए।
4 – गणेश जी की पूजा में तुलसी वर्जित है क्योंकि श्रीगणेश ने उनके विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। क्रोधवश तुलसी ने श्रीगणेश को विवाह करने का श्राप दे दिया और श्रीगणेश ने तुलसी को वृक्ष बनने का।
5 – भगवान गणेश जी को चतुर्थी के 10 दिन बाद विसर्जित इसलिए किया जाता है, क्योंकि धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से श्री गणेश को लगातार 10 दिन तक महाभारत कथा सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी लिखते गये थे। 10 दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोली तो पाया कि 10 दिन की कड़ी मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया है। तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को पास के कुंड में ले जाकर ठंडा किया था। इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है।
6 – शिवमहापुराण के अनुसार गणेश जी का विवाह प्रजापति विश्वरूप की बेटियों सिद्धि और बुद्धि से हुआ है। श्रीगणेश के दो पुत्र हैं इनके नाम शुभ तथा लाभ हैं।
7 – शिवमहापुराण के अनुसार जब भगवान शिव त्रिपुर का नाश करने जा रहे थे तब आकाशवाणी हुई कि जब तक आप श्रीगणेश का पूजन नहीं करेंगे तब तक ऐसा नहीं कर सकेंगे। तब भगवान शिव ने भद्रकाली को बुलाकर गणेश जी का पूजन किया और युद्ध में विजय प्राप्त की।
8 – कहा जाता है कि एक बार परशुराम जब भगवान शिव के दर्शन करने कैलाश पहुंचे तो भगवान ध्यान में थे। तब गणेश जी ने परशुरामजी को भगवान शिव से मिलने नहीं दिया। इस बात से क्रोधित होकर परशुरामजी ने फरसे से श्रीगणेश पर वार कर दिया। वह फरसा स्वयं भगवान शिव ने परशुराम को दिया था। और गणेश जी उस फरसे का वार खाली नहीं होने देना चाहते थे इसलिए उन्होंने उस फरसे का वार अपने दांत पर झेल लिया, जिसके कारण उनका एक दांत टूट गया। यही वजह है कि उन्हें एकदंत भी कहा जाता है।
9 – गणेश चतुर्थी के दिन अगर आपने चांद का दीदार किया तो आप पर झूठा कलंक लग सकता है। एक किंवदन्ती के अनुसार, चन्द्रमा को अपने रूप का बहुत अभिमान था। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी के गजमुख एवं लबोदर रूप को देखकर चन्द्रमा हंस दिये। गणेश जी इससे नाराज हो गये और चन्द्रमा को शाप दिया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो भी तुम्हें देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा।
10 – ये तो सब जानते हैं कि गणेश भगवान को मोदक यानि लडडू बहुत पसंद हैं। लेकिन मोदक ही क्यों पसंद हैं ? इसके पीछे दरअसल एक कारण है। गणेश जी का एक दांत परशुराम जी से युद्ध में टूट गया था। इससे अन्य चीजों को खाने में गणेश जी को तकलीफ होती है, क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है। मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है और इसका मीठा स्वाद मन को आनंदित कर देता है। आप यदि गणेश भगवान को जल्द से जल्द खुश करना चाहते हैं और इनके चमत्कारों का अनुभव लेना चाहते हैं तो आप गणेश जी को इन 10 दिनों में रोज लडडूओं का भोग लगाएं। साथ ही साथ अगर आप सक्षम हैं तो गरीबों को भी लडडू प्रसाद रूप में वितरित करें। आपको विशेष लाभ होगा।
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